Home Latest news हैरतअंगेज सिरो को खोलता ‘पिंजौर गार्डन’

हैरतअंगेज सिरो को खोलता ‘पिंजौर गार्डन’

0
हैरतअंगेज सिरो को खोलता ‘पिंजौर गार्डन’

ऊंचाई से गिरता, फिर इठलाकर बहता पानी और साथ में फव्वारों के रूप में नृत्य करता जल। पड़ौस में हरी मखमली घास पर बिखरी बूंदों को मोतियों सी दमकाती धूप। क्यारियों में खुशबू बिखेरते दर्जनों किस्म के रंग-बिरंगे फूलों से सराबोर चंडीगढ़ का पिंजौर गार्डन। यह है बगीचे का अतीत से लेकर वर्तमान तक का सुहाना सफर।

HOT NEWS UPDATE VIDEO: चौका देगा आपको कटरीना कैफ का यह MMS

यह गार्डन हैरतअंगेज और जिज्ञासाओं के नए-नए सिरे खोलता है। महाभारत काल से मुगल काल तक का इतिहास समेटे पिंजौर गार्डन आज आधुनिक काल में भी लोगों का दिल बहला रहा है। इसे ‘यादविंद्र उद्यान’ के नाम से भी जाना जाता है क्योंकि भूतपूर्व महाराजा पटियाला यादविंद्र सिंह ने इसका जीर्णोद्धार करवाया था। दिल्ली-शिमला राजमार्ग पर चंडीगढ़ से 22 किलोमीटर दूर शिवालिक पर्वतमालाओं से घिरा ‘पिंजौर’ मुगल बादशाहों का पसंदीदा स्थल रहा है।

HOT NEWS UPDATE VIDEO: घोड़े जैसी सेक्स शक्ति पाने का राज़ आइये जाने

इतना ही नहीं, कई धार्मिक व ऐतिहासिक मान्यताएं भी इस स्थल से जुड़ी हुई हैं। इस बगीचे में शीशमहल, रंगमहल और जलमहल जैसे दर्शनीय स्थल भी हैं। रंगमहल स्थापत्य कला का नायाब नमूना है, इसके स्तंभों पर कमाल की नक्काशी हुई है। यहां हर साल जून-जुलाई के महीने में ‘मैंगो फेस्टिवल’ का जायकेदार आयोजन होता है।

जुड़ती हैं इतिहास की कड़ियां

महाभारत काल में इस गार्डन को पंचपुरा के नाम से जाना जाता था। मान्यता है कि पांडवों ने बारह साल के वनवास के बाद अज्ञातवास का तेरहवां वर्ष यहीं शिवालिक पर्वतमालाओं में गुजारा था। महाभारत काल का यही पंचपुरा कालांतर में पंजपुरा बना और फिर अपभ्रंश होकर पिंजौर बन गया। इस तरह पिंजौर के उद्भव की कहानी महाभारत काल से शुरू होती है और फिर इसमें इतिहास की कई कड़ियां जुड़ती चली जाती हैं।

HOT NEWS UPDATE VIDEO: बॉलीवुड की इन हसीनाओं ने दी हॉलीवुड की हीरोइनों को टक्कर

17वीं शताब्दी के उत्तरार्द्ध में जब पिंजौर में मुगलों के कदम पड़े तो उन्होंने इसे एक मनोरम पर्यटन स्थल का रूप दे दिया। पर्यटन मानचित्र पर इसे लाने का श्रेय नवाब फिदई खां को जाता है जो शाहजहां के दत्तक पुत्र थे और औरंगजेब भी उनकी बहुत कद्र करते थे। फिदई खां प्रकृति प्रेमी होने के साथ-साथ अच्छे वास्तुकार भी थे। यहां की नैसर्गिक छटा ने उसके दिमाग में एक सपना बनाया, जिसकी परिणति फिर एक सुंदर उद्यान के रूप में हुई। मुगल शैली का बाग और उद्यान आज भी पिंजौर की शान है।

HOT NEWS UPDATE VIDEO: बॉलीवुड के रोमांटिक गानों की शूटिंग कैसे होती है ? जाने

फिदई खां ने यहां अपनी बेगमों के लिए महलों का निर्माण भी करवाया था। उनकी बेगमें भी इस स्थल की खूबसूरती की दीवानी थीं। सन 1675 में यह क्षेत्र सिरमौर नरेश के कब्जे में चला गया। यहां की खूबसूरती को बरकरार रखने में उनकी कोई रुचि नहीं थी लेकिन उनके पास भी यह स्थल ज्यादा दिनों तक नहीं रहा। महाराजा पटियाला की निगाह भी इस क्षेत्र पर काफी अरसे से थी इसलिए जल्द से जल्द उन्होंने इस क्षेत्र पर हक जमा लिया और पिंजौर पटियाला रियासत का अंग बन गया। महाराजा पटियाला ने यहां की शान-ओ-शौकत बरकरार रखने के लिए कई कदम उठाए।

वर्ष 1966 में एक अलग राज्य के रूप में अस्तित्व में आने के बाद हरियाणा सरकार ने इस गार्डन को एक पर्यटन स्थल के रूप में विकसित किया और अगले ही वर्ष इसे देश-विदेश के सैलानियों के लिए खोल दिया गया।

बेहतरीन कला का नमूना

पिंजौर गार्डन मुगलों की उत्कृष्ट उद्यान कला का जीता-जागता नमूना है। इस उद्यान में प्रकृति झूमती, गाती और इठलाती दिखाई देती है। उद्यान का खाका चारबाग शैली पर आधारित है जो मुगल उद्यान पद्धति की विशेषता है। अर्धचंद्राकार फाटक से घुसते ही तल में प्रवेश किया जाता है जो देवदार और पाम के विशाल पेड़ों से घिरा है। पिंजौर उद्यान में शीशमहल, रंगमहल और जलमहल जैसे दर्शनीय स्थल हैं।

HOT NEWS UPDATE VIDEO: लड़की से फ्रेंडशिप करे बस कुछ मिनटो में…

शीशमहल तो अपनी तरह का अनूठा महल है जो उद्यान के शीर्ष पर बना है, इसके भीतरी कक्ष की छत शीशे के टुकड़ों से सुसज्जित है। संभवत: इसीलिए इसका नाम शीशमहल पड़ा है। महल के झरोखे और छत पर बनी भव्य छत देखते ही बनती है। यहां से मुगल शैली में निर्मित लॉन शुरू होता है जिसके बीच से एक सुंदर नहर गुजरती है। अगली मंजिल पर आता है रंगमहल। स्थापत्य कला का नायाब नमूना। इसके स्तभों और मेहराबों पर कमाल की नक्काशी हुई है।

रंगमहल के मंडप की जाली से सामने दिखता है भव्य जलमहल। परीलोक की गाथा सुनाता यह महल किसी आश्चर्य लोक से कम नहीं है। जलमहल के चारों ओर बने फव्वारे महल को शीतल बयारों से सराबोर कर देते हैं।

आम के लिए मशहूर

देश में मुगल काल में बने उद्यानों में फलदार वृक्षों की फारसी शैली अपनाई गई थी। इसलिए भारत के अन्य मुगल बागों की अपेक्षा पिंजौर गार्डन में फलों के बाग अभी भी सुरक्षित हैं और फिदई खां के दौर की दास्तां सुनाते हैं। आम, लीची व जामुन के पेड़ यहां बहुतायत में हैं। आमों की तो यहां इतनी किस्में हैं कि हर वर्ष आम प्रदर्शनी (मैंगो फेस्टिवल) का आयोजन भी किया जाता है।

HOT NEWS UPDATE देखिये 10 बेहतरीन गेम्स जो की हो गए है banned

देशी-विदेशी फूलों की महक भी यहां आगंतुक को मदमस्त कर देती है। बाग के टैरेस के साथ दोनों तरफ आम के बगीचे लगे हैं। यहां हर साल जून-जुलाई के महीने में मैंगो फेस्टिवल का जायकेदार आयोजन होता है जिसमें उत्तर भारत में उगाए जा रहे विभिन्न किस्म के आम पेश किए जाते हैं। मजेदार बात यह है कि पिंजौर गार्डन में ही ‘गदा’ आम (आम की एक किस्म) होता है जिसके एक फल का वजन दो किलो तक हो सकता है।

HOT NEWS UPDATE VIDEO: लिप्स KISS लेते समय कभी ना करें ये गलती, वरना

यहां आम की अन्य किस्मों के अलावा केले, चीकू, आडू, अमरूद, नाशपाती, लोकाट, बीजरहित जामुन, हरा-बादाम व कटहल के काफी पेड़ हैं। यहां आप किसी भी मौसम में जाएं, कोई न कोई फल उपलब्ध रहता है। यहां मुगल गार्डन, जापानी बाग, प्लांट नर्सरी के साथ-साथ मोटेल गोल्डन ओरिएंट रेस्तरां, शॉपिंग आॅर्केड, मिनी चिड़ियाघर, ऊंट की सवारी, व्यू गैलरी, कांफ्रेंस रूम व बैकिंग सुविधा भी उपलब्ध है। यहां आकर सैलानियों को मुगल सांस्कृतिक विरासत का अनूठा अहसास होता है।

आपको यह खबर अच्छी लगे तो SHARE जरुर कीजिये और  FACEBOOK पर PAGE LIKE  कीजिए,  और खबरों के लिए पढते रहे Sabguru News और ख़ास VIDEO के लिए HOT NEWS UPDATE