Home World Asia News हॉकी : एशिया में भारतीय टीमों के पुरुष और महिला का कायम हुआ वर्चस्व

हॉकी : एशिया में भारतीय टीमों के पुरुष और महिला का कायम हुआ वर्चस्व

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हॉकी : एशिया में भारतीय टीमों के पुरुष और महिला का कायम हुआ वर्चस्व
Hockey: The Indian domination of male and female domination in Asia
Hockey: The Indian domination of male and female domination in Asia
Hockey: The Indian domination of male and female domination in Asia

नई दिल्ली : साल 2017 भारत को हॉकी में मिली जुली यादें देकर गया है। महिला और पुरुष टीमें कई जगह चूकीं तो कई जगह हारी बाजी को जीतते हुए मैदान मार लिया।

सबसे अच्छी बात इस साल भारत की पुरुष और महिला हॉकी टीमों का एशिया कप जीतना रहा, लेकिन इसी बीच कोच का विवाद भी गाहे-बगाहे सामने आ गया। दोनों टीमों के कोच की नियुक्ति में नाटकीय मोड़ देखने को मिला।

हालांकि विवाद से आगे निकलते हुए खेल ने अपनी राह पकड़े रखी और भारत इसमें एक कदम आगे ही बढ़ता दिखा। इसका साफ नजारा सभी ने भुवनेश्वर में हुए हॉकी वल्र्ड लीग में देखा, जहां हर दिन होने वाले मैचों में दर्शकों की भारी भीड़ कलिंगा स्टेडियम तक पहुंची और भारतीय प्रशंसकों ने अपनी टीम का बढ़-चढ़ उत्साह वर्धन किया।

प्रदर्शन पर नजर डाली जाए, तो महिला हॉकी ने साल की शुरुआत अच्छी की। बेलारूस के खिलाफ मार्च में खेली गई पांच मैचों की सीरीज में महिला टीम ने 5-0 से जीत हासिल की।

इसके बाद, कनाडा में चिली और कनाडा के साथ त्रिकोणीय सीरीज में भी भारतीय टीम ने संतोषजनक प्रदर्शन किया। भारत और चिली के बीच मैच ड्रॉ रहा, वहीं भारत ने कनाडा को 3-1 से मात दी।

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महिला हॉकी वल्र्ड लीग राउंड-2 का खिताब जीतकर भारतीय टीम ने सेमीफाइनल में अपनी जगह बनाई। हालांकि, जुलाई में हुए सेमीफाइनल में महिला टीम खास प्रदर्शन नहीं कर पाई और उसे आठवां स्थान हासिल हुआ।

भारतीय पुरुष हॉकी टीम के लिए साल की शुरुआत अच्छी रही। अप्रैल और मई में आयोजित हुए 26वें सुल्तान अजलान शाह में भारत को कांस्य पदक हासिल हुआ। उसके पास इस टूर्नामेंट के फाइनल में पहुंचने का मौका था, लेकिन मलेशिया के हाथों 1-0 से मिली हार के कारण वह खिताबी मुकाबले तक नहीं पहुंच सका और न्यूजीलैंड पर मिली 4-0 से जीत के साथ उसे कांस्य पदक से ही संतोष करना पड़ा।

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महिला हॉकी टीम का प्रदर्शन अब तक ठीक था, लेकिन न्यूजीलैंड के खिलाफ खेली गई पांच मैचों की सीरीज में टीम को 0-5 से हार का सामना करना पड़ा, जो भारतीय टीम के लिए बड़ा सबक रही।

इस साल महिला और पुरुष टीमों में निरंतरता की कमी भी दिखी। एक टूर्नामेंट में बेहतरीन प्रदर्शन और एक टूर्नामेंट में खराब प्रदर्शन का सिलसिला बरकरार था।

पुरुष टीम ने जून में हुए वल्र्ड हॉकी लीग सेमीफाइनल्स में छठा स्थान हासिल किया। उसने इस टूर्नामेंट में शुरुआत में अच्छा प्रदर्शन किया, लेकिन इसे कायम नहीं रख सकी।

यूरोप दौरे में भारत की महिला और पुरुष हॉकी टीम का प्रदर्शन अच्छा था। इसके बाद दोनों टीमें आस्ट्रेलिया हॉकी लीग खेलने पहुंची। हालांकि, इससे पहले दोनों टीमों के कोच से जुड़े विवाद ने माहौल गर्म कर दिया था।

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रोलेंट ओल्टमैंस को 2020 टोक्यो ओलम्पिक तक पुरुष टीम के कोच पद की जिम्मेदारी दी गई थी, लेकिन दस माह बाद ही उन्हें इस पद से हटाकर महिला टीम के कोच शुअर्ड मरेन को नया कोच नियुक्त कर दिया गया, वहीं जूनियर विश्व कप विजेता टीम कोच हरेंद्र सिंह को महिला टीम का कोच नियुक्त किया।

हरेंद्र को पूरी उम्मीद थी कि उन्हें पुरुष टीम की जिम्मेदारी सौंपी जाएगी, लेकिन ऐसा हुआ नहीं और अचानक से मरेन को पुरुष टीम का कोच बना दिया गया।

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इस बदलाव के बाद अपने नए कोचों के मार्गदर्शन में महिला और पुरुष टीमें आस्ट्रेलिया हॉकी लीग का हिस्सा बनीं। हालांकि, दोनों टीमों के प्रदर्शन में उम्मीद के मुताबिक सुधार नहीं हुआ। महिला टीम इस लीग में केवल ग्रुप स्तर तक के ही मैच खेल सकी, वहीं पुरुष टीम ने इस लीग में मिला-जुला प्रदर्शन किया।

साल के अंत में पहुंचने तक महिला और पुरुष टीमें अपनी लय में आती नजर आईं। दोनों टीमों ने एशिया कप अपने नाम किया, जो दोनों टीमों की इस साल की सबसे बड़ी उपलब्धी भी साबित हुई।

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महिला टीम ने एशिया कप टूर्नामेंट में खिताबी जीत हासिल कर न केवल 13 साल के सूखे को खत्म किया, बल्कि अगले साल विश्व कप में अपना स्थान पक्का कर लिया।

इसके अलावा, विश्व रैंकिंग में स्पेन को पछाड़ते हुए भारतीय महिला टीम शीर्ष-10 टीमों की सूची में भी शुमार हो गई। वह दो स्थान ऊपर उठते हुए 12वें से 10वें स्थान पर पहुंच गई।

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भारतीय पुरुष टीम ने भी हीरो एशिया कप टूर्नामेंट में शानदार प्रदर्शन कर तीसरी बार खिताबी जीत हासिल की। इससे पहले, उसने 2003 में कुआलालम्पुर और 2007 में चेन्नई में इस टूर्नामेंट को जीता था।

साल के आखिरी महीने में भारत के भुवनेश्वर शहर ने पुरुष हॉकी वर्ल्ड लीग फाइनल्स की मेजबानी की। इस लीग में भारतीय टीम का प्रदर्शन न केवल देखने लायक, बल्कि सराहना के काबिल भी रहा।

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भारतीय पुरुष टीम भले ही इसमें खिताबी जीत हासिल नहीं कर पाई, लेकिन उन्होंने जर्मनी को 2-1 से मात देकर कांस्य पदक जीता।

साल का अंत जीत के साथ करने के साथ ही अगले साल में टीम की कोशिश इसी प्रदर्शन को बरकरार रखने की होगी। दोनों टीमों के कोच जानते हैं कि हॉकी के लिए अगला साल महत्वपूर्ण है और टीमें अच्छा प्रदर्शन करेंगी।

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