Home Rajasthan Ajmer मंत्री देवनानी के खिलाफ कोर्ट की चौखट पर पहुंची ब्राह्मण संघर्ष समिति

मंत्री देवनानी के खिलाफ कोर्ट की चौखट पर पहुंची ब्राह्मण संघर्ष समिति

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मंत्री देवनानी के खिलाफ कोर्ट की चौखट पर पहुंची ब्राह्मण संघर्ष समिति

अजमेर। शिक्षा मंत्री वासुदेव देवनानी द्वारा ब्राह्मण समाज के विरूद्ध अपमानजनक टिप्पणी करने के विरोध में ब्राह्मण संघर्ष समिति ने गुरुवार को मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट एवं सिविल न्यायाधीश (व.ख.) के समक्ष इस्तगासा पेश किया।

राजस्थान ब्राह्मण महासभा के जिलाध्यक्ष पण्डित सुदामा शर्मा ने अधिवक्ता अजय त्रिपाठी के माध्यम से दायर इस्तगासे पर वर्तमान बार एसोसिएशन उपाध्यक्ष सत्यनारायण हावा, विवेक पाराशर, कृष्णगोपाल जोशी, योगेन्द्र ओझा, गौरव उपमन्यु, विवेक पारिक, ब्रजेश पाण्डे, मुकेश मिश्रा, पंकज मिश्रा, खुशबू पाराशर सहित 51 ब्राह्मण अधिवक्ताओं ने हस्ताक्षर किए। न्यायालय ने इस्तागासा स्वीकार कर अगली सुनवाई के लिए 26 मई की तारीख तय की।

इस्तागासे में भारतीय दंड संहिता की धारा 499, 500, 501, 502 के अन्तर्गत 13 बिन्दुओं के तहत आरोप लगाए गए हैं।

पण्डित सुदामा शर्मा ने इस्तगासे में कहा है कि 8 अप्रेल को देवनानी द्वारा जयपुर में राजस्थान शिक्षक संघ (राष्ट्रीय) के आयोजित व्याख्यान माला में समस्त ब्राह्मणों पर कटाक्ष किया और कहा कि दुनिया का हर ब्राह्मण व्यक्ति बिना किसी योग्यता के ही अपने नाम के आगे पण्डित शब्द लगा लेता है, जबकि हर ब्राह्मण में पांडित्य नहीं होता, और उन्होंने यह भी कहा कि किसी ने अपनी नाम के आगे पण्डित लगा लिया, तो इसके लिए कोई डिग्री की आवश्यकता होती है।

यही वक्तव्य अप्रार्थी वासुदेव देवनानी ने जयपुर के इन्द्रलोक सभागार में आयोजित कार्यक्रम में पत्रकारों से बातचीत के दौरान भी कहा जो कि 9 अप्रेल को पंजाब केसरी राष्ट्रीय प्रतिष्ठित समाचार पत्र में प्रकाशित हुआ।

वासुदेव देवनानी द्वारा पत्रकारों से वार्ता के दौरान जिस लहजे से ब्राह्मण पण्डितों के विरूद्ध टिप्पणी की, उसके वीडियो का कुछ अंश सोशल मीडिया पर वायरल भी हुआ, जिसमें उक्त वक्तव्य देते वक्त उनके द्वारा हंसते हुए समस्त ब्राह्मण समुदाय की खिल्ली उड़ाई, जिससे समुचा ब्राह्मण समाज आहत हुआ है।

उक्त वीडियों वाट्सअप पर परिवादी ने अपने घर पर उपरोक्त वर्णित निवास के पते पर देखा और राष्ट्रीय प्रतिष्ठित समाचार पत्र पंजाव केसरी में पढ़ा तो वह अप्रार्थी की इस टिप्पणी से ना केवल आहत हुआ बल्कि उसे गहरा आघात भी पहुंचा।

