राजगढ धाम पर चैत्र नवरात्रा मेला महोत्सव का समापन, श्रद्धालुओं की भीड उमड़ी

अजमेर। श्री मसाणिया भैरव धाम राजगढ़ पर चल रहे चैत्र नवरात्रा मेला महोत्सव के शुक्रवार को समापन समारोह में श्रद्धालुओं की भीड उमड़ पड़ी।

मुख्य उपासक चम्पालाल महाराज ने चैत्र नवरात्रा मेला महोत्सव के दौरान 10 दिन तक प्रज्जवलित रही अखण्ड़ ज्योति की विशेष रामबाण औषधी रूपी चिमटी (भभूत) का वितरण किया गया। अखण्ड़ ज्योति की विशेषता यह है कि जिस पात्र में इसको प्रज्जवलित किया जाता है उसमें हजारों नारियल की चिटक, कई पीपे तेल व धूप हवन सामग्री डालने पर भी यह पात्र कभी नहीं भरता। इस अखण्ड़ ज्योति के दर्शन मात्र से ही श्रद्धालुओं के रोग, कष्ट, बाधाएं आदि दूर हो जाती है।

धाम पर आए श्रद्धालुओं ने सर्वधर्म मनोकामना पूर्ण स्तम्भ की विशेष परिक्रमा कर बाबा भैरव से मन्नत मांगी। नवमी की रात में भजन गायक ज्याति सैनी, ममता सोनी एवं नरेश दगदी ने अपनी मधुर आवाज में भैरू जी नाना रे नाना, दरबार है निराला काली के लाल का, अब तो आजा रे भैरू जी, मैया रानी तो छिप रही पहाड़ा में, आजा ये भवानी, राजगढ में लाग्यो दरबार, झीणी झीणी उडे रे गुलाल आदि भजनों की प्रस्तुति दी।

राजगढ़ गांव की और से चढा झंड़ा

राजगढ़ धाम पर चैत्र नवरात्रा मेला महोत्सव के समापन समारोह से पूर्व नवमी की रात राजगढ़़ के ग्रामवासियों की और से बाबा भैरव नाथ व मां कालिका के झंड़ा चढाया गया। रात 8 बजे ग्रामवासियों ने राजगढ़ सदर बाजार से ढोल ढमाको पर नाचते गाते झूमते हुए चक्की वाले बाबा के मंदिर पर धोक लगाई फिर वहीं से जुलूस के रूप में मुख्य मंदिर सर्वधर्म मनोकामनापूर्ण स्तम्भ पर अखण्ड़ ज्योति स्थल पर पहुंचे।

प्रेम सिंह गौड़ के नेतृत्व में कमल नागौरा, श्याम सेन, कमल शर्मा, गणपत सिंह, पांचू माली, हरी माली, सदानन्द विश्वास, रामदेव माली, मोनू गुर्जर, भाचन्द माली, मुकेश खीची आदि ने चम्पालाल महाराज का साफा पहनाकर व शॉल ओढाकर भव्य स्वागत किया।

मेला व्यवस्थाओं में इनका रहा सहयोग

धाम के प्रवक्ता अविनाश सेन ने बताया की चैत्र नवरात्रा महोत्सव में श्री मसाणिया भैरव धाम राजगढ़ चैरीटेबल ट्रस्ट की ओर से श्रद्धालुओं के लिए विशेष व्यवस्थाएं की गईं। मेले के दौरान सुचारू व्यवस्था संभालने के लिए व्यवस्थापक ओमप्रकाश सैन, रमेश चन्द सेन, अविनाश सैन, प्रकाश रांका, राहुल सैन, के साथ, पदम जैन, राजू चावड़ा, कमल शर्मा, टीएस राणावत, मनोहर सिंह, धर्मेन्द्र, सुरेश दायमा, तिलोक जटिया, महेन्द्र रावत, रामसिंह बाबल, मोहन छीपा, शंकर महावर, कैलाश सेन, श्रवण रावत, चेतन आनन्द, पुनीत जांगीड़, शंकरनाथ, पदमचन्द जैन, सुरेश गुर्जर, महेश वरजानी, बाबू भाई, सुरेश काकाणी, रामप्रसाद मोर्य, अजीत चौधरी, हंसराज भडाणा, अमिताभ, पंकज सेन, रामप्रसाद जाग्रत, भूपेन्द्र, मनीष, कन्हेया लाल, देवानन्द, योविनेश, रामलाल, अजय, विनय, ओम माली आदि का विशेष योगदान महत्वपूर्ण रहा।