मेघालय को राज्य का दर्जा मिलने के 52 साल बाद मिला राज्य गान

तुरा। मेघालय के मुख्यमंत्री कॉनराड संगमा ने राज्य के 52 साल पूरे होने के मौके पर शनिवार को मेघालय का राज्य गान जारी किया। इस मौके पर कला एवं संस्कृति आयुक्त और सचिव फ्रेडरिक रॉय खारकोंगोर ने कहा कि यह गान भूमि और उसके लोगों की साझा पहचान को सावधानीपूर्वक पकड़ने और सम्मान करने का एक सुविचारित प्रयास है।

उल्लेखनीय है कि तत्काली प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के कार्यकाल के दौरान पहाड़ी राज्य आंदोलन के बाद 21 जनवरी 1972 को मेघालय को तत्कालीन संयुक्त असम से अलग कर राज्य का दर्जा दिया गया था।

प्रभारी कला एवं संस्कृति मंत्री पॉल लिंग्दोह द्वारा प्रस्तुत और कला एवं संस्कृति टीम के साथ आयुक्त एवं सचिव (कला एवं संस्कृति) द्वारा समन्वित गान ने राज्य गान कार्य संघ (एसएडब्ल्यूए) के प्रयासों को आगे बढ़ाया। इस तरह से मेघालय को राज्य बनने के 52 साल बाद अपना राज्य गान मिल रहा है।

इस गान की रचना शिलांग चैंबर चोइर के संस्थापक, संचालक एवं संरक्षक नील हर्बर्ट नोंगकिनरिह ने की है। शिलांग स्थित लोक-फ्यूजन बैंड समरसाल्ट और गारो हिल्स के नोकपांटे द्वारा निर्धारित स्वदेशी वाद्ययंत्रों के साथ यह गान अतीत, वर्तमान और भविष्य से परे लोगों की आकांक्षाओं को दर्शाता है। खार्कोंगोर ने कहा कि यह गान प्रत्येक समूह इकाई को निष्पक्ष रचनात्मक, संरचनात्मक स्थान के साथ खासी और गारो लोगों का न्यायसंगत गीतात्मक प्रतिनिधित्व देता है।

अंग्रेजी गीतों का मसौदा नील नोंगकिन्रिह द्वारा तैयार किया गया है, जिसके बाद लेखकों के एक समूह, विशेष रूप से कला एवं संस्कृति मंत्री पॉल लिंगदोह ने उन्हें बढ़िया स्पर्श दिया। खासी और गारो गीतों का मसौदा क्रमशः समरसाल्ट के किट शांगप्लियांग और श्रीमती आइरिस वाटरे थॉमस द्वारा तैयार किया गया है, जिसके बाद इसमें टीम, विशेष रूप से प्रभारी मंत्री के इनपुट को शामिल किया गया है।

खार्कोंगोर ने कहा कि पूरा राष्ट्रगान स्वदेशी लय पर आधारित है, जिसमें गारो लोगों के दामा के साथ खासी लोगों के क्सिंग शिनरंग का उपयोग किया गया है। स्थानीय शब्दों का चयन और धुनों का संयोजन चरमोत्कर्ष पर है।