Home Entertainment Bollywood वेश्यावृत्ति को वैध न बनाएं, बल्कि इसका हल निकालें : गौहर खान

वेश्यावृत्ति को वैध न बनाएं, बल्कि इसका हल निकालें : गौहर खान

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वेश्यावृत्ति को वैध न बनाएं, बल्कि इसका हल निकालें : गौहर खान
Don't legalise prostitution but at least address it says Gauhar Khan
Don't legalise prostitution but at least address it says Gauhar Khan
Don’t legalise prostitution but at least address it says Gauhar Khan

नई दिल्ली। भारत में वेश्यावृत्ति को कानूनी मान्यता मिलनी चाहिए या नहीं, इस पर यूं तो लंबे समय से बहस चल रही है, लेकिन फिल्म ‘बेगम जान’ में एक यौनकर्मी का किरदार निभाने वाली अभिनेत्री गौहर खान मानती हैं कि इस पेशे को वैध नहीं बनाया जाए, बल्कि इस मुद्दे का हल निकाला जाना चाहिए।

यह फिल्म यौनकर्मियों के जीवन के विभिन्न उतार-चढ़ाव को बयां करती है। क्या भारत में वेश्यावृत्ति को कानूनी मान्यता मिलनी चाहिए, इस सवाल पर गौहर ने कहा कि मैं यह निर्णय लेनी वाली कौन होती हूं? मुझे लगता है कि इस पर सबका अपना-अपना विचार है।

इसकी समाज में बहुत मजबूत पैठ है, इसलिए अपनी आंखें बंद कर लेने और यह कहने से कि इसका कोई वजूद नहीं है, यह स्थिति से निपटने में मददगार नहीं होगा। इसे वैध न करें, लेकिन कम से कम इस मुद्दे को सुलझाएं। इसके बारे में जानें और समाज को भी बताएं।

सृजित मुखर्जी निर्देशित ‘बेगम जान’ में गौहर ने रुबीना नामक एक यौनकर्मी का किरदार निभाया है। इसमें कोठे की मालकिन के किरदार में विद्या बालन नजर आ रही हैं।

अपने विचार बयां करते हुए गौहर कहती हैं कि ऐसा नहीं है कि आपने मुंबई, दिल्ली या अन्य शहरों में यौनकर्मियों को नहीं देखा होगा। वहां वे मौजूद हैं। हर सामान्य व्यक्ति जानता है कि वे मौजूद हैं, इसलिए इस समस्या से अनजान बनकर कैसे रहा जा सकता है?

उन्होंने कहा कि इनके और इनके अधिकारों की रक्षा के लिए एक प्रणाली होनी चाहिए। यह एक विकल्प है। मैं इसका प्रोत्साहन करने वाली नहीं हूं। मैं इस सही नहीं ठहरा रही, बल्कियह कह रही हूं कि इस पेशे का वजूद है और इससे निपटा जाना चाहिए।

गौहर कहती हैं कि ‘बेगम जान’ जैसी फिल्म पेशा चुनने की आजादी की बात करती है, जिसे लोग रोजमर्रा की जिंदगी से जोड़कर महसूस कर सकते हैं।

उन्होंने कहा कि ‘बेगम जान’ में जो संदर्भ दिया गया है, वह किसी के भी जीवन से जुड़ा हो सकता है। हर किसी के जीवन में वह पल आता है, जब उसे चुनना या फैसला लेना पड़ता है।