Home Headlines फर्जी आधार कार्ड बनाने वाले गिरोह का खुलासा, 10 अरेस्ट

फर्जी आधार कार्ड बनाने वाले गिरोह का खुलासा, 10 अरेस्ट

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फर्जी आधार कार्ड बनाने वाले गिरोह का खुलासा, 10 अरेस्ट
fake aadhaar cards gang busted by uttar pradesh police
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लखनऊ। यूपी में डिजिटल इंडिया की मुहिम में सेंध लगाकर फर्जी तरीके से आधार कार्ड बनाने वाले अंतर्राज्यीय गिरोह को उप्र एसटीएफ ने गिरफ्तार किया है। यह गिरोह यूआईडीएआई द्वारा निर्धारित बॉयोमेट्रिक मानकों को बाइपास करके फर्जी आधार कार्ड बनाने के काम को अंजाम दे रहे थे।

यूपी एसटीएफ की टीम ने गिरोह के मास्टरमाइंड सहित 10 अभियुक्तों को कानपुर नगर से गिरफ्तार किया है। इनके पास से भारी मात्रा में आधार बनाने की सामग्री, जिसमें 11 लैपटॉप, 38 कृत्रिम फिंगर प्रिंट कागज, 46 कृत्रिम फिंगर प्रिंट कैमिकल, 12 मोबाइल फोन, दो आधार फिंगर स्कैनर, दो फिंगर स्कैनर डिवाइस, दो आइरिस (रेटिना स्कैनर), आठ रबर स्टैंप सहित 18 आधार कार्ड बरामद किए गए हैं।

पिछले दिनों एसटीएफ को जानकारी मिली थी कि प्रदेश के कई शहरों में टैंपर्ड क्लाइंट एप्लिकेशन के माध्यम से फर्जी आधार कार्ड बनाए जा रहे हैं। इस जानकारी पर यूनिक आइडेंटिफिकेशन अथॉरिटी ऑफ इंडिया (यूआईडीएआई) के उप निदेशक ने साइबर क्राइम थाना लखनऊ में केस दर्ज कराया था। इसके बाद पुलिस और एसटीएफ की टीम इस गिरोह के जालसाजों की तलाश में जुट गई।

कुछ दिनों बाद एसटीएफ को जानकारी मिली कि कानपुर नगर के बर्रा का रहने वाला सौरभ सिंह इस गिरोह का मास्टरमाइंड है। इस जानकारी पर एसटीएफ ने सौरभ को ट्रैक किया और उसके हर मूवमेंट पर नजर रखी। जब यह साफ हो गया कि वह फर्जी आधार कार्ड बनाने वाले गिरोह को संचालित कर रहा है, तो उसे रविवार को कानपुर से गिरफ्तार कर लिया गया।

उसके साथ उसके नौ साथियों को भी गिरफ्तार किया गया, जिसमें सौरभ सिंह के भाई शुभम सिंह के अलावा शोभित सचान, शिवम कुमार, मनोज कुमार, तुलसीराम, कुलदीप सिंह, चमन गुप्ता, गुड्डू गोंड और सतेंद्र कुमार शामिल हैं।

एसटीएफ के महानिरीक्षक अमिताभ यश के मुताबिक, यह गिरोह प्रदेश के अलग-अलग जिलों में बीते छह महीने से सक्रिय था। अब तक यह गिरोह कितने फर्जी आधार कार्ड बना चुके हैं, इसका अनुमान लगाना मुश्किल है। इनका मेन मोटिव जालसाजी कर ज्यादा से ज्यादा पैसे कमाना था।

गिरफ्तार अभियुक्तों ने पूछताछ पर बताया कि वे आधार कार्ड बनाने के लिए निर्धारित विधिक प्रणाली एवं मानकों को बाईपास करते हुए बायोमेट्रिक डिवाइस के माध्यम से अधिकृत ऑपरेटर्स के फिंगर प्रिंट ले लेते हैं। इसके बाद उसका बटर पेपर पर लेजर प्रिंटर से प्रिंट आउट निकालते हैं।

फिर फोटो पॉलीमर रेजिन केमिकल डालकर पॉलीमर क्यूरिंग उपकरण (यूवी रेज) में पहले 10 डिग्री उसके बाद 40 डिग्री तापमान पर कृत्रिम फिंगर प्रिंट, मूल फिंगर प्रिंट के समान तैयार कर लेते है। उसी कृत्रिम फिंगर प्रिंट का प्रयोग करके आधार कार्ड की वेबसाइट पर लॉगिन करते हैं।

अभियुक्तों ने बताया कि ऑपरेटर के इस कृत्रिम फिंगर प्रिंट का उपयोग ऑपरेटर के अतिरिक्त अन्य व्यक्तियों द्वारा अलग-अलग स्थानों पर करके आधार कार्ड के इनरोलमेंट की प्रक्रिया पूरी कर लेते हैं। मास्टरमाइंड सौरभ ने बताया कि तैयार किया गया कृत्रिम फिंगर प्रिंट ऑपरेटर के मूल फिंगर प्रिंट की भांति ही काम करता है।

उल्लेखनीय है कि पूर्व में आधार कार्ड बनाने के लिए ऑपरेटर को अपने फिंगर प्रिंट के माध्यम से आधार की क्लाइंट एप्लीकेशन को एक्सेस किया जाता था, लेकिन जब हैकर्स द्वारा क्लोन फिंगर प्रिंट बनाए जाने लगे तब यूआईडीएआई ने फिंगर प्रिंट के अतिरिक्त बायोमेट्रिक में ऑपरेटर के आईआरआई को भी ऑथेंटीकेशन प्रोसेस का हिस्सा बना दिया, जिस कारण फर्जी ऑपरेटर्स का एक्सेस नियंत्रित हो गया, लेकिन पूछताछ पर यह जानकारी भी संज्ञान में आई कि बायोमेट्रिक एवं आईआरआई को भी बाइपास करने के लिए नए क्लाइंट एप्लीकेशन हैकर्स द्वारा बना लिए गए।

इस कारण ऑपरेटर्स आईआरआई एवं फिंगर प्रिंट दोनों को बाइपास करने में सफल हो गए। यह एप्लीकेशन हैकर्स अनधिकृत ऑपरेटर्स को भेजकर उनसे प्रत्येक से 5-5 हजार रुपये लेने लगे। इस प्रकार एक ऑपरेटर की आईडी पर अनेक मशीनें एक साथ काम करने लगीं।

गिरफ्तार अभियुक्तों को साइबर क्राइम पुलिस थाना, लखनऊ में आईटी एक्ट व आधार अधिनियम 2016 दाखिल कर कार्रवाई कर रही है। आईजी यश ने बताया कि इस गिरोह से जुड़े अन्य लोगों के नाम भी सामने आए हैं, जिनकी तलाश की जा रही है।