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बंगाल : जीजेएम हिंसा में 15 पुलिसकर्मी घायल, 5 वाहन खाक

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बंगाल : जीजेएम हिंसा में 15 पुलिसकर्मी घायल, 5 वाहन खाक
15 policemen injured, 5 vehicle burnt in bengal's GJM violence
15 policemen injured, 5 vehicle burnt in bengal's GJM violence
15 policemen injured, 5 vehicle burnt in bengal’s GJM violence

दार्जिलिंग। गोरखा जनमुक्ति मोर्चा के उग्र आंदोलनकारियों और पुलिसर्मियों के बीच हुई झड़प में गुरुवार को 15 पुलिसकर्मी घायल हो गए और पांच वाहनों को आग के हवाले कर दिया गया।

आंदोलन को रोकने के लिए आंसू गैस के गोले दागने वाले पुलिसकर्मियों पर जीजेएम के आंदोलनकारियों ने पथराव किया और उनके पांच वाहनों को आग लगा दी।

इस हिंसा में आंदोलनकारियों ने एक यातायात चौकी में भी आग लगा थी। इसके अलावा, बैरीकेड भी तोड़े गए। हिंसा के दौरान राज्य मंत्रिमंडल की बैठक हुई।

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जीजेएम ने दावा किया है कि पुलिस की ओर से की गई कार्रवाई में उसके 45 समर्थक घायल हुए हैं, जिसमें एक महिला भी शामिल है।

पश्चिम बंगाल के उत्तरी क्षेत्र में स्थित पहाड़ी कस्बे में घूमने आए पर्यटक हिंसा से डरकर कस्बे से बाहर निकलने की कोशिश कर रहे हैं।

यह हिंसा दार्जिलिंग कस्बे के मॉल रोड स्थित भानु भवन के पास भड़की। हिंसा में घायल पुलिसकर्मियों में जलपाईगुड़ी रेंज के पुलिस उपमहानिरीक्षक राजेश कुमार यादव भी शामिल हैं। उन्हें जीजेएम समर्थकों के साथ संघर्ष के दौरान चोटें आई हैं।

जीजेएम समर्थकों ने कालिमपोंग जिले के आस-पास के बाजारों को बंद करने का दबाव भी डाला।जीजेएम समर्थकों ने गोरखाओं के लिए एक अलग राज्य की मांग के लिए दबाव बनाने हेतु रैली का आयोजन किया था।

यह रैली ममता बनर्जी सरकार से एक एक परिपत्र जारी करने की मांग के पक्ष में भी थी।आंदोलनकारियों की मांग है कि राज्य सरकार एक परिपत्र जारी कर स्पष्ट करे कि उत्तरी बंगाल की पहाड़ियों में बांग्ला भाषा को अनिवार्य करने का उसका कोई इरादा नहीं है।

पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने गुरुवार को 45 साल में पहली बार दार्जिलिंग कस्बे में मंत्रिमंडल की बैठक की अध्यक्षता की। इस बैठक के बाद मुख्यमंत्री ने कहा कि यह आंदोलन गैर-मुद्दे पर आधारित है।

बनर्जी ने कहा कि प्रदर्शन करने का हक हर राजनीतिक पार्टी को है। उन्होंने यहीं किया, लेकिन यह आंदोलन किस मुद्दे पर था? कोई मुद्दा ही नजर नहीं आया। इस आंदोलन के जरिए राजनीतिक प्रासंगिकता हासिल करने का मकसद है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि हमारी किसी के साथ कोई दुश्मनी नहीं है। हम चाहते हैं कि पहाड़ी कस्बे और राज्य का संचालन और विकास सही तरह से हो।

बाद में जीजेएम ने कथित तौर पर शांतिपूर्ण प्रदर्शनकारियों पर पुलिस कार्रवाई के विरोध में उत्तर बंगाल की पहाड़ियों में शुक्रवार को 12 घंटे के बंद का आह्वाहन किया।

जीजेएम के महासचिव रोशन गिरी ने कहा कि दार्जिलिंग, कलिमपोंग जिलों और मिरिक सहित पूरे उत्तर बंगाल में बंद का आह्वाहन किया गया है।

मुख्यमंत्री बनर्जी द्वारा राज्य के हर स्कूल में बंगाली भाषा को अनिवार्य किए जाने के बाद से ही उत्तर बंगाल में राजनीतिक गलियारों में हलचल मची हुई है। इस क्षेत्र में दबदबा रखने वाली जीजेएम बनर्जी की इस घोषणा से नाखुश है।

बनर्जी ने सोमवार को यह घोषणा कर स्थिति को शांत करने की कोशिश की थी कि दार्जिलिंग, दोआर और तराई के इलाकों के स्कूलों में बंगाली भाषा अनिवार्य नहीं होगी। बनर्जी ने कहा कि जीजेएम उनकी सरकार के बारे में झूठी बातें फैला रहा है।

गोरखाओं के लिए अलग राज्य की मांग का मुद्दा सबसे पहले 1980 में गोरखा नेशनल लिबरेशन फ्रंट (जीएनएलएफ) द्वारा उठाया गया था। 2008 में जीजेएम ने जीएनएलएफ को अलग कर दिया।

अलग राज्य की इस मांग की हिंसा में तीन दशकों में अब तक कई जानें जा चुकी हैं। इसके अलावा, इससे क्षेत्र के चाय और लकड़ी के व्यापार को तथा पर्यटन को भी नुकसान पहुंचा है।