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एसबीआई में विलय से खफा बैंककर्मी 12 और 13 को करेंगे हड़ताल

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एसबीआई में विलय से खफा बैंककर्मी 12 और 13 को करेंगे हड़ताल
bank unions to go ahead with strike on july 12, 13 over merger of banks
bank unions to go ahead with strike on july 12, 13 over merger of banks
bank unions to go ahead with strike on july 12, 13 over merger of banks

नई दिल्ली। सहयोगी बैंकों का एसबीआई में विलय होने के विरोध में सभी पांच सहयोगी बैंकों ने 12 और 13 जुलाई को हड़ताल करने का आह्वान किया है। इस प्रक्रिया के विरोध में देशभर के 45 हजार से अधिक बैंक कर्मी हड़ताल पर रहेंगे।

सरकार ने एसबीआई के साथ उसके पांच सहयोगी बैंकों -स्टेट बैंक ऑफ बीकानेर और जयपुर, स्टेट बैंक ऑफ त्रावणकोर, स्टेट बैंक ऑफ पटियाला, स्टेट बैंक ऑफ मैसूर और स्टेट बैंक ऑफ हैदराबाद के साथ ही भारतीय महिला बैंक के विलय को मंजूरी दे दी है।

एआईबीईए ने प्रस्तावित विलय के विरोध में एसबीआई के पांच सहयोगी बैंकों के 45 हजार कर्मचारियों से 12 जुलाई को हड़ताल करने का आह्वान किया है। एआईबीईए ने अगले दिन 13 जुलाई को सभी बैंकों के कर्मचारियों की हड़ताल की योजना के समर्थन की भी घोषणा की है।

बैंककर्मियों के हड़ताल से इन दोनों दिनों में बैंकों के उपभोक्ताओं को काफी परेशान होगी। हालाकि विलय कब होगा इसको लेकर तिथि का निर्धारण नहीं हो पाया है लेकिन केंद्रीय बोर्ड की बैठक में यह निर्णय लिया गया कि मार्च 2017 तक इन बैंकों का विलय कर दिया जाएगा।

प्रबंधन के साथ बैंक कर्मचारियों के प्रतिनिधियों की वार्ता शुक्रवार को विफल होने के बाद बैंककर्मियों ने 12 और13 जुलाई को हड़ताल पर जाने का फैसला किया है। इस खबर की जानकारी देते हुए यूनियन नेता सी.एच. वेंकटचलम ने कहा कि एसबीआई के साथ उसके सहयोगी बैंकों के विलय और आईडीबीआई के निजीकरण का विरोध कर रहे कर्मचारियों को प्रबंधन ने कोई ठोस प्रस्ताव नहीं दिया।

केंद्र सरकार के मुख्य श्रम आयुक्त ने अपने कार्यालय में शुक्रवार को वार्ता आयोजित की थी। वार्ता में वित्त सेवा विभाग के अधिकारियों, भारतीय बैंक संघ (आईबीए) के प्रतिनिधियों, एसबीआई के पांच सहयोगी बैंकों के प्रतिनिधियों और संघ के नेताओं ने भाग लिया।

वेंकटचलम ने कहा कि इच्छित और जानबूझकर बकाएदारों के खिलाफ कड़े कदम उठाने की जगह सरकार लोगों का ध्यान भटकाने के लिए बैंकों के निजीकरण और एकीकरण जैसे कदम उठा रही है।

उन्होंने कहा कि संघों ने एसबीआई के साथ उसके पांच सहयोगी बैंकों के प्रस्तावित विलय, आईडीबीआई के प्रस्तावित निजीकरण और इस तरह के अन्य कदमों को अवांछित बताया।