वाशिंगटन। वैज्ञानिकों ने गन्ने में जेनेटिक बदलाव कर इसकी पत्तियों और तनों से बायोडीजल उत्पादन के लिए तेल निकालने का दावा किया है। इन शोधार्थियों में एक भारतीय मूल का वैज्ञानिक भी शामिल है।
शोधकर्ताओं ने बताया कि जेनेटिक बदलाव से उत्पन्न गन्ने की इस नई प्रजाति से और अधिक मात्रा में चीनी का उत्पादन हो सकता है, जिसे इथेनॉल उत्पादन में इस्तेमाल किया जा सकता है।
दोहरे मकसद में इस्तेमाल की जा सकने वाला यह जैव उर्जा फसल प्रति एकड़ सोयाबीन से पांच गुना और मक्के से दो गुना अधिक मुनाफा देने वाला हो सकता है।
अमरीका में इलिनोइस यूनीवर्सिटी के शोधकर्ताओं के नेतृत्व में वैज्ञानिकों ने एक जूसर का इस्तेमाल कर गन्ने के पौधे से 90 प्रतिशत चीनी और 60 प्रतिशत तेल निकाला। गन्ने के रस से इथेनॉल उत्पन्न किया गया और बाद में जैविक घोल की मदद से इससे तेल निकाला गया।
इलिनोइस में प्रोफेसर स्टीफन लांग ने कहा कि हमारे कम्प्युटर मॉडल से यह प्रतीत हो रहा था कि तेल उत्पादन बढऩे से चीनी का उत्पादन घट जाएगा, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। जबकि चीनी उत्पादन में कमी के बगैर अधिक तेल का उत्पादन हुआ। यह शोध ‘बाययोकैटालिसीस एंड एग्रीकल्चरल बायोटेक्नोलॉजी’ पत्रिका में प्रकाशित हुआ था।