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हाल वही तो कम्पलीशन रिपोर्ट कैसी!

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हाल वही तो कम्पलीशन रिपोर्ट कैसी!

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सिरोही। ब्यावर- पिण्डवाडा के फोरलेन में तब्दील करने के एमओयू और ठेके के बाद से इस पूरे हाइवे को ठेका लेने वाली कम्पनी एलएण्डटी के सुपुर्द कर दिया गया था। मेमेरेण्डम आॅफ अंडरस्टैंडिंग के अनुसार इसके बाद इस सडक की सूंपूर्ण देखरेख एलएण्डटी को करनी थी।

जब तक बीओटी की पूरी राशि वसूल नहीं करती तब तक सिरोही में साणेश्वर मोड से हाउसिंग बोर्ड, गोयली चैराहा, अनादरा चैराहा, भाटकडा चैराहा, कलक्टरी चैराहा पीएचईडी चैराहे से बाहरीघाटा तक की सम्पूर्ण मार्ग को दुरुस्त रखने की जवाबदारी सिर्फ और सिर्फ एलएण्डटी की है। सेफटी कंसल्टेंट ने इस मार्ग की बदहाली की रिपोर्ट भी एनएचएआई को भेजी थी। जब एनएचएआई ने एलएण्डटी से जवाब तलब किया तो एक अप्रेल से बाहरी घाटा सेक्शन को शुरू करने और टोल वसूलने की जल्दबाजी में 21-23 फरवरी को एक मेल भेजकर एनएचएआई को यह जवाब दिया कि उसने उक्त पूरे मार्ग को दुरुस्त कर दिया है। एक कम्पलीशन रिपोर्ट भेज दी। अब सिरोही वासी ही बताएं कि उक्त मार्ग को कौनसा इलाका एलएण्डटी ने फरवरी तक बिल्कुल दुरुस्त कर दिया है।

हर मोड की ले रहे हैं रिपोर्ट
एनएचएआई ने हाइवे के एक्सीडेंट फ्री बनाने के लिए सेफटी कंसल्टेंट की नियुक्ति की है। इस कंसटिंग कम्पनी के इंजीनियर ब्यावर से पिण्डवाडा के बीच फोरलेन बनने के बाद हुए हादसों और उनमें होने वाली मौतों की जानकारी इस पर पडने वाले सभी 15 पुलिस थानों से जुटा रहे हैं। इन हादसों के आधार और सडकों की बदहाली को देखते हुए ही सारणेश्वर, गोयली चैराहा, अनादरा चैराहा होते हुए बाहरी घाटे तक के मार्ग की बदहाली की रिपोर्ट भी सेफटी कंसल्टेंट ने एनएचएआई को भेजते हुए इसे असुरक्षित बताया था।

चाय की चुस्कियों में लहू नजरअंदाज
जिले में जिला परिवहन समिति बनी हुई है। जिला कलक्टर इसके अध्यक्ष और जिला परिवहन अधिकारी इसके सचिव हैं। खुद पुलिस अधीक्षक इस समिति के सदस्य हैं। जिले में हादसों में होने वाली मौतों को रोकने का काम इनके जिम्मे है। तीनों ही अधिकारी खुद और इसके मातहत महीने में कम से कम तीन से चार बार बाहरी घाटे से कलक्टरी चैराहा, भाटकडा चैराहा, अनादरा चैराहा होते हुए सारणेश्वर मार्ग तक के हाइवे से गुजरे होंगे। चाहते तो एनएचएआई और एलएण्डटी पर सख्त रवैया अपनाकर इस मार्ग को एक्सीडेंट फ्री बनवा सकते थे, इसके लिए इन्हें न तो कोई टेंडर निकलवाना था और न ही कोई बजट स्वीकृत करवाना था। इस मार्ग की बदहाली देखकर यह कयास लगाना बिल्कुल आसान है कि आखिर हो क्या रहा है। अगर यह कहा जाए कि जिला परिवहन समिति की बैठक में बैठे अधिकारी मात्र चाय पीकर इस मार्ग पर बह रहे लहू को नजरअंदाज कर रहे हैं तो अतिश्योक्ति नहीं होगी। क्योंकि इस समिति के तीनों अधिकारियों ने दृढता से इस मार्ग को दुरुस्त करने की कोशिश की होती तो इस मार्ग पर मौतें शायद कम होती। समिति चाहती तो एनएचएआई से इस संबंध में सीधे पत्राचार भी कर सकती थी। पूर्व जिला कलक्टर एमएस काला ने इस ओर काम किया था, तो सफलता भी मिली थी।

इनका कहना है
सेफटी कंसल्टेंट कम्पनी के इंजीनियर हर एक थाना क्षेत्र में जाकर हर सेक्शन और मोड की जानकारी ले रहे हैं। थानों में जाकर यह रिपोर्ट भी ले रहे हैं किन मोडों व सेक्शन में दुर्घटनाएं और दुर्घटना में मौत हुई हैं। सिरोही के अंदर के मार्गो का सेफटी चेक भी वहीं कर रहे हैं।
अशोक पारीख
पीडी, एनएचएआई, पाली।

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