Home Breaking अंतरधार्मिक विवाह के बाद क्या महिलाएं धार्मिक पहचान खो देती हैं?

अंतरधार्मिक विवाह के बाद क्या महिलाएं धार्मिक पहचान खो देती हैं?

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अंतरधार्मिक विवाह के बाद क्या महिलाएं धार्मिक पहचान खो देती हैं?
Do women lose religious identity post inter-religious marriage? SC to examine
Do women lose religious identity post inter-religious marriage? SC to examine
Do women lose religious identity post inter-religious marriage? SC to examine

नई दिल्ली। सर्वोच्च न्यायालय ने सोमवार को संवैधानिक पीठ को निर्दिष्ट करते हुए पूछा है कि क्या विशेष विवाह अधिनियम के तहत विवाह करने वाली अलग धर्म की महिलाएं शादी के बाद अपनी वास्तविक धार्मिक पहचान खो देती हैं एवं अपने पति के धर्म को स्वीकार करना पड़ता है।

वरिष्ठ वकील इंदिरा जयसिंह ने न्यायालय में दलील दी थी कि महिलाओं के अलग धर्म के युवक से शादी करने के बाद उसे उसकी धार्मिक पहचान बनाए रखने की इजाजत मिलनी चाहिए। इसके बाद न्यायाधीश दीपक मिश्रा, न्यायाधीश ए.एम. खानविलकर एवं न्यायाधीश डी.वाई चंद्रचूड़ ने यह मामला संवैधानिक पीठ के पास भेज दिया।

इस मामले में एक पारसी महिला की वकील जयसिंह ने गुजरात उच्च न्यायालय के एक फैसले का हवाला देते हुए कहा कि न्यायालय ने कहा था कि विशेष विवाह अधिनियम के तहत याचिकाकर्ता पारसी महिला की धार्मिक पहचान उसके हिंदू पति के साथ सम्मिलित हो गई है।

पारसी महिला ने पारसी कानून को चुनौती देते हुए कहा था कि एक पारसी महिला अन्य धर्म में शादी करने के बाद पारसी समुदाय में अपनी धार्मिक पहचान खो देती है। उच्च न्यायालय ने पारसी कानून को बरकरार रखा था।

जयसिंह ने कहा कि एक महिला की अपनी एक पहचान होती है और शादी की वजह से इसे समाप्त नहीं किया जा सकता। उन्होंने कहा कि याचिकाकर्ता पारसी महिला शादी के बाद भी अपने पारसी धार्मिक रिवाजों को करना चाहती हैं।