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बढ़ने लगी पेड़ों के बचने की संभावना, आदर्श के संस्थापक से मिले प्रशासनिक अधिकारी

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बढ़ने लगी पेड़ों के बचने की संभावना, आदर्श के संस्थापक से मिले प्रशासनिक अधिकारी
decade old tree fallen by administratio for gaurav path in sirohi
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सबगुरु न्यूज-सिरोही। गौरव पथ के नाम पर दशकों पुराने पेड़ों को काटने के धिक्कारे जाने वाले कार्य केओ रोकने के लिए अब शहर वासी भी रे जाहिर कर रहे हैं। सबगुरु न्यूज के माध्यम से पेड़ों को रिलोकेट किये जाने के विकल्प ओर इसकी तकनीक भारत में ही मौजूद होने की जानकारी सामने आने पर आदर्श चेरिटेबल फाउंडेशन के संस्थापक मुकेश मोदी ने सबसे पहले इन इन पेड़ों को बचाने के लिए प्रशासनिक अधिकारियों को पत्र लिखा और पेड़ों को रिलोकेट किये जाने में आने वाले खर्च को उठाने की इच्छा जताई। इसके बाद रविवार को सिरोही तहसीलदार ने मुकेश मोदी से मुलाकात की।

उन्होंने पेड़ों को रिलोकेट किये जाने की संभावना पर उनसे चर्चा की। इसकी फिसिबिलिटी पर काम करना शुरू भी कर दिया गया है।
-मैनुअल और मेकेनिकल दोनों विकल्प मौजूद
पेडों को रिलोकेट किये जाने के मामले में उत्तर भारत के राज्यो को छोड़ दिया जाए तो कर्नाटक, तमिलनाडु, महाराष्ट्र और गुजरात में बहुत काम हुआ है।

गुजरात में तो पांच साल पहले शुरू किए गए इस काम ने एक अभियान का रूप ले लिए है। और जानकारी भी सामने आई है कि इस पुनीत कार्य के तकनीकी जानकारों में सिरोही जिले के भी कुछ लोग शामिल हैं। पेड़ों को रिलोकेट करने का काम मशीन ओर मैनुअल दोनो तरह से किये जाता है।

गुजरात में इस कार्य में लगे दर्शन पटेल ने सबगुरु न्यूज को बताया कि मशीन से छोटे पेड़ों को रिलोकेट करने में आसानी होती है, लेकिन 30-40 साल से भी पुराने पेड़ों को रिलोकेट करने के लिए मैनुअल काम किया जाता है।

इसमें पेड़ों की जिवितता प्रतिशत 67 से 90 प्रतिशत तक होता है जो सबसे ज्यादा पेड़ों की रेलोकेशनके बाद इनकी देखरेख पर निर्भर करता है।
-सोशल मीडिया पर नेताओं और अधिकारियों को मिल रही धिक्कार
दशकों पुराने पेड़ों को गौरव पथ के नाम पर कटे जाने की सूचना शहर में फैलने पर इसके जिम्मेदार अधिकारियों के साथ नेताओं को भी सोशल मीडिया पर धिक्कारना शुरू कर दिया गया है।

स्थिति ये है कि जिस गौरव पथ के लिए सत्ताधारी दल के नेता ये मानकर बैठे थे कि जनता उन्हें शाबाशी देगी इसके उलट उन्हें धिक्कार मिलनी शुरू हो गयी है। स्थिति ये है कि इन पेड़ों के काटने से कौन लाभ लेना चाह रहा है इस पर भी चर्चा का बाजार गर्म हो गया है।

यदि इन पेड़ों की रिलोकेशन के लिए वाकई गंभीर राजनीतिक और प्रशासनिक प्रयास नही किये गए तो इनकी जड़ों की तरह कई स्थानीय नेताओं की राजनीतिक जमीन भी सिरोही से उठ जाए तो कोई अजूबा नही होगा।