Home Breaking नहीं थम रहा हिंगोनिया गौशाला में गायों के मरने का सिलसिला

नहीं थम रहा हिंगोनिया गौशाला में गायों के मरने का सिलसिला

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नहीं थम रहा हिंगोनिया गौशाला में गायों के मरने का सिलसिला
Hingonia Gaushala cows death row
Hingonia Gaushala cows death row
Hingonia Gaushala cows death row

जयपुर। हिंगोनिया गौशाला में सरकार ने भले ही प्रशासन का एक बड़ा अमला तैनात दिया हो, लेकिन आज भी वहां गायों की मौत के आकड़ों पर अंकुश नहीं लग रहा।

पिछले सप्ताह के रिकॉर्ड पर नजर डाले तो मौत का आंकड़ा सामान्य दिनों के मुकाबले 10 से 12 अधिक है। यानी प्रतिदिन औसतम 44 गायों की मौतें हो रही है। इतना सब होने के बाद भी महापौर निर्मल नाहटा चुप्पी साधे बैंठे है।

जानकार सूत्रों के अनुसार सरकारी मशीनरी गायों की मौत रोकने में नाकाम साबित हो रही है। अगस्त की शुरुआत में हिंगोनिया में गायों की मौत का मामला उठा, तो पूरे देश में हल्ला मच गया था।

गोशाला में अचानक गायों की अत्यधिक मौतों ने राज्य सरकार को बैकफुट पर ला दिया। नगर निगम के साथ-साथ राज्य सरकार की भी किरकिरी हुई थी। मुद्दा संसद में भी गूंजा।

इसके बाद सरकार ने दो मंत्री, संभागीय आयुक्त, जिला कलक्टर और पशु चिकित्सा एव पशुपालन विभाग, स्वायत्त शासन विभाग, नगर निगम के अधिकारियों-कर्मचारियों की पूरी टीम गौशाला में व्यवस्थाएं सुधारने के लिए लगा दी।

जिस तरह सरकार ने पूरा प्रशासनिक अमला गौशाला में लगा दिया, उससे उम्मीद थी कि गौशाला की व्यवस्थाएं सुधरने के साथ-साथ गायों की मौत का आंकड़ा भी गिरेगा।

नगर निगम सूत्रों की माने तो सामान्य दिनों में हिंगोनिया गौशाला में गायों की मौत का आकड़ा 28 से 30 प्रतिदिन का होता है। इसमें वे गायें भी शामिल होती है, जो हर रोज पकड़कर लाई जाती है, जिसमें अधिकांश तो बीमार होती है लेकिन जब से गौशाला का ये मामला उठा था, तब से तो नगर निगम प्रशासन ने शहर से गायों को ही पकडऩा बंद कर दिया।

पिछले 8 दिनों के आंकड़ों पर नजर डाले तो औसतन मौत का आंकड़ा 44 बैठ रहा है। इसमें गायों के साथ जन्म लेते बछड़े भी शामिल है।

ये उस स्थिति में है जब पूरा प्रशासन वहां तैनात होकर सुधार में लगा है, साथ ही गायों की गौशाला में आवक (अर्थात शहर से पकड़कर लाई जाने वाली) भी लगभग बंद कर दी।