Home Headlines ‘यूपी को ये साथ पसन्द है’ डीलिट, सपा ने दिया अब नया नारा

‘यूपी को ये साथ पसन्द है’ डीलिट, सपा ने दिया अब नया नारा

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‘यूपी को ये साथ पसन्द है’ डीलिट, सपा ने दिया अब नया नारा
after up defeat, samajwadi party coins new slogan
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लखनऊ। उत्तर प्रदेश का विधानसभा चुनाव कई मायनों में बेहद अहम रहा। एक तरफ यह चुनाव भाजपा को प्रचण्ड बहुमत मिलने के कारण सियासी इतिहास में हमेशा याद रखा जाएगा। दूसरी ओर समाजवादी पार्टी और कांग्रेस गठबन्धन ने भी इसे जीतने के लिए हर मुमकिन कोशिश की।

अखिलेश ने जहां पार्टी अध्यक्ष पद से अपने पिता मुलायम सिंह यादव को हटाने के बाद कांग्रेस से गठबन्धन किया, वहीं इस चुनाव में अखिलेश और राहुल की जोड़ी का ‘यूपी को ये साथ पसन्द है’ के रूप में बेहद प्रचार किया गया। हालांकि अब चुनाव नतीजों के बाद स्थिति पूरी तरह बदल चुकी है।

चुनाव जीतने के लिए जिस ट्विटर अकाउंट का दोनों पार्टियां जमकर इस्तेमाल कर रही थीं और हर रैली के बयान का पल-पल अपडेट किया जा रहा था, उसकी अब दोनों ही दल सुध नहीं ले रहे हैं। सपा की बात करें तो पार्टी ने चुनाव से पहले जनवरी 2017 में अपने मीडिया सेल के अधिकृत ट्विटर अकाउंट की शुरूआत की थी। इसमें अखिलेश यादव के नारे ‘काम बोलता है’ को प्रमुखता से जगह दी गई।

इसके बाद चुनाव में लोगों तक अपनी बात पहुंचाने और विरोधियों के हर वार का पलटवार करने में इसका खूब इस्तेमाल किया गया। सियासी रैलियों के हर प्रमुख बयान को इस अकाउंट के जरिए लोगों तक पहुंचाया गया, लेकिन अब यहां सन्नाटा पसरा हुआ है। अखिलेश का मीडिया सेल पूरी तरह खामोश हो चुका है।

यहां 7 मार्च को रिट्वीट किया गया था, जिसमें अखिलेश यादव ने कहा है ‘प्रधानमंत्री मोदी जी को भाजपा के लोगों ने ही गलत जानकारी दी।’ कुछ इसी तरह का हाल कांग्रेस के यूपी पीसीसी अधिकृत ट्विटर अकाउंट का है। अब यहां भी सियायी गतिविधियां पूरी तरह शान्त हो चुकी हैं। इस अकाउंट में राहुल और अखिलेश की तस्वीर के साथ दोनों पार्टियों का नारा, ‘यूपी को ये साथ पसन्द है’ अभी भी नजर आ रहा है।

वहीं आखिरी ट्वीट सातवें और अन्तिम चरण के मतदान 08 मार्च को किया गया था। जिसमें कहा गया है, ‘गठबंधन को अपना समर्थन देने के लिए और हर चरण में भारी मतों को देने लिए, आप सभी का ह््रदय से धन्यवाद!’ इसके बाद यहां भी सन्नाटा पसरा हुआ है।

खास बात है कि सपा के मुकाबले कांग्रेस का यह ट्विटर अकाउंट काफी पहले सितम्बर 2013 से सक्रिय है, लेकिन सियासी गतिविधियां खत्म होने के बाद अब पार्टी नेताओं को इसमें दिलचस्पी नहीं है। खास बात है कि इसके मुकाबला भाजपा का ट्विटर अकाउंट अभी भी लगातार अपडेट किया जा रहा है।

इसमें मुख्यमंत्री आदित्यनाथ योगी से फैसलों से लेकर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह के नेतृत्व में एक भारत, श्रेष्ठ भारत बनाने का भी जिक्र है। देखा जाए तो सपा और कांग्रेस दोनों ही दलों ने अपनी मैनजमेन्ट टीम के साथ एक वॉर रूम बनाकर यह चुनाव लड़ा था।

इसमें आईटी विशेषज्ञ जोड़े गए थे, लेकिन चुनाव नतीजों के बाद सभी की विदाई कर दी गई है और अब पार्टी नेताओं को भी यह अकाउंट रास नहीं आ रहा है। राजनैतिक विश्लेषक दोनों ही दलों की इस मानसिकता को लोकतंत्र में सही नहीं मानते।

कई लोगों ने कहा है कि चुनाव जीतने और हारने का अकाउंट बन्द होने या सक्रिय नहीं होने से सरोकार नहीं होना चाहिए। बेहतर होता कि दोनों दल लगातार इसके जरिए अपनी बात सामने रखते और जनता के बीच पहुंचाते, लेकिन जिस तरह से इन्होंने अपने ही बनाए अकाउंट को लेकर नीरसता बरती है, उससे अच्छा सन्देश नहीं जाएगा।

खासतौर से तब जब एक समय दोनों ही दल इसमें मिनट-मिनट पर कई ट्वीट कर रहे थे। जनता से हर माध्यम पर जुड़ाव होना बेहद जरुरी है। एक बार किसी भी तरह की पहल शुरू हो गयी, तो सिलसिला बरकरार रखना चाहिए।

बहरहाल उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में मिली करारी शिकस्त के बाद समाजवादी पार्टी ने सबसे पहले अपना पुराना स्लोगन चेंज किया है। सोमवार को समाजवादी पार्टी ने पुराना नारा काम बोलता है को बदलकर नया स्लोगन तैयार किया है। सपा का अब नया नारा होगा- ‘आपकी साइकिल सदा चलेगी आपके नाम से,फिर प्रदेश का दिल जीतेंगे हम मिलकर अपने काम से’।