Home Breaking संघ की हैदराबाद बैठक में केरल में स्वयंसेवकों की हत्या का मामला गरमाया

संघ की हैदराबाद बैठक में केरल में स्वयंसेवकों की हत्या का मामला गरमाया

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संघ की हैदराबाद बैठक में केरल में स्वयंसेवकों की हत्या का मामला गरमाया
Hyderabad : RSS meeting turns focus on political murders
Hyderabad : RSS meeting turns focus on political murders
Hyderabad : RSS meeting turns focus on political murders

हैदराबाद। आंध्रप्रदेश-तेलंगाना में हो रही राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की अखिल भारतीय कार्यकारी मंडल की बैठक में सोमवार के सत्र में कई मुद्दों पर चर्चा हुई। जिसमें केरल में मार्क्सवादी कार्यकर्ताओं द्वारा संघ स्वयंसेवकों की निर्मम हत्या का मुद्दा प्रमुख रहा।

सत्र में कहा गया कि अखिल भारतीय कार्यकारी मंडल केरल में मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी द्वारा राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ तथा अन्य विरोधियों के विरुद्ध उसकी निरंतर हिंसा की कठोर शब्दों में निंदा करता है।

केरल में 1942 में अपना कार्य प्रारंभ करने के समय से ही संघ द्वारा केरल प्रदेश के नागरिकों में राष्ट्रीय भावना, एकता एवं एकात्मता का भाव उत्पन्न करने के पवित्र कार्य तथा इसकी लोगों में सतत बढ़ती लोकप्रियता एवं प्रभाव से हताश होकर वामपंथी एवं बाद में विशेषकर मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी, संघ की शाखाओं व कार्यकर्ताओं पर अकारण एवं नृशंस आक्रमण कर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ को समाप्त करने के निष्फल प्रयासों में जुटे हुए हैं।

मार्क्सवाद, एक विचारधारा के नाते अपनी मूल प्रवृत्ति से ही, न केवल असहिष्णु अपितु अधिनायकवादी भी है। केरल प्रदेश में गत सात दशकों में रक्त पिपासु मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी काडर द्वारा अपने नेतृत्व की मूक सहमति एवं मिलीभगत से 250 से अधिक संघ के ऊर्जावान एवं होनहार युवा कार्यकर्ताओं की वीभत्स तरीके से हत्याएँ एवं भारी संख्या में स्त्रियों और पुरुषों को गंभीर चोटें पहुचाकर उन्हें अक्षम बनाया है।

संघ के इन उत्पीड़ित कार्यकर्ताओं की सर्वाधिक संख्या मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी का गढ़ माने जाने वाले कन्नूर जिले से ही है। संघ के स्नेह तथा आत्मीयता आधारित कार्य, स्वच्छ छवि एवं राष्ट्रवादी चिंतन से आकर्षित होकर, मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के काडर का निरंतर उसके प्रभाव में आते जाना उनको सर्वाधिक अखरता है।

संघ अपनी सहज प्रवृत्ति “सभी से मित्रता – द्वेष किसी से नहीं” के ध्येय को लेकर समाज के विभिन्न वर्गों में सौहार्द, एकजुटता एवं एकता स्थापित करने में संलग्न है। सभी प्रकार के मतभेदों के होते हुए भी, संघ ने प्रदेश में शांतिपूर्ण वातावरण निर्माण करने के सदैव प्रामाणिक प्रयास किये हैं। परन्तु दुर्भाग्य से मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी अपनी सोच के अनुरूप विवेकरहित हिंसा के अत्यधिक निंदनीय कार्य में निरंतर लगी हुई है।

विगत 11 जुलाई 2016 को भारतीय मजदूर संघ के सी.के.रामचंद्रन की, उनके घर में, उनकी पत्नी के सामने ही, उसकी दया याचनाओं को अनसुना करते हुए क्रूरतापूर्वक हत्या कर दी गई| के. रमित 12 अक्टूबर 2016 को अपनी गर्भवती बहिन के लिए औषधि लेने जा रहा था, तब दिनदहाड़े उसी के घर के सामने उसे मौत के घाट उतार दिया गया। अपने पिता का इकलौता पुत्र के. रमित परिवार की आजीविका का एकमात्र सहारा था। उसके पिता, बसचालक उत्तमन की हत्या भी 14 वर्ष पूर्व मार्क्सवादी गुंडों ने बस चलाते हुए कर दी थी।

मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी की हिंसक एवं बर्बर असहिष्णुता के ये नवीनतम उदाहरण हैं। मार्क्सवादियों की हिंसा केवल विभिन्न क्षेत्रों में सक्रिय संघ कार्यकर्ताओं के विरुद्ध ही नहीं अपितु उनके मातृ संगठन भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी सहित सभी वर्तमान गठबंधन सहयोगियों यथा आर.एस.पी, जनता दल आदि के विरुद्ध भी हो रही है।

टी.पी. चंद्रशेखरन की 4 मई 2012 को की गई निर्मम हत्या से यह सिद्ध होता है कि वे संगठन से अलग होने वाले अपने स्वयं के काडर को भी नहीं छोड़ते हैं। यह घोर विडंबना है कि मार्क्सवादी हिंसा के शिकार मुख्यतया गरीब, पिछड़े, दलित तथा अल्पसंख्यक वर्गों के लोग ही होते हैं जिनके रक्षक होने का वे दावा करते हैं। उन्होंने महिलाओं व बच्चों को भी नहीं छोड़ा है।

मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के नेतृत्व में वामपंथी लोकतांत्रिक मोर्चा जब भी सत्ता में आया है, तब-तब मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी गृह मंत्रालय को अपने ही पास रखा तथा पुलिस बल को अपना हस्तक बनाकर पार्टी के कार्यकर्ताओं को अभयदान देते हुए, संघ की शाखाओं एवं कार्यकर्ताओं के विरुद्ध हिंसात्मक आक्रमण की खुली छूट देती है।

मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी की कार्यशैली, केवल संघ के कार्यकर्ताओं का निर्मूलन करना ही नहीं अपितु उन्हें आर्थिक रूप से पंगु बनाने व आतंकित करने के लिए उनकी खड़ी फसलों, भवन, घरेलू सामान, विद्यालय भवनों, मोटरवाहनों आदि को नष्ट करना है। मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी की असहिष्णु एवं अलोकतांत्रिक कार्यशैली पर अविलम्ब अंकुश लगना चाहिए। यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि जो लोग अन्यथा छोटे-छोटे विषयों पर भी आग्रहपूर्वक मुखर होते हैं, इस विषय पर मौन बने हुए हैं।

यह गर्व का विषय है कि इन सब अत्याचारों तथा निर्मम हत्याओं के उपरांत भी हमारे कार्यकर्ताओं का मनोबल बहुत ऊंचा हैं तथा वे और अधिक शक्ति के साथ संघ के विचार को आगे बढ़ाने के लिए प्रतिबद्ध हैं। इसके साथ ही विभिन्न क्षेत्रों में संघ की गतिविधियां तीव्र गति से बढ़ रही हैं तथा इन कार्यकलापों में समाज बड़े पैमाने पर समर्थन एवं सहयोग के लिए आगे आ रहा है।

अखिल भारतीय कार्यकारी मंडल केरल सरकार के साथ-साथ केन्द्र सरकार से यह आवाहन करता है कि हिंसा के दोषी-तत्वों के विरुद्ध तुरंत उचित कार्यवाही करते हुए, केरल में विधि-सम्मत शासन सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक कदम उठाएं।

अखिल भारतीय कार्यकारी मंडल संचार माध्यमों सहित जनसामान्य से भी आवाहन करता है कि मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के हिंसात्मक तौर-तरीकों के विरुद्ध जनमत निर्माण करने के लिए विभिन्न मंचों पर अपनी आवाज उठाएं।

विश्व के सम्मुख उभरती वर्तमान चुनौतियों के सन्दर्भ में अखिल भारतीय कार्यकारी मंडल का सुविचारित मत है कि पंडित दीनदयाल जी उपाध्याय द्वारा शाश्वत भारतीय चिंतन के आधार पर प्रतिपादित “एकात्म मानव दर्शन” के अनुसरण से ही इन सबका सहज समाधान संभव है।

चर-अचर सहित समग्र सृष्टि के प्रति लोक-मंगल की प्रेरक एकात्म दृष्टि के साथ सम्पूर्ण जगत के पोषण का भाव ही इसका आधार है। आज विश्व में बढ़ रही आर्थिक विषमता, पर्यावरण-असंतुलन और आतंकवाद विश्व मानवता के लिए गंभीर चुनौती का कारण बन रहे हैं।

अनियंत्रित पूंजीवाद व वर्ग-संघर्ष की साम्यवादी विचारधाराओं को अपनाने के कारण ही आज विश्वभर में बेरोजगारी, गरीबी, कुपोषण के साथ-साथ विविध देशों में बढ़ते आर्थिक संकट और विश्व के दो-तिहाई से अधिक उत्पादन पर चंद देशों की बहुराष्ट्रीय कंपनियों का आधिपत्य आदि समस्याएं अत्यन्त चिंताजनक हैं।

भौतिक आवश्यकताओं पर ही केन्द्रित जीवनदृष्टि के कारण परिवारों में विघटन व मनोविकार-जन्य रोग तीव्र गति से बढ़ रहे हैं। प्रकृति के अनियंत्रित शोषण से बढ़ते तापमान के कारण उभरती प्राकृतिक आपदाएं, समुद्र के जल स्तर में निरंतर वृद्धि, वायु-जल-मिट्टी का बढ़ता प्रदूषण, जल संकट, उपजाऊ भूमि का बंजर होते चले जाना और अनेक जीव-प्रजातियों का विलोपन आदि चुनौतियाँ बढ़ रही हैं।

आज संपूर्ण विश्व में मजहबी कट्टरता एवं अतिवादी राजनैतिक विचारधाराओं से प्रेरित आतंकवाद विकराल रूप धारण कर चुका है। परिणामत: आबाल-वृद्ध व महिलाओं की क्रूरतापूर्ण हत्याएँ निर्बाध गति से बढ़ रही हैं। इन सबके प्रति कार्यकारी मण्डल गहरी चिंता व्यक्त करता है।

इन सबका निवारण एकात्म मानव दर्शन के चिंतन के अनुरूप व्यक्ति से विश्व पर्यंत संपूर्ण जीव सृष्टि व उसके पारिस्थितिकी-तंत्र में पारस्परिक समन्वय से संभव है। व्यक्ति, परिवार, समाज, विश्व, समग्र जीव-सृष्टि व परमेष्ठी अर्थात् संपूर्ण ब्रह्माण्ड के बीच अंगांगी भाव से ही सभी व्यक्तियों, समुदायों व राष्ट्रों में संघर्ष व अनुचित स्पर्धा को समाप्त कर शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व के साथ सतत विकास सुनिश्चित किया जा सकता है।

सन् 1992 में संयुक्त राष्ट्र संघ द्वारा रियो डी जेनेरियो में आयोजित पृथ्वी सम्मलेन में 172 राष्ट्रों ने विश्व शांति, धारणक्षम विकास व पर्यावरण-संरक्षण के लक्ष्यों से स्वयं को प्रतिबद्ध किया था। दुर्भाग्यवश, विश्व आज उन लक्ष्यों से सतत दूर होता जा रहा है।

एक बार पुन: 2015 के पेरिस सम्मलेन में विश्व के अधिकांश राष्ट्रों ने वैश्विक तापमान में वृद्धि पर नियंत्रण के लक्ष्यों की प्राप्ति के लिए स्वयं को प्रतिबद्ध किया है। इन लक्ष्यों की प्राप्ति के लिए सभी राष्ट्र एकात्म विश्व के अंग के रूप में साधनों के मर्यादित उपभोग के साथ सबके सामूहिक विकास का प्रयास करें और सभी नागरिक इसी अंगांगी भाव से परिवार, समाज और प्रकृति के बीच सामंजस्यपूर्ण व्यवहार करें तब ही विश्व में बिना संघर्ष व टकराव के स्थायी सौहार्द स्थापित हो सकेगा।

यह वर्ष पंडित दीनदयाल जी उपाध्याय की जन्मशताब्दी एवं उनके द्वारा शाश्वत भारतीय