एनआईए ने श्रीनगर में हुर्रियत कार्यालय को किया सील

श्रीनगर। दिल्ली की विशेष अदालत की ओर से श्रीनगर में ऑल पार्टी हुर्रियत कांफ्रेंस (एपीएचसी) के कार्यालय को कुर्क करने के आदेश के एक दिन बाद राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) के अधिकारियों ने अलगाववादी समूह के मुख्यालय को सील कर दिया।

एनआईए की टीम रविवार को राजबाग पहुंची और गैरकानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनियम (यूएपीए) के प्रावधानों के तहत अदालत के निर्देश पर हुर्रियत कार्यालय को कुर्क कर लिया। गत पांच अगस्त, 2019 को जम्मू-कश्मीर के विशेष दर्जे को खत्म करने के बाद जहां एपीएचसी का कार्यालय बंद कर दिया गया है वहीं इसके अध्यक्ष मीरवाइज उमर फारूक पिछले तीन वर्षों से ‘घर में ही नजरबंद’ हैं।

एनआईए ने एपीएचसी के द्वार पर चिपकाए गए एक नोटिस में कहा गया है कि जनता के सभी सदस्यों को सूचित किया जाता है कि इमारत को नयी दिल्ली के पटियाला हाउस स्थित विशेष एनआईए अदालत के 27 जनवरी 2023 के आदेश पर सील किया जाता है। राजबाग में ऑल पार्टी हुर्रियत कॉन्फ्रेंस के कार्यालय के मालिक नईम अहमद खान हैं, जो वर्तमान में एनआईए कोर्ट, दिल्ली में मुकदमे का सामना कर रहे हैं।

एनआईए की ओर से 2017 में गिरफ्तार किए गए नयन खान, जम्मू-कश्मीर नेशनल फ्रंट का नेतृत्व कर रहे थे, जो उदारवादी हुर्रियत कॉन्फ्रेंस का एक घटक है। शनिवार को नयी दिल्ली की विशेष अदालत के अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश ने आदेश दिया था कि ऑल पार्टी हुर्रियत कॉन्फ्रेंस के भवन कार्यालय सहित अचल संपत्ति को कुर्क किया जाए। अदालत ने हालांकि, कहा था कि कुर्की का मतलब यह नहीं है कि उस संपत्ति के संबंध में कोई पूर्व-परीक्षण निष्कर्ष है।

एनआईए ने श्रीनगर के राज बाग में स्थित हुर्रियत कांफ्रेंस के भवन कार्यालय को कुर्क करने के लिए एक आदेश पारित करने की मांग करते हुए अदालत में आवेदन दाखिल किया था। अपने मुख्यालय को सील किए जाने पर प्रतिक्रिया देते हुए हुर्रियत ने कहा कि इससे कश्मीर विवाद के समाधान के लिए लोगों की विचारधारा और भावनाएं प्रभावित नहीं होगीं।

हुर्रियत ने कहा कि जम्मू-कश्मीर की कमान और नियंत्रण में रहने वालों को पता होना चाहिए कि कश्मीर संघर्ष के समाधान को देखने और निडरता के साथ शांति से रहने की भावना एवं इच्छा, जम्मू-कश्मीर के लोगों में अंतर्निहित है। हुर्रियत उसी इच्छा का प्रकटीकरण है। पत्थरों और गारे की इमारतों को जोड़ने से लोग अपनी भावनाओं से अलग नहीं होंगे।

एपीएचसी ने एक बयान में कहा कि वे शांतिपूर्ण समाधान की मांग करना जारी रखेंगे। यह उन लोगों को अच्छा लग सकता है जो कश्मीर के लोगों को एक और कड़ा संदेश भेजना चाहते हैं तथा इसके लिए वोट प्राप्त करना चाहते हैं, लेकिन जम्मू- कश्मीर के लोग बेहतर जानते हैं।