Home Delhi सड़क परिवहन मंत्रालय देश के चहुंमुखी विकास की ओर अग्रसर : गडकरी

सड़क परिवहन मंत्रालय देश के चहुंमुखी विकास की ओर अग्रसर : गडकरी

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सड़क परिवहन मंत्रालय देश के चहुंमुखी विकास की ओर अग्रसर : गडकरी
400 die a day in road mishaps, faulty engineering a major cause : nitin Gadkari
400 die a day in road mishaps, faulty engineering a major cause : nitin Gadkari
400 die a day in road mishaps, faulty engineering a major cause : nitin Gadkari

नई दिल्ली। दुनिया में कम्युनिज्म और सोशलिस्ट-कम्युनिस्ट मॉडल वाली सामाजिक और आर्थिक नीतियो का दौर ख़त्म हो चुका है। इसलिए मौजूदा केंद्र सरकार अंत्योदय की विचारधारा से ओतप्रोत सामाजिक – आर्थिक नीतियों पर काम कर रही है। यह बात केंद्रीय भूतल परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने गुरुवार को यहां एक विशेष भेंट में हिन्दुस्थान समाचार से कही।

उन्होंने कहा कि उनकी सरकार का लक्ष्य है कि समाज के आखिरी छोर पर खड़े व्यक्ति को सरकारी योजनाओं का लाभ मिल सके। मिसाल के तौर पर ग्रामीण और गरीब इलाकों के विकास पर बजट के मद से धन खर्च किया जाता है जबकि शहरी क्षेत्रों में पीपीपी मॉडल को अपना कर विकास करने पर जोर रहता है। इस क्रम में उन्होंने महाराष्ट्र के 16000 हजार गावों को पुलों से जोड़ने की मिसाल दी।

उन्होंने देश के धार्मिक और पर्यटन स्थलों को सड़क मार्गों से जोड़ने का जिक्र करते हुए कहा कि करीब तीन साल पहले बदरीनाथ -केदारनाथ में जो हादसा हुआ था,उस समय सड़क नदी के समानांतर थी, जो बाढ़ आने पर तहस नहस हुई। केंद्र में नरेंद्र मोदी की सरकार बनने के बाद हमने तय किया कि हम बदरीनाथ, केदारनाथ, गंगोत्री और यमुनोत्री को जोड़ने के लिए नई सड़क बनाएंगे ताकि चारधाम जाने वाले यात्री किसी भी मौसम में बे-रोक टोक जा सकें।

यह तीन लेन की सीमेंट- कंक्रीट निर्मित सड़क होगी। 1100 किलोमीटर लम्बे इस पूर्ण सुरक्षित सड़क मार्ग के निर्माण पर कुल 12 हजार करोड़ रुपए खर्च होंगे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी निकट भविष्य में भूमि पूजन करके इसके निर्माण कार्य का शुभारम्भ करेंगे।

इस सड़क मार्ग का उपयोग करने वाले यात्रियों के लिए सड़क किनारे खाने-पीने की अन्य बुनियादी सुविधाएं भी आसानी से सुलभ हों, इसके भी पूरे बंदोबस्त किए जाएंगे। मसलन, होटल, रेस्टॉरेंट, शौचालय, हॉस्पिटल,पेट्रोल पम्प आदि के साथ साथ खाने-पीने की स्थानीय विशिष्टता वाली हैंडलूम और हैंडीक्राफ्ट वस्तुएं भी उपलब्ध होंगी।

इसी तरह मानसरोवर भी भारतीयों के लिए श्रद्धा का विषय है। उत्तराखंड के पिथौरागढ़ से चीन सीमा तक नई सड़क बनायीं जाएगी। फ़िलहाल इस कार्य में सीमा सड़क संगठन की टीम जुटी हुई है। इस मार्ग में हिमालय पर्वत का सीना चीरकर करीब 32 किलोमीटर लम्बी सुरंग बनाई जाएगी।

दुर्गम पर्वतीय क्षेत्र में सुरंग बनाने के लिए आस्ट्रेलिया से मशीन मंगाई गई है। इस सड़क पर अप्रेल, 2017 तक यह काम पूरा हो जाने की उम्मीद है। इसके बन जाने के बाद पिथौरागढ़ से चीन सीमा तक श्रद्धालु आसानी से पहुंच सकेंगे। वहां से चीन होकर मानसरोवर तक जा सकेंगे।

इसके अलावा देश के सभी धार्मिक और पर्यटन स्थलों को भी हाईवे से जोड़ने का निर्णय किया गया है। जैसे पंढरपुर (महाराष्ट्र) जाने वाले श्रद्धालु कुछ स्थानों पर ठहरते हैं जहां से पालकी लेकर वे पैदल पंढरपुर पहुंचते हैं। उनके सुगम आवागमन के लिए सीमेंट और कंक्रीट की सड़क बना रहे हैं जिस पर करीब 12 हजार करोड़ रूपए की लागत आएगी।

यात्रा के दौरान ये श्रद्धालु सड़क किनारे ही रुकते हैं। उनके लिए भी सड़क किनारे कई जगहों पर रोड शेड बनाए जा रहे हैं जहाँ तकरीबन 10 हजार श्रद्धालु एक साथ विश्राम कर सकेंगे। वहां पर उनके लिए सभी बुनियादी सुविधाएं सुलभ होंगी।

इसी तरह सोमनाथ से द्वारका को जोड़ने वाली सड़क को आठ हजार करोड़ रुपए की लागत से 4 लेन बनाया जा रहा है। द्वारका और बिग द्वारका के बीच में ब्रिज बनाया जा रहा है जहाँ ब्रिज के बगल में शीशे से कवर करता हुआ स्वचालित फ़ास्ट ट्रैक बनाया जाएगा। जिसके जरिये श्रद्धालु द्वारका पहुंचकर श्रीकृष्ण का दर्शन कर सकेंगे।

बाद में रामायण सर्किट में जानकी का नेपाल तक और राम के वनवास वाले पथ को भी राष्ट्रीय महामार्ग घोषित किया गया है। इसके निर्माण पर करीब 15 हजार करोड़ रुपये की लागत आएगी। इसी क्रम में चार हजार करोड़ रुपये की लागत से बुद्धा सर्किट की सड़कों का निर्माण किया जा रहा है।

वाराणसी -सारनाथ आदि से लेकर भगवान गौतम बुद्ध की जन्मस्थली तक को जोड़ने वाले मार्गों के निर्माण कार्य इसमें शामिल हैं। देश की धार्मिक, ऐतिहासिक और सांस्कृतिक विरासत को जोड़ने वाले स्थलों को सड़क मार्गों से जोड़ने पर हमारा जोर है। हाल ही में छत्रपति शिवाजी महाराज की विरासत को भी लाइट एंड साउंड सिस्टम के जरिये दर्शाया गया।

उन्होंने कहा कि उनका मंत्रालय सड़क बना ने के साथ ही सम्बंधित क्षेत्रों के इतिहास और सांस्कृतिक विरासत को भी सहेजने का प्रयास कर रहां है। अभी तक सड़कों के किनारे इस तरह के 1300 स्थल चिह्नित किए गए हैं जिनमें से 13 के टेंडर जारी किए जा चुके हैं। मसलन उत्तर प्रदेश के मुरादाबाद से गुजरने वाले हाईवे के किनारे इस तरह का हाईवे विलेज बनेगा जहाँ वहां के प्रसिद्ध पीतल उद्योग से बने सामान और क्षेत्र विशेष के उत्पाद ग्राहकों के लिए उपलब्ध होंगे।

दिल्ली से कटरा तक (वाया जींद -हरियाणा) एक ऐसी फ़ास्ट ट्रैक सड़क बनाने की योजना है जिसके जरिये यह दूरी सिर्फ चार घंटे में पूरी की जा सकेगी। इसका डीपीआर तैयार हो गया है। इसी तरह दिल्ली -जयपुर,दिल्ली-हरिद्वार, दिल्ली मेरठ को भी सड़क मार्ग से जोड़ा जा रहा है।

पूर्वोत्तर के राज्यों में सड़क निर्माण के कार्यों में तेजी आई है। वहां एक लाख करोड़ रुपए की लागत से सड़कों का निर्माण कार्य हो रहा है। एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि अगले तीन सालों में भी हमारा जोर ढांचागत विकास पर होगा।

देश में सड़क हादसों में साल दर साल होने वाले इजाफा पर उन्होंने चिंता जताते हुए कहा कि इसे रोकने के लिए प्रयास जारी हैं। इसके लिए ड्राइविंग लाइसेंस बनाने की दोषपूर्ण मौजूदा प्रणाली को उन्होंने जिम्मेदार माना और कहा कि निकट भविष्य में यह पूरी प्रक्रिया ऑनलाइन कम्प्यूटरीकृत हो जाएगी। तब बिना ड्राइविंग टेस्ट दिए कोई लाइसेंस बनना संभव नहीं होगा। इससे दुर्घटनाएं काफी हद तक रुकेंगी।

ऐतिहासिक चाबहार समझौते का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि यह समझौता भारत के विकास के लिए मील का पत्थर साबित होगा। अभी जितना मुंबई से दिल्ली की दूरी है उसके मुकाबले कांडला से चाबहार की दूरी कम है। अगले 18 महीने के भीतर बंदरगाह का निर्माण हो जायेगा। यह करीब एक लाख करोड़ सालाना का फायदा देगा। यहाँ बड़ी संख्या में भारतीय उद्योगों के लिए भी अवसर उपलब्ध होंगे।