Home Haryana Ambala अब शहरी स्थानीय निकाय चुनाव में भी शैक्षणिक योग्यता अनिवार्य

अब शहरी स्थानीय निकाय चुनाव में भी शैक्षणिक योग्यता अनिवार्य

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अब शहरी स्थानीय निकाय चुनाव में भी शैक्षणिक योग्यता अनिवार्य
haryana : Now class 10th pass qualification required for civic polls
haryana : Now class 10th pass qualification required for civic polls
haryana : Now class 10th pass qualification required for civic polls

चंडीगढ़।  हरियाणा सरकार ने शहरी स्थानीय निकायों में चुनाव लडऩे के लिए कुछ योग्यताएं निर्धारित करते हुए हरियाणा नगर निगम अधिनियम 1994 की धारा 8 और हरियाणा नगर पालिका अधिनियम 1973 की धारा 13-क में संशोधन करने का निर्णय लिया है। इस आशय का निर्णय मुख्यमंत्री मनोहर लाल की अध्यक्षता में हुई मंत्रिमण्डल की बैठक में लिया गया। 

संशोधन के अनुसार ऐसे व्यक्ति जिनके विरूद्घ सक्षम न्यायालय द्वारा गम्भीर आपराधिक मामलों में 10 साल से अधिक की सजा सुनाई है, वे न्यायालय द्वारा बरी न किए जाने तक चुनाव नहीं लड़ सकेंगे। इसीप्रकार, सहकारी ऋणों के दोषी तथा बिजली बिलों के बकायों के दोषी भी शहरी स्थानीय निकायों का चुनाव नहीं लड़ सकेंगे। इसके अतिरिक्त, शहरी स्थानीय निकायों के सभी स्तरों के प्रतिनिधियों के लिए शैक्षणिक योग्यता मैट्रिक निर्धारित की गई है।

यह सुनिश्चित करने के लिए की महिलाओं एवं अनुसूचित जाति के मतदाताओं को अत्याधिक नुकसानदायक स्थिति से न गुजरना पड़े, महिलाओं एवं अनुसूचित जाति के उम्मीदवारों के लिए आठवीं कक्षा और अनुसूचित जाति की महिला उम्मीदवारों के लिए पांचवीं कक्षा पास होने की न्यूनतम शैक्षणिक योग्यता निर्धारित की गई है। इसके अतिरिक्त, शहरी स्थानीय निकायों के चुनाव लडऩे वाले सभी उम्मीदवारों को इस आशय में स्वत: घोषणा करनी होगी कि उनके आवास पर सक्रिय अवस्था में शौचालय मौजूद है।

वर्तमान में ऐसे व्यक्ति, जिन्हें न्यायालयों द्वारा सजा दी गई है, शहरी स्थानीय निकायों के चुनाव लडऩे के लिए आयोग्य ठहराए गए हैं, परन्तु ऐसे उदाहरण हैं कि जिन लोगों के विरूद्घ आरोप तय कर दिए गए हैं लेकिन ट्रायल अभी पूर्ण नहीं हुआ है वे चुनाव लडऩे के लिए योग्य हैं। हरियाणा नगर निगम अधिनियम 1994 और हरियाणा नगर पालिका अधिनियम 1973 में संशोधन यह सुनिश्चित करने के लिए किया गया है कि ऐसे व्यक्ति, जिनके विरूद्घ सक्षम न्यायालय द्वारा गंभीर आपराधिक मामलों, जिनमें दस वर्ष से कम के कारावास की सजा न हो, को न्यायालय द्वारा बरी किए जाने तक चुनाव लडऩे से रोका जा सके।

देश में सहकारी ढ़ाचें को सुदृढ़ करने के लिए किसानों को प्राथमिक कृषि सहकारी समितियों, कृषि ग्रामीण विकास बैंकों तथा प्राथमिक भूमि विकास बैंकों के माध्यम से क्रमश: अल्पावधि, मध्यावधि और दीर्घावधि ऋण उपलब्ध करवाए जाते हैं। बहरहाल, इन ऋणों एवं ब्याज की वसूली न होने के कारण सहकारी क्षेत्र के ये वित्तीय संस्थान वित्तीय संकट में आ गए हैं क्योंकि इनकी पुन: ऋण देने की क्षमता कमजोर हुई है। जब तक बकायाजातों की वसूली समय पर नहीं हो जाती तब तक इन सहकारी समितियों के ढ़ाचें का अस्तित्व खतरे में रहेगा। सहकारी ऋणों की वसूली सुनिश्चित करने के लिए ऐसे सहकारी ऋणों के दोषियों को शहरी स्थानीय निकायों के चुनाव लडऩे से वंचित रखने के लिए यह संशोधन किया गया है।

कई व्यक्तियों द्वारा बिजली के बिलों की अदायगी भी नियमित रूप से नहीं की जा रही है। अत: बिजली बिलों की नियमित अदायगी सुनिश्चित करने के लिए ऐसे दोषी व्यक्तियों को  शहरी स्थानीय निकायों के चुनाव लडऩे से वंचित रखने के लिए यह संशोधन किया गया है।

शहरी स्थानीय निकायों की कार्यप्रणाली में सुधार लाने के लिए इन निकायों के चुनाव लडऩे वाले व्यक्तियों की न्यूनतम योग्यता सुनिश्चित किया जाना आवश्यक है। न्यूनतम शैक्षणिक योग्यता निर्धारित करने का दूसरा कारण यह है कि संविधान के 74वें संशोधन के अस्तित्व में आने के बाद भी शहरी स्थानीय निकायों की कमजोर कार्यप्रणाली के लिए निर्वाचित प्रतिनिधियों की निरक्षरता आम बहाना रही है।

शहरी स्थानीय निकायों के अधिकतर निर्वाचित सदस्य सरकारी पदाधिकारियों या उनके संबंधियों या मित्रों पर निर्भर रहते हैं जो कई बार उनकी कमजोर योग्यता व क्षमता का फायदा उठाते हैं। इसलिए शहरी स्थानीय निकायों के सभी स्तरों पर निर्वाचित प्रतिनिधियों के लिए शैक्षणिक योग्यता मैट्रिक निर्धारित की गई है। इस संशोधन से शहरी स्थानीय निकायों के निर्वाचित सदस्य और अधिक जवाबदेय होंगे क्योंकि उनके पास अनपढ़़ता का बहाना नहीं होगा।

यह सुनिश्चित करने के लिए की महिलाओं एवं अनुसूचित जाति के मतदाताओं को अत्याधिक नुकसानदायक स्थिति से न गुजरना पड़े, महिलाओं एवं अनुसूचित जाति के उम्मीदवारों के लिए आठवीं पास और अनुसूचित जाति की महिला उम्मीदवारों के लिए पांचवीं पास होने की न्यूनतम शैक्षणिक योग्यता निर्धारित की गई है।

शहरी क्षेत्रों में उचित सफाई व्यवस्था समय की प्रमुख आवश्यकता है तथा इसी परिपेक्ष्य में प्रत्येक मकान में शौचालय की व्यवस्था होना आवश्यक है। शौचालय होने की इस प्रकार की व्यवस्था को शहरी स्थानीय निकायों के निर्वाचित प्रतिनिधियों से बढ़ावा मिल सकता है। किसी उम्मीदवार के आवास पर सक्रिय अवस्था में शौचालय का न होना, शहरी स्थानीय निकायों के चुनाव लडऩे के लिए अयोग्यता होगी।

इस प्रकार, ऐसे व्यक्ति, जो इन निकायों के लिए निर्वाचित होना चाहते हैं और उनका प्रशासन संभालना चाहते हैं, उन्हें अपने घरों में सक्रिया अवस्था में शौचालय सहित पूर्ण साफ-सफाई की व्यवस्था का उदाहरण दूसरों के सामने प्रस्तुत करना चाहिए। अत: शहरी स्थानीय निकायों के चुनाव लडऩे वाले सभी उम्मीदवारों को इस आशय में स्वत: घोषणा करनी होगी कि उनके आवास पर सक्रिय अवस्था में शौचालय मौजूद है।