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मध्यप्रदेश : छात्रसंघ चुनाव में ABVP व NSUI, दोनों के अपने-अपने दावे

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मध्यप्रदेश : छात्रसंघ चुनाव में ABVP व NSUI, दोनों के अपने-अपने दावे
ABVP, NSUI claim victory in first student union polls in Madhya Pradesh since 2012
ABVP, NSUI claim victory in first student union polls in Madhya Pradesh since 2012
ABVP, NSUI claim victory in first student union polls in Madhya Pradesh since 2012

भोपाल। मध्य प्रदेश के महाविद्यालयों और विश्वविद्यालयों के छात्रसंघ के चुनाव हंगामेदार रहे। इन चुनावों में भारतीय राष्ट्रीय छात्र संगठन और अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के बीच जोरदार टक्कर रही। दोनों संगठन अपने खाते में ज्यादा सीटें आने का दावा कर रहे हैं।

एबीवीपी ने छह में से पांच विश्वविद्यालयों में जीत दर्ज करने का दावा किया, तो एनएसयूआई ने साढ़े तीन सौ महाविद्यालयों में जीत का। विश्वविद्यालय की चुनाव प्रक्रिया पर आम आदमी पार्टी की छात्र इकाई ने सवाल उठाए हैं।

राज्य के 533 महाविद्यालयों और छह विश्वविद्यालय के चुनाव हुए। इन चुनावों को लेकर सोमवार की सुबह से ही गहमा-गहमी रही। कई बार हंगामे की स्थिति बनी। इंदौर, भोपाल और जबलपुर में दोनों संगठनों के बीच विवाद की स्थिति बनी, जिसके चलते पुलिस को बल प्रयोग करना पड़ा।

आधिकारिक तौर पर उच्च शिक्षा विभाग की ओर से छात्रसंघ चुनाव का ब्यौरा जारी न किए जाने के चलते भ्रम की स्थिति रात तक बनी रही। एबीवीपी का दावा है कि उसने राज्य के पांच विश्वविद्यालयों बरकतउल्ला विश्वविद्यालय भोपाल, देवी अहिल्या बाई विश्वविद्यालय इंदौर, जीवाजी विश्वविद्यालय ग्वालियर, अवधेश प्रताप सिंह विश्वविद्यालय रीवा, विक्रम विश्वविद्यालय उज्जैन में एबीवीपी ने जीत दर्ज की है। इसके अलावा रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय जबलपुर में एनएसयूआई ने कब्जा किया है।

एनएसयूआई के प्रदेशाध्यक्ष विपिन वानखेड़े का कहना है कि इस चुनाव में भी सरकारी मशीनरी का भरपूर दुरुपयोग किया गया, प्रदेश के मंत्री से लेकर तमाम नेताओं के सक्रिय रहने और विश्वविद्यालय व महाविद्यालय के प्राचार्य, प्राध्यापकों पर दबाव बनाए जाने के बावजूद राज्य के 350 महाविद्यालयों में से 533 महाविद्यालयों पर उनके संगठन का कब्जा हुआ है।

दूसरी ओर, एबीवीपी के संगठन मंत्री विजय अग्रवाल का दावा है कि अधिकांश कालेजों में उनके संगठन के पदाधिकारी जीते हैं और पांच विश्वविद्यालयों में भी जीत दर्ज की है।

भाजपा के प्रदेशाध्यक्ष नंद कुमार सिंह चौहान ने छात्रसंघ के 80 प्रतिशत स्थानों पर एबीवीपी की जीत का दावा करते हुए बधाई दी है। वहीं आम आदमी पार्टी का दावा है कि उनकी छात्र इकाई ने तीन महाविद्यालयों में सभी पद जीते, वहीं छह अध्यक्ष, चार उपाध्यक्ष, पांच सचिव, तीन सहसचिव और 90 कक्षा प्रतिनिधि जीते हैं।

आम आदमी पार्टी की छात्र इकाई के प्रदेश संयोजक निशांत गंगवानी का कहना है कि विश्वविद्यालय के चुनाव की जो प्रकिया अपनाई गई, वह मनमानी रही। इसके लिए सरकार के इशारे पर हर विभाग से एक-एक प्रतिनिधि चुना गया और उसी के वोट से विश्वविद्यालय के चुनाव हो गए। यह प्रक्रिया ही गलत है। इसके खिलाफ उनकी ओर से इंदौर उच्च न्यायालय में याचिका भी दायर की गई है, जिस पर सुनवाई चल रही है।

आधिकारिक तौर पर मिली जानकारी के अनुसार छात्रसंघ चुनाव की प्रक्रिया सोमवार को एक दिन में पूरी हो गई। सुबह के समय कक्षा प्रतिनिधियों का चुनाव हुआ, दोपहर बाद पदाधिकारियों के लिए मतदान हुआ। देर शाम तक नतीजे घोषित किए जाने का दौर चलता रहा। साथ ही शपथ भी दिलाई गई।

राज्य के कई हिस्सों में छात्रसंघ के चुनाव से पहले ही रविवार की रात को हंगामे का दौर चलता रहा। भोपाल के मुंशी प्रेमचंद्र छात्रावास से तीन छात्रों को भी कुछ छात्र अगवा कर ले गए, देर रात को तीनों छात्रों को पुलिस ने खोज निकाला।

बड़वानी में आदिवासी छात्र संगठन ने महाविद्यालय के चुनाव रद्द करने की मांग की। जबलपुर के जीएस महाविद्यालय के चुनाव स्थगित कर दिए गए। अधिकांश कालेजों में गहमा-गहमी रही, क्योंकि लगभग छह वर्ष बाद छात्रसंघ चुनाव हुए।

भोपाल में रविवार की रात को एक महाविद्यालय के प्राध्यापक का ऑडियो कथित तौर पर वायरल हुआ, जिसमें वे एक छात्रा से राष्ट्रहित की बात करते हुए एबीवीपी के छात्र नेता के पक्ष में मतदान करने को कह रहे हैं।

वहीं एबीवीपी की छात्र नेता माला ठाकुर का कहना है कि महाविद्यालयों में अभाविप के पक्ष में माहौल है, उनका संगठन महिला, छात्रा सुरक्षा और उनकी सुविधाएं उपलब्ध कराने के मुद्दे पर चुनाव लड़ा।

छात्रसंघ चुनाव के मद्देनजर सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए गए, भारी पुलिस बल की तैनाती रही, इसके साथ ही महाविद्यालय पहुंच रहे छात्र-छात्राओं को परिचय पत्र होने पर ही प्रवेश दिया गया।