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जर्मनी के खूबसूरत और बेहद पुराने आकर्षित मठ आप भी देखिए

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जर्मनी के खूबसूरत और बेहद पुराने आकर्षित मठ आप भी देखिए
Die Semperoper mit dem Reiterdenkmal König Johanns - dem Bauherr der Semperoper - bei Nacht in Dresden.

jermany math

धर्म के लिहाज से तो ये इमारतें अहम रही ही हैं, साथ ही ये एक इतिहास भी बयान करती हैं, जिसे अनुभव करने दूर दूर से लोग आते हैं जर्मनी के मठ खूबसूरत भी हैं और बेहद पुराने भी एक नजर देश के सबसे आकर्षक मठों पर इम्पीरियल ऐबे ऑफ कॉर्वे इस जगह की खास बात है

इसकी उम्र इसे 9वीं शताब्दी में बनाया गया था फिर 1803 में राजकुमारों के रहने के लिए इसे महल में तब्दील कर दिया गया आज यह एक निजी इमारत है लेकिन लोग इसे देखने आ सकते हैं. 2014 में यूनेस्को ने इसे विश्व सांस्कृतिक धरोहरों की सूची में शामिल किया|

बेनेडिक्टीन ऐबे खूबसूरत लेक कॉन्स्टांस के एक छोटे से द्वीप राइषनाऊ पर बसा यह मठ भी यूनेस्को की विश्व सांस्कृतिक धरोहरों का हिस्सा है इसे 8वीं शताब्दी में बनाया गया था और यह जर्मनी के सबसे पुराने मठों में से एक है. वक्त के साथ साथ यह कला के केंद्र के रूप में विकसित होता रहा|

लोर्श ऐबे इसे 13वीं शताब्दी में बनाया गया 1556 के बाद से यहां भिक्षुओं का आवास बंद कर दिया गया अब असली मठ का कुछ हिस्सा ही बचा है जर्मनी के हेसेन प्रांत में स्थित इस मठ को 1991 में विश्व सांस्कृतिक धरोहर का सम्मान मिला|

माउलब्रॉन मठ यह जर्मनी के सबसे संरक्षित मठों में से एक है आल्प्स पहाड़ों के उत्तर की ओर बना यह मठ भी विश्व सांस्कृतिक धरोहर का हिस्सा है रिफॉर्मेशन काल में मठ को बंद कर दिया गया और इसे एक प्रोटेस्टेंट स्कूल में बदल दिया गया मशहूर खगोलशास्त्री योहानेस केप्लर और लेखक हेरमन हेसे यहां के छात्रों में थे

आउगुसटीनीयन मठ एरफुर्ट के इस मठ में मार्टिन लूथर 1505 से 1511 तक भिक्षु के रूप में रहे थे उन्होंने इन सालों को अपने जीवन का सबसे अहम हिस्सा बताया था 1559 में मठ को बंद कर दिया गया और इस इमारत को अनाथ आश्रम और पुस्तकालय के रूप में इस्तेमाल किया जाने लगा|

अंडेख्स ऐबे जर्मनी के दक्षिण प्रांत बवेरिया में स्थित इस मठ में आज भी भिक्षु रहते हैं यह जगह पर्यटकों को भी खूब आकर्षित करती है रोकोको अंदाज में बनी यह इमारत और यहां की बीयर आज भी 15वीं शाताब्दी की याद दिलाते हैं पर्यटक यहां रात भी बिता सकते हैं और बालकनी से आल्प्स के बर्फीले पहाड़ों का लुत्फ उठा सकते हैं

एबरबाख ऐबे इसकी स्थापना साल 1136 में हुई मध्य युग में यह एक अहम धार्मिक केंद्र था यहां पर बनाई जाने वाली वाइन भी काफी मशहूर थी माना जाता है कि 16वीं शताब्दी में यहां के तहखाने में दुनिया के सबसे बड़े वाइन के पीपे हुआ करते थे तस्वीरें में भी कई पीपे देखे जा सकते हैं

मारिया लाख ऐबे इसे वर्ष 1093 में बनाया गया 1802 में इससे मठ होने का दर्जा छीन लिया गया लेकिन नब्बे साल बाद 1892 में एक बार फिर यह मठ के रूप में उठ खड़ा हुआ इस इमारत को रोमन वास्तु शैली का एक बेहतरीन नमूना माना जाता है

एट्टल ऐबे बवेरिया के पहाड़ों में स्थित यह जगह अपने गोथिक अंदाज के लिए जानी जाती है यह भी 1803 से 1898 के बीच मठ के रूप में मौजूद नहीं था लेकिन जब भिक्षु यहां लौटे, तो उन्होंने इस इमारत में एक नई जान डाल दी

वेल्टनबुर्ग ऐबे यह बवेरिया प्रांत का सबसे पुराना मठ है माना जाता है कि भिक्षु 7वीं शताब्दी में ही यहां आ कर बस गए थे हालांकि आज यहां जो चर्च खड़ा है, वह बारोक काल में बना था डैन्यूब नदी का आनंद लेते हुए अगर आप यहां रात गुजारना चाहें, तो एक गेस्टहाउस भी है