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देश में भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाने के लिए दिल्ली में आम आदमी पार्टी ने आमजन से रिश्वतखोर अधिकारी-कर्मचारी का स्टिंग करने की बात कही थी तो हंगामा मच गया था, मगर भाजपा में तो कार्यकर्ता ही अपने नेताओं का स्टिंग कर रहे हैं, वह भी मुख्यमंत्री का।
मध्य प्रदेश में मुख्यमंत्री शिवराज का एक बार नहीं, दो-दो बार स्टिंग हुआ है। यह बात अलग है कि वायरल हुए ऑडियो क्लिप को ‘फर्जी’ बताने में भाजपा पीछे नहीं रही। ठीक उसी तरह, जैसे पार्टी ललित मोदी मामले में राजस्थान की मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के हलफनामे को झुठलाने पर तुली है।
पिछले विधानसभा चुनाव के दौरान शिवराज का एक उम्मीदवार मुरलीधर पाटीदार से बातचीत का ऑडियो क्लिप वायरल हुआ था। शिक्षकों की राजनीति करते हुए भाजपा के उम्मीदवार बने पाटीदार ने शिवराज से आग्रह किया था कि वह एक चुनावी सभा में शिक्षकों को लाभ देने की घोषणा कर दें तो पार्टी को लाभ होगा।
इस पर शिवराज ने पाटीदार से कहा था कि अगली सभा में आपकी इच्छा के मुताबिक शिक्षकों को लाभ देने की घोषणा कर दूंगा, यह कौन सी बड़ी बात है।
अब एक बार फिर शिवराज का भाजपा नेता राजेश चौधरी से बातचीत का कथित ऑडियो क्लिप वायरल हुआ है। इसमें मुख्यमंत्री शिवराज मंदसौर जिले के गरोठ विधानसभा उपचुनाव में पार्टी उम्मीदवार की मदद करने के एवज में चौधरी को प्रलोभन दे रहे हैं, साथ ही पोरवाल समाज के वोट को एकजुट कर भाजपा के पक्ष में मतदान कराने की बात कह रहे हैं।
पिछले विधानसभा चुनाव के दौरान पाटीदार के साथ हुई बातचीत के ऑडियो क्लिप के वायरल होने पर तो हंगामा नहीं हुआ था, मगर गरोठ उपचुनाव से पहले चौधरी से हुई बातचीत का ऑडियो क्लिप सोशल मीडिया पर वायरल होने से मुख्यमंत्री शिवराज विवाद में घिर गए हैं।
कांग्रेस विधायक और पूर्व नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह का कहना है कि शिवराज हमेशा ही चुनाव से पहले प्रलोभन और जातिवाद फैलाकर वोट हथियाने की कोशिश करते हैं। वह बात तो सामाजिक समरसता की करते हैं, मगर पर्दे के पीछे से कटुता फैलाते हैं। यह बात गरोठ विधानसभा उपचुनाव को लेकर सामने आए ऑडियो क्लिप से जाहिर होती है। मुख्यमंत्री को नैतिकता के आधार पर तुरंत अपने पद से इस्तीफा दे देना चाहिए।
वहीं, भाजपा के प्रवक्ता और विधायक विश्वास सारंग ने मुख्यमंत्री का बचाव करते हुए इसे कांग्रेस की ‘डर्टी पॅालिटिक्स’ का हिस्सा बताया है।
उनका कहना है कि सामने आए ऑडियो क्लिप का मसला जांच का विषय है। कांग्रेस हर चुनाव से पहले ऐसा ही करती है और उसे चुनाव में मात खाना पड़ती है। जब उनसे पिछले चुनाव में पाटीदार के साथ बातचीत का ऑडियो क्लिप सामने आना याद दिलाया गया तो उन्होंने ऑडियो क्लिप आने की बात तो स्वीकारी, मगर कहा कि आगे क्या हुआ, इसकी जानकारी उन्हें नहीं है।
वरिष्ठ पत्रकार शिव अनुराग पटैरिया का कहना है कि राज्य के सत्ताधीश हमेशा अपनी पकड़ बनाए रखने के लिए हर तरह के प्रयत्न करते रहे हैं, यह बात अलग है कि आधुनिक तकनीक से अब वे पकड़े जाने लगे हैं। किसी को प्रलोभन देना अनैतिक ही नहीं, गैरकानूनी भी है।
शिवराज का दोबारा स्टिंग और कथित नया ऑडियो क्लिपवायरल होने से उपचुनाव के नतीजे पर चाहे जो असर पड़े, मगर मुख्यमंत्री शिवराज की व्यक्तिगत छवि पर इसका असर जरूर पड़ेगा, क्योंकि उनकी पहचान एक सौम्य व सामाजिक समरसता के समर्थक नेता की रही है।