Home Rajasthan Ajmer अजमेर शहर के प्रमुख मार्गों से निकले दो पथ संचलन

अजमेर शहर के प्रमुख मार्गों से निकले दो पथ संचलन

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अजमेर शहर के प्रमुख मार्गों से निकले दो पथ संचलन
ajmer rss path sanchalan 2017
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अजमेर। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ अजयमेरू महानगर द्वारा संघ के स्थापना के 92 साल पूर्ण होने पर विजयादशमी उत्सव शक्ति पूजन कार्यक्रम के साथ उत्साह पूर्वक राजकीय मोईनिया विद्यालय के मैदान पर शनिवार सुबह मनाया गया। 

इस अवसर पर अजमेर महानगर में दो पथ संचलन निकाले गए, जिनमें एक पथ संचलन में 10वीं व इससे बड़ी कक्षाओं में अध्ययनरत विद्यार्थी, व्यवसायी, कर्मचारीगण सम्मिलित थे और दूसरा बाल पथ संचलन था जिसमें कक्षा 6 से 9 में अध्ययनरत विद्यार्थियों ने भाग लिया।

उत्सव के मुख्य अतिथि पंजाब नेशनल बैंक के महाप्रबंधक पद से सेवानिवृत्त तथा समाज के चिंत व विचारक वेद माथुर ने कहा कि हम सभी हिन्दुओं को जागृत करने के पावन कार्य में लगे हैं। हिन्दुओं को संगठित करने का अनुकूल वातावरण बन गया है।

संघ के प्रति वर्तमान समाज में यह धारणा ओर प्रचारित करने की आवश्यकता है कि स्वयंसेवक हमारा परम मित्र है। संघ शक्ति के कारण समाज कंटक आज स्वयं को असुरक्षित महसूस कर रहे है, यह अच्छी बात है। शाखाओं में न जाने वाले समाजबन्धु भी आज संघ की कार्यपद्धति से सहमत हैं।

उन्होंने कहा कि हमें अपने उत्सवों को उत्साह से मनाना चाहिए। हिन्दू धर्म विश्व का सर्वश्रेष्ठ वैज्ञानिक धर्म है जिसकी विदेशों में भी आस्था बढ़ रही है। हमें संगठित होकर अपने धर्म को विकृत करने का प्रयत्न करने वालों को हतोत्साहित करना है। समाज कुछ मुद्दों पर गहन विचार करना आवश्यक है जिसमें जनसंख्या असंतुलन, हिंसा बढ़ना, कट्टरता बढ़ना। अन्यथा यह देश जिसकी हम वंदना करते हैं, उसी देश में रहने लायक नहीं बचेंगे।

हमें समाज के हित की बातें फैलानी चाहिए जैसे स्वच्छता की भावना, चीनी वस्तुओं का विरोध, गौ रक्षा। इस अवसर पर स्वयंसेवकों का मार्गदर्शन करते हुए संघ के चितौड़ प्रान्त के शारीरिक शिक्षण प्रमुख कार्तिकेय नागर ने कहा किसी भी विजय के लिए कर्म की श्रेष्ठता के साथ सिद्धता आवश्यक है। हमारे यहां धर्म और कर्म को जोड़ा गया है। हमारे यहाँ अपने कर्त्तव्य को श्रेष्ठता से पूर्ण करना ही धर्म बताया गया है।

सतयुग में राजा हरीशचन्द्र, त्रेता में राम और द्वापर में श्रीकृष्ण ने अपने कर्म से यह सिद्ध किया। कलयुग में महाराणा प्रताप, शिवाजी व सिक्ख गुरूओं ने इसी कर्म की पराकाष्ठा से धर्म को स्थापित किया। कर्म की यही प्रेरणा लेकर डॉ. हेडगेवार जी ने सन 1925 में संघ की स्थापना की।

इस इतिहास सम्मत कार्य पद्धति का निर्माण कर शाखा तंत्र दिया। इस पद्धति ने समाज के विभिन्न क्षेत्रों में सुव्यवस्थित कार्य करने वाले कार्यकर्ता दिए हैं। वर्तमान सरसंघ चालक  मोहनराव भागवत ने समरसता का मंत्र दिया-एक कुआं, एक शमशान और एक मंदिर।

श्रीराम ने शबरी के झूठे बेर खाए, वनवासियों को संगठित कर रावण से युद्ध किया। राणा प्रताप ने भीलों के सहयोग से मुगल बादशाह अकबर का सामना किया। आज यही स्मरण करने का अवसर है। हमारी शक्ति को इजराइल जैसे शक्तिशाली देश ने पहचाना है और हमें सम्मान दिया है।

हम यह विजय का पर्व ऐसे ही नहीं मना सकते। हमें अपने संगठन को ओर मजबूत बनाना होगा और यह संदेश देना होगा कि हम विजय की ओर बढ़ते जा रहे हैं। कार्यक्रम के उपरांत घोष की धुन के साथ शहर के प्रमुख मार्गों से अपने पूर्व निर्धारित समयानुसार पथ संचलन निकाला गया। संचलन का भव्य स्वागत महानगर के प्रमुख सामाजिक, व्यापारिक संगठनों द्वारा पुष्प वर्षा के साथ किया।

प्रथम पथ संचलन का मार्ग (10वीं व बड़ी कक्षाओं में अध्ययनरत विद्यार्थी, व्यवसायी व कर्मचारीगण) जिसका मार्ग राजकीय मोईनिया विद्यालय (आरम्भ), क्लॉक टॉवर, कस्तूरबा अस्पताल, गाँधी भवन चौराहा, चूड़ी बाजार प्रवेश, गोल प्याऊ, नया बाजार चौपड़, आगरा गेट (गणेश मन्दिर), नसियाँ जी, महावीर सर्किल, गंज गुरूद्वारा, दिल्ली गेट, धान मण्डी, दरगाह शरीफ, नला बाजार, मदार गेट, कवंडसपुरा, अपना बाजार होते हुए राजकीय मोईनिया इस्लामिया विद्यालय के मैदान पर समापन हुआ।

दूसरा बाल पथ संचलन का मार्ग राजकीय मोईनिया विद्यालय से आरम्भ होकर प्लाजा सिनेमा, झूलेलाल मन्दिर, हालानी दरबार, ठठेरा चौक, ऊसरी गेट, पद्म डेयरी, केसरगंज गोल चक्कर, डी.ए.वी. विद्यालय, केसरगंज पुलिस चौकी, पंजाब एण्ड सिन्ध बैंक तिराहे से पुनः राजकीय मोइनिया विद्यालय मैदान पर सम्पन्न हुआ।

कार्यक्रम में विभाग संघचालक बसंत विजयवर्गीय, महानगर संघचालक सुनीलदत्त जैन, सह संघचालक जगदीश सिंह राणा, संघ के वरिष्ठ कार्यकर्ता पुरुषोत्तम परांजपे और मोहनलाल खंडेलवाल भी उपस्थित थे।