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15 साल की लड़की के अबॉर्शन के अनुरोध पर बोर्ड गठित करें : दिल्ली हाईकोर्ट

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15 साल की लड़की के अबॉर्शन के अनुरोध पर बोर्ड गठित करें : दिल्ली हाईकोर्ट
Delhi Hight Court seeks AIIMS medical board's report to decide on minor girl's abortion plea
Delhi Hight Court seeks AIIMS medical board’s report to decide on minor girl’s abortion plea

नई दिल्ली। दिल्ली हाईकोर्ट ने बुधवार को एम्स को निर्देश दिया कि एक 15 साल की लड़की के गर्भ गिराने के मामले पर निर्णय लेने के लिए एक चिकित्सा बोर्ड गठित किया जाए। लड़की 26 सप्ताह से अधिक की गर्भवती है।

न्यायाधीश एस. मुरलीधर और न्यायाधीश आईएस मेहता की खंडपीठ ने अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) को शुक्रवार तक अपनी रपट दाखिल करने का निर्देश दिया है।

अदालत ने यह आदेश लड़की की इच्छा पर जारी किया है। लड़की ने अपनी पढ़ाई जारी रखने के लिए गर्भ गिराने की इच्छा जाहिर की है। लड़की ने अपने घर से भागने के बाद कथित तौर पर एक आदमी से शादी कर ली थी, जिससे वह गर्भवती हो गई।

अदालत ने मंगलवार को लड़की के परिजनों के माध्यम से उससे कहा था कि वह इस बारे में लिखित बयान दे कि गर्भ गिराना चाहती है या नहीं। दरअसल अदालत ने पाया था कि उसने बाल कल्याण समिति, एम्स के चिकित्सा बोर्ड और अदालत के सामने विरोधाभासी बयान दिए थे।

लड़की अदालत के समक्ष पेश हुई और उसने न्यायाधीशों को बताया कि उसने स्थिति के बारे में दोबारा से सोचा है और उसने कहा कि वह गर्भ गिराना चाहती है। मां से किसी बात पर कहासुनी होने के बाद वह 31 मार्च से अपने घर से लापता थी।

परिजनों ने उसे ढूंढ़ने के लिए अदालत में याचिका दाखिल की थी, जिसके बाद उसे उत्तर प्रदेश के बुलंदशहर जिले के नरौरा गांव से बरामद किया गया। लड़की जिसके साथ भागी थी, उसे 27 नवंबर को हिरासत में लिया गया।

जब उसे 13 दिसम्बर को एम्स में चिकित्सा परीक्षण के लिए लाया गया तो वह अपने गर्भ न गिराने के पिछले बयान पर अड़ी रही और उसने कहा कि यह गर्भ शादी के परिणामस्वरूप हुआ है।

अपनी रपट में एम्स ने पाया कि उसकी गर्भावस्था रेप का परिणाम थी, क्योंकि उसकी उम्र 18 वर्ष से कम थी। लेकिन गर्भ गिराने की सलाह नहीं दी गई, क्योंकि वह 25 सप्ताह की गर्भवती थी।