Home Breaking भोजपुर फर्जी मुठभेड़ : 20 साल बाद 4 दोषियों को उम्रकैद

भोजपुर फर्जी मुठभेड़ : 20 साल बाद 4 दोषियों को उम्रकैद

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भोजपुर फर्जी मुठभेड़ : 20 साल बाद 4 दोषियों को उम्रकैद
ghaziabad fake encounter 4 UP cop get life sentence for 1996 bhojpur murders
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मेरठ। बीस साल तीन महीने पहले 8 नवम्बर 1996 को हुए भोजपुर फर्जी मुठभेड़ कांड में सीबीआई कोर्ट ने चारों दोषी पुलिसकर्मियों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई है। इस मुकदमे के फैसले को लेकर कोर्ट में काफी गहमागहमी रही।

20 साल पहले 8 नवम्बर 1996 में भोजपुर पुलिस द्वारा किए गए फर्जी एनकाउंटर में सीबीआई कोर्ट ने 4 पुलिसकर्मियों तत्कालीन एसओ लाल सिंह, जोगेंद्र, सुभाष और सूर्यभान को दोषी करार दिया था। बुधवार को इस मामले में धारा 302, 201, 193, 149 के अंतर्गत अदालत ने सजा का ऐलान करते हुए सभी आरोपियों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई।

तत्कालीन थाना प्रभारी लाल सिंह पर 2 लाख रुपए का जुमाना धारा 302 में, जबकि अन्य धाराओं में 20 और दस हजार रुपए का फाइन लगाया है। जोगेंद्र पर एक लाख का फाइन और बाकी धाराओं में 10 हजार जुर्माना लगाया है।

इस फर्जी एनकाउंटर केस में 20 साल से अधिक लंबी कानूनी लड़ाई के उपरांत सीबीआई कोर्ट का फैसला आने के बाद पीड़ितों की आंखों से खुशी के आंसू छलक पड़े। मामले में आरोपी पुलिस कर्मियों को सीबीआई कोर्ट द्वारा दोषियों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई। यह सजा उन पुलिसकर्मियों के लिए एक सबक का काम करेगी जो ऐसा करते हैं।

पुलिस ने 8 नवंबर 1996 को भोजपुर में चार युवकों को एनकाउंटर में मार गिराने का दावा किया था। मारे गए युवक मोदीनगर की विजयनगर कॉलोनी के प्रवेश, जसवीर, जलालुददीन और अशोक थे, जो फैक्ट्री में नौकरी और मजदूरी करते थे। मृतकों के परिजनों ने इसे फर्जी मुठभेड़ बताते हुए सीबीआई जांच की मांग की थी।

मामले के तूल पकड़ने पर सीबीआई जांच बैठाई गई थी। सीबीआई की 226 पेज की रिपोर्ट के आधार पर कोर्ट ने तत्कालीन भोजपुर एसओ लालसिंह, एसआई जोगेन्द्र, कास्टेबल, सुभाष, सूर्यभान और रणवीर को दोषी माना। जबकि इनमें पांचवें आरोपी रणवीर की 27 अप्रैल 2004 को हो मृत्यु हो गई थी।

इस फैसले पर मृतकों के परिजनों के साथ सबकी नजर टिकी थी। जिसको लेकर कचहरी परिसर में कफी भीड़ रही। गौरतलब है कि इस एनकाउंटर के दौरान महाराष्ट्र कैडर की आईपीएस ज्योति बैलूर की तैनाती गाजियाबाद में थी। एनकाउंटर के वक्त वह एएसपी थीं।

सीबीआई ने चार्जशीट में उन्हें आरोपी ही नहीं बनाया था, लेकिन उनकी सरकारी रिवाल्वर से गोली चलने की फोरेंसिक लैब द्वारा पुष्टि होने पर कोर्ट ने उन्हें आरोपी माना था।

सीबीआई सूत्रों का कहना है कि वह इग्लैंड में पढ़ाती है। उन्होंने वहां की नागरिकता ले ली है। उन्होंने 2012 में वीआरएस ले लिया था। सीबीआई अब दावा कर रही है कि उन्हें फिर से कोर्ट में बुलाया जाएगा।