Home Rajasthan Ajmer पेट से निकाली 10 किलो वजनी, डेढ़ फुट लम्बी गांठ

पेट से निकाली 10 किलो वजनी, डेढ़ फुट लम्बी गांठ

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पेट से निकाली 10 किलो वजनी, डेढ़ फुट लम्बी गांठ

अजमेर। सवाईमाधोपुर जिले के ग्राम पिपलाई तहसील वामनवास निवासी पेशे से वकील 40 वर्षीय लालूराम के पेट से 10 किलो वजनी और डेढ़ फुट से अधिक लम्बी गांठ निकाली गई है।

यह जटिल सर्जरी वरिष्ठ कैंसर सर्जन डाॅ प्रशांत शर्मा ने अजमेर के मित्तल हाॅस्पिटल एंड रिसर्च सेंटर में की। करीब साढ़े छह घंटे चले आॅपरेशन में खून की एक बूंद भी चढ़ाने की जरूरत नहीं पड़ी। पूरी गांठ शरीर के अन्य महत्वपूर्ण अंगों बायीं किडनी, तिल्ली, अग्नाश्य, (पेनक्रियाज), आंत, पेशाब और रक्त की नलियों को बचाते हुए शरीर से बाहर निकाली गई।

प्रदेश के अन्य बड़े नगरों के चिकित्सकों ने इस गांठ को निकाले जाने में रोगी की एक किडनी के नुकसान का जोखिम बताया था। डाॅ प्रशांत शर्मा ने किडनी को सुरक्षित रखते हुए अजमेर के मित्तल हाॅस्पिटल में यह सफल सर्जरी कर एक नया कीर्तिमान कायम किया है। चिकित्सकीय भाषा में इस गांठ को रेट्रोपेरीटोनियल ट्यूमर कहा जाता है।

डाॅ प्रशांत शर्मा के अनुसार लालूराम के पेट में बायीं किडनी गांठ के अंदर धसी हुई और चिपकी हुई थी। तिल्ली और अग्नाश्य गांठ के ऊपर ऐसे पड़े हुए थे जैसे सिर पर कोई चीज रखी जाती है। गांठ ने अपना फैलाव लेते हुए पेट की आंतों को दांयी और धकेल दिया था। यहां तक की, पेशाब व रक्त नलियों का गुच्छा बन गांठ से चिपककर गुजर रहा था।

लालू राम के शरीर की तमाम काम के अंगों को ट्यूमर ने शरीर के एक तरफ धकेलकर अपने फैलने के लिए जगह बना ली यहां तक कि ट्यूमर को फैलने में सहायक रक्त की आपूर्ति भी अलग-अलग भागों से हो रही थी। संभवतः इतनी बड़ी गांठ राजस्थान के अजमेर में पहली बार निकाली गई। गांठ को समय रहते नहीं निकाला जाता तो निकट भविष्य में वह पीड़ित के जीवन के लिए खतरा बन सकती थी।

डाॅ प्रशांत ने बताया कि आॅपरेशन के लिए उनकी टीम के निश्चेतन विशेषज्ञ डाॅ राजीव पांडे की भूमिका अह्म थी। आॅपरेशन के दौरान और बाद में ईश्वर की कृपा बनी रही। टीम के अन्य सहयोगियों नर्सिंग स्टाफ श्रीनमो, सिस्टर विनीता, सिस्टर निर्मला व तकनीशियन भगवान आदि ने सराहनीय योगदान दिया। मरीज अब स्वस्थ है, उसे हाॅस्पिटल से छुट्टी दे दी गई है।

आॅपरेशन किए जाने से पूर्व मरीज लालू राम ने किसी भी दर्द का सामना नहीं किया था। उसे बुखार रहने लगा था और वजन घट रहा था। आॅपरेशन के समय लालूराम का वजन सिर्फ 52 किलो था। जिसमें अकेले 10 किलो की गांठ थी। गांठ को इतना बढ़ने और फैलने में अनुमान रूप से एक से डेढ़ साल का समय लगा होगा। यह बात दीगर है कि स्वयं मरीज को इसका पता डेढ़ दो माह पहले ही चला।

पीड़ित के भाई एडवोकेट शिवचरण शर्मा की माने तो लालूराम यह स्वीकार करने को ही तैयार नहीं था कि उसके पेट में इतनी बड़ी गांठ है। परिवारजन और मित्रों द्वारा उसके बढ़ते और फैलते पेट के आकार की ओर ध्यान दिलाने पर वह उन्हें पेट में गैस की समस्या होने तथा दौड़-भाग कर मोटापा कम करने की बात कहकर तकलीफ को टाल रहा था।

लगातार ज्वर बने रहने और वजन घटने पर सख्ती से कहा गया तो उसने पहली बार स्थानीय डाक्टर को दिखाया और उनकी सलाह पर सोनोग्राफी कराई। सोनोग्राफी में तिल्ली बढ़ी होने की जानकारी दी गई। उपचार के बावजूद तकलीफ दूर नहीं हुई तो सवाईमाधोपुर से जयपुर आकर विभिन्न बड़े अस्पतालों में चिकित्सकों से परामर्श किया गया व संबंधित जांचें कराई। यहां तक की गांठ की बायोप्सी भी कराई गई।

बायोप्सी रिपोर्ट में इस्पेंडल सेल नियोप्लाज्म दर्शाया गया। आखिर निकट संबंधी महेन्द्र कुमार जो विगत लम्बे अर्से से नर्सिंग पेशे से जुड़े हैं की सलाह पर अजमेर के मित्तल हाॅस्पिटल एंड रिसर्च सेंटर के कैंसर सर्जन डाॅ प्रशांत शर्मा से परामर्श व उपचार के लिए मुलाकात की गई।