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नीतियों के अव्यवहारिक मापदण्ड हैं किसान के कर्ज का कारण

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नीतियों के अव्यवहारिक मापदण्ड हैं किसान के कर्ज का कारण

उदयपुर। देश के हर कोने में किसानों के कर्ज में डूबे होने की समस्या उभर कर आ रही है। इस समस्या के पीछे सरकारी नीतियों के अव्यवहारिक और दोहरे मापदण्ड हैं। सरकारी नीतियों के दोहरे मापदण्डों की गहन समीक्षा कर उनमें बदलाव के प्रयास जरूरी हैं।

यह बात उदयपुर में चल रही भारतीय किसान संघ की अखिल भारतीय कार्यकारिणी की तीन दिवसीय बैठक के दूसरे दिन सभी प्रांतों के पदाधिकारियों की समीक्षा में उभर कर आई।

भारतीय किसान संघ के अखिल भारतीय अध्यक्ष आई. एन. बस्वेगौड़ा, अखिल भारतीय संगठन मंत्री दिनेश कुलकर्णी, अ.भा. महामंत्री बद्रीनारायण चौधरी सहित वरिष्ठ अधिकारियों के मार्गदर्शन में हो रही इस बैठक में देश के 34 प्रांतों से आए अध्यक्ष, महामंत्री, संगठन मंत्री एवं कोषाध्यक्षों ने अपने-अपने क्षेत्र की स्थिति, समस्याओं, जरूरतों, किसान संघ के प्रयासों, आगे की कार्ययोजना आदि विषयों पर सामूहिक रूप से चर्चा की।

बैठक में मुख्य रूप से यह चर्चा सामने आई कि कर्जमाफी स्थायी समाधान नहीं है, कर्जमाफी में भी अनियमितताओं के अनुभव सामने आते हैं। ऐसे में किसानों के लिए ऐसी नीति बनानी होगी जिससे किसान हमेशा के लिए कर्जमुक्त रहे।

बैठक में न्यूनतम समर्थन मूल्य को लेकर भी चर्चा हुई और कहा गया कि न्यूनतम समर्थन मूल्य को वास्तविक लागत मूल्य के आधार पर तय किया जाना चाहिए।

किसान के लिए बनाई गई मंडियों में किसान को अपनी फसल उसके मूल्य से बेचने का मौका मिले। नीलामी में भी न्यूनतम दर की पालना की नीति बने। यह बात भी उठी कि जब सरकार किसी वस्तु को आयात करते समय ऊंचा भाव दे सकती है, तो किसान के लिए फसल की लागत के अनुरूप दर क्यों नहीं तय कर सकती।

किसानों को बैंक लोन के मामले में भी नियमों में सुधार की आवश्यकता महसूस की गई। बैंक 31 मार्च तक लोन वापस जमा कराने की शर्त रखता है, इसके बाद किसान को पूरा ब्याज चुकाना होता है। चर्चा में इस शर्त को अव्यवहारिक माना गया। जब तक सरकारी खरीद नहीं होगी तब तक किसान फसल को कहां ले जाकर बेचेगा और लोन कहां से चुकाएगा। सरकारें अप्रेल में खरीद की घोषणा तो करती है, लेकिन खरीद शुरू नहीं करती।

इसी तरह, फसल बीमा में भी पूरी पंचायत को इकाई मानने की शर्त को अव्यवहारिक माना गया। जब प्रीमियम व्यक्ति के स्तर पर लिया जा रहा है तो भरपाई के नियम भी व्यक्ति के स्तर के अनुरूप ही बनने चाहिए। मंडियों में इलैक्ट्राॅनिक कांटों को लगाने में देरी, जैविक खेती, किसानों को सीधे उपभोक्ता से जोड़े जाने जैसे अन्य कई मुद्दों पर भी बैठक में चर्चा हुई।

गऊमाता के आशीर्वाद के साथ शुरू हुई बैठक

बैठक से पहले गऊमाता का आशीर्वाद, हल और मक्का की फसल का पूजन किया गया। देश की कृषि आधारित अर्थव्यवस्था के इन मूल आधारों के पूजन के साथ दूसरे दिन की बैठक का शुभारंभ हुआ।