Home Headlines मध्यप्रदेश में भाजपा का आदिवासी चेहरा थे दिलीप सिंह भूरिया

मध्यप्रदेश में भाजपा का आदिवासी चेहरा थे दिलीप सिंह भूरिया

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मध्यप्रदेश में भाजपा का आदिवासी चेहरा थे दिलीप सिंह भूरिया
Dilip Singh Bhuria was prominent tribal face of BJP In Madhya Pradesh
Dilip Singh Bhuria was prominent tribal face of BJP In Madhya Pradesh
Dilip Singh Bhuria was prominent tribal face of BJP In Madhya Pradesh

भोपाल। मध्य प्रदेश की राजनीति का दिलीप सिंह भूरिया आदिवासी चेहरा थे। मालवा-निमाड क्षेत्र में तो आदिवासियों की राजनीति उनके इर्द-गिर्द घूमा करती थी, यही कारण रहा कि कांग्रेस और भारतीय जनता पार्टी में उनकी राजनीतिक हैसियत बनी रही।

भूरिया की राजनीति का कार्यक्षेत्र झाबुआ और उसके आसपास का क्षेत्र ही रहा है। उनकी राष्ट्रीय स्तर पर पहचान आदिवासी नेता की रही है। वह पहली बार 1972 में विधायक निर्वाचित हुए और फिर 1980 में लोकसभा का पहली बार चुनाव जीते। वे कांग्रेस और भाजपा के सांसद रहे। वर्तमान में वे छठी बार झाबुआ-रतलाम संसदीय क्षेत्र से सांसद थे।

भूरिया ने हमेशा आदिवासी हितों की वकालत की, यही कारण रहा कि अटल बिहारी वाजपेयी के प्रधानमंत्रित्व काल में उन्हें राष्ट्रीय अनुसूचित जाति-जनजाति आयोग का अध्यक्ष बनाया गया था। इसके अलावा भी वे लोकसभा की विभिन्न समितियों में रहे थे।

झाबुआ जिले के मछलिया मे 14 जून, 1944 को जन्मे भूरिया का कांग्रेस और भाजपा दोनों ही दलों में अच्छा प्रभाव रहा है। वे जिस भी दल में रहे उस दल ने मालवा-निमांड के अलावा राष्ट्रीय राजनीति में उन्हें आदिवासी चेहरा बनाने में हिचक नहीं दिखाई। दोनों ही दलों ने भूरिया को अहम जिम्मेदारी सौंपी।

राज्य में आदिवासी मतदाताओं पर कांग्रेस की लम्बे अरस तक पकड़ रही। यही कारण था कि आदिवासी इलाकों में कांग्रेस जीतती रही। भाजपा ने आदिवासी वोट बैंक में सेंध लगाने के लिए भूरिया का दल बदल कराया। उसके बाद धीरे-धीरे भूरिया भाजपा का आदिवासी चेहरा बन गए। भूरिया के निधन से भाजपा को बड़ा राजनीति नुकसान हुआ है।

भाजपा के वरिष्ठ नेता और पूर्व मुख्यमंत्री सुन्दरलाल पटवा ने कहा कि दिलीप सिंह भूरिया आदिवासी जननेता थे। उन्होंने जीवन पर्यन्त आदिवासियों के उत्थान एवं उनके विकास के लिए कर्मठता के साथ काम किया। उनका निधन भाजपा और आदिवासी वर्ग के लिए अपूरणीय क्षति है।

पूर्व मुख्यमंत्री कैलाश जोशी ने कहा कि संगठन कौशल के धनी भूरिया के निधन से पार्टी ने आदिवासी जननेता खोया है। उन्होंने आदिवासी अंचल के सामाजिक क्रांति का सूत्रपात किया।

पार्टी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष एवं प्रदेश प्रभारी विनय सहस्रबुद्घे ने कहा कि भूरिया आदिवासी जनसमुदाय की सशक्त आवाज थे, उन्होंने सड़क से संसद तक आदिवासियों के हक की आवाज उठाई।

वरिष्ठ नेता कैलाश नारायण सारंग ने भूरिया के निधन को पार्टी के लिए बड़ी क्षति बताते हुए कहा कि पार्टी को एक कुशल संगठनकर्ता की क्षति हुई है, जिसकी रिक्तता हमेशा बनी रहेगी। उनके निधन से आदिवासियों की मुखर आवाज मौन हो गई है।

केन्द्रीय मंत्री नरेन्द्रसिंह तोमर ने भूरिया को आदिवासी अंचल की मुखर आवाज बताते हुए कहा कि उन्होंने संसदीय कार्यकाल में मुखरता के साथ आदिवासियों के हित की आवाज संसद में रखी। जनजाति आयोग के अध्यक्ष के रूप में भूरिया ने आदिवासियों के जीवन स्तर को उन्नत बनाने में महत्वपूर्ण योगदान दिया।

पार्टी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष प्रभात झा ने कहा कि भूरिया के निधन से भाजपा ही नहीं आदिवासी अंचल ने एक जननेता खो दिया है। भूरिया आदिवासियों के प्रति जीवन पर्यन्त समर्पित भाव से सेवारत थे।

प्रदेश अध्यक्ष नंदकुमार सिंह चौहान ने भूरिया के निधन पर शोक व्यक्त करते हुए कहा कि भूरिया आदिवासी अंचल की आवाज थे, संगठन क्षमता के धनी भूरिया के अवसान से भाजपा का एक मजबूत आधार स्तंभ ढह गया है। प्रदेश संगठन महामंत्री अरविन्द मेनन ने भूरिया के संगठन के विस्तार में दिए योगदान को याद किया।