शिमला। हिमाचल प्रदेश में शिमला के संजौली में बहुमंजिला मस्जिद संरचना को लेकर विवाद ने नया मोड़ ले लिया है। अखिल हिमाचल मुस्लिम संगठन ने 1915 का राजस्व रिकॉर्ड पेश करते हुए दावा किया है कि मस्जिद अतिक्रमण नहीं बल्कि कानूनी रूप से स्थापित इबादत स्थल है।
संगठन और हिमाचल प्रदेश वक्फ बोर्ड ने इस विवाद को राज्य में सांप्रदायिक सदभाव को बिगाड़ने का एक अनावश्यक कोशिश करार दिया है। शिमला में मंगलवार को मीडियाकर्मियों को संबोधित करते हुए अखिल हिमाचल मुस्लिम संगठन के अध्यक्ष नजाकत अली हाशमी ने कहा कि संजौली मस्जिद एक सदी से भी ज्यादा समय से अस्तित्व में है और दशकों से आधिकारिक अभिलेखों में इसका उल्लेख मिलता है।
उन्होंने कहा कि मस्जिद वहां 1915 से है। यह 1997-98 और 2003 के राजस्व अभिलेखों में भी दर्ज है। बाद में केवल सरकार को ही भूस्वामी दर्शाने वाली प्रविष्टियां रिकॉर्ड में छेड़छाड़ का संकेत देती हैं। हाशमी ने आगे कहा कि मस्जिद समिति ने अतिरिक्त निर्माण की अनुमति लेते समय उचित प्रक्रिया का पालन किया था।
उन्होंने कहा कि 2013 में हमने तीन और मंजिलों के निर्माण के लिए आवेदन किया था। उन्होंने कहा कि नगर निगम ने कोई आपत्ति दर्ज नहीं की। नियमों के अनुसार 90 दिनों तक आपत्ति नहीं करने का अर्थ ही मंज़ूरी है। फिर भी हम अदालत के सभी निर्देशों का पालन करेंगे। इसके साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि जल्द ही इस संरचना को नियमित करने के लिए एक नया आवेदन दायर किया जाएगा।
वक्फ बोर्ड ने यह भी दोहराया कि जिस भूमि पर मस्जिद खड़ी है वह ऐतिहासिक रूप से वक्फ की संपत्ति है जिसे तत्कालीन कोटि राजवंश के सरदार ने ब्रिटिश शासन के दौरान हिंदुस्तान-तिब्बत रोड के निर्माण कार्य में शामिल लद्दाखी मुसलमानों को दान में दिया था।
वक्फ बोर्ड ने कहा कि संजौली मस्जिद एक अधिसूचित वक्फ संपत्ति है, लेकिन इसकी राजस्व प्रविष्टियां गलती से हिमाचल प्रदेश सरकार के नाम पर दर्ज हैं। एक अधिकारी ने कहा कि राजस्व प्रविष्टियां स्वामित्व प्रदान नहीं करतीं। मालिकाना हक वैध दस्तावेजों से प्राप्त होता है और यह संपत्ति एक पंजीकृत वक्फ संपत्ति है।
संजौली मस्जिद सहित, हिमाचल प्रदेश में लगभग 750 अधिसूचित वक्फ संपत्तियां हैं जिनमें से 28 शिमला ज़िले में हैं। निचली अदालतों द्वारा इस संरचना को अवैध घोषित करने के बाद, बोर्ड ने उच्च न्यायालय का रुख किया, जब शिमला ज़िला न्यायालय ने मई 2025 में ऊपरी पांच मंजिलों को अवैध घोषित कर दिया था। उच्च न्यायालय ने दूसरी, तीसरी और चौथी मंजिलों को गिराने का आदेश दिया है जबकि भूतल और पहली मंजिलों के खिलाफ कार्रवाई पर रोक लगा दी है। मामले की अगली सुनवाई नौ मार्च को होगी।
अखिल हिमाचल मुस्लिम संगठन और वक्फ बोर्ड दोनों ने दावा किया कि इस विवाद को कुछ दक्षिणपंथी और भगवा संगठन कथित रूप से एक कांग्रेस मंत्री के साथ मिलीभगत करके मुद्दे का ध्रुवीकरण करने के लिए बढ़ावा दे रहे हैं।
श्री हाशमी ने लोगों से शांति बनाए रखने की अपील करते हुए कहा कि इसे ग़लत तरीक़े से अतिक्रमण के रूप में पेश किया जा रहा है। मस्जिद 100 साल से भी ज़्यादा पुरानी है। विवाद अतिरिक्त निर्माण से जुड़ा है और मूल संरचना से इसका कोयी लेना देना नहीं है।
उन्होंने बाहरी तत्वों द्वारा माहौल बिगाड़ने की कोशिशों के ख़िलाफ़ चेतावनी देते हुए कहा कि हिमाचल प्रदेश में सांप्रदायिक सद्भाव की एक मज़बूत परंपरा रही है। उन्होंने कहा कि लोगों को गुमराह करने और फूट डालने की कोशिश करने वालों के ख़िलाफ़ कड़ी कार्रवाई की जानी चाहिए। इससे संबंधित एक घटनाक्रम में हिमाचल प्रदेश में सांप्रदायिक सद्भाव को खतरा पहुंचाने वाली बार-बार की घटनाओं पर चिंता के कारण नागरिक समाज समूह लामबंद हो रहे हैं।
हिमाचल फॉर पीस एंड हार्मनी ने आज एक बैठक बुलाई है। इसके संयोजक डॉ. कुलदीप सिंह तंवर ने शांतिप्रिय नागरिकों से एकजुट होकर समुदायों को बांटने की कोशिशों का विरोध करने की अपील की है। उन्होंने कहा कि ऐसे समय में जब संवेदनशील मुद्दों को जानबूझकर भड़काया जा रहा है समाज के जिम्मेदार लोगों की भागीदारी अत्यंत आवश्यक है।