जो वक्तव्य अप्रार्थी वासुदेव देवनानी द्वारा दिया गया है, वह राजस्थान सरकार का जिम्मेदार पद पर आसीन होकर शिक्षा राज्यमंत्री है और अजमेर उत्तर विधान सभा क्षेत्र से विधायक भी है तथा ऐसे पद पर आसीन व्यक्ति से ब्राह्मण पण्डित समुदाय पर कथित टिप्पणी हंसते हुए, खिल्ली उड़ते हुए सम्पूर्ण समाज को अपमानित करने की उम्मीद नहीं की जा सकती है, बावजूद इसके उनके द्वारा जो कृत्य किया गया है, वह ना केवल निन्दनीय है, बल्कि वे उक्त कृत्य के लिए दण्ड के भागी भी है।

अप्रार्थी द्वारा अपने नाम के आगे प्रोफेसर लगाने को लेकर एक याचिका राजस्थान हाईकोर्ट में ब्राह्मण पण्डित समुदाय के व्यक्ति द्वारा किए जाने पर जब उन्हें सम्बन्धित रिट याचिका के नोटिस मिले, तब उनके द्वारा सम्पूर्ण ब्राह्मण पण्डित समुदाय पर ही कटाक्ष करते हुए अपनी कुटिल व व्यंग्यात्मक हंसी व खिल्ली उड़ते हुए जिस लहजे में की, वह कदाचित उचित मुनासिब नहीं है और उनके इस कृत्य से उनके राजस्थान सरकार में उच्चासिन जिम्मेदार पद पर आसीन होने से सरकार की भी प्रतिष्ठा व साख को काफी धक्का पहुंचा है। जिसके लिए अप्रार्थी स्वयं व्यक्तिगत रूप से जिम्मेदार है।

अप्रार्थी द्वारा अपने नाम के आगे प्रोफेसर लगाने को लेकर लोकेश शर्मा नामक व्यक्ति ने होईकोर्ट में याचिका प्रस्तुत की थी और उनके द्वारा अप्रार्थी द्वारा बिना अधिकार के व बिना पात्रता के प्रोफेसर के प्रोफेसर लगाने को लेकर मुख्यमंत्री तक को शिकायत प्रस्तुत की थी और उनके द्वारा मात्र स्नातक योग्यता रखने पर उनकी शिकायत अखिल राजस्थान विद्यालय शिक्षक संघ के प्रदेश अध्यक्ष रामकृष्ण अग्रवाल ने भी की।

राज्य सरकार के शिक्षा राज्यमंत्री अप्रार्थी वासुदेव देवनानी को राजस्थान विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति जे.पी. सिंगल के केस से सबक लेने व अपने नाम के आगे प्रोफेसर लगाना बंद करने बाबत मुख्यमंत्री से शिकायत भी की और उनके पास किसी विश्वविद्यालय की ओर से मानद उपाधि भी नहीं होने से भी अपने नाम के आगे प्रोफेसर नहीं लगा सकने बाबत वक्तव्य भी दिया।

प्रार्थी द्वारा दिए गए उपरोक्त समस्त वक्तव्य व उल्लेखित तथ्य प्रतिष्ठित समाचार पत्र पंजाब केसरी में 9 अप्रेल ‘बिना डिग्री ब्राह्मण नाम के आगे पण्डित क्यों लगाते हैं’ के शीर्षक से प्रकाशित खबर से हुई तथा उपरोक्त समाचार प्रकाशित होने पर जो प्रार्थी द्वारा जो लान्छन संपूर्ण ब्राह्मण पण्डित समाज पर लगाते हुए दुर्भावना पूर्वक संपूर्ण ब्राह्मण पंडित समुदाय की ख्याति को क्षति पहुंचाने के उद्देश्य से कहे गए और प्रकाशित हुए, जिससे प्रार्थी जो ब्राह्मण पंडित समुदाय का एक प्रतिष्ठित व्यक्ति है, उसकी भी मानहानि हुई और वह आहत हुआ।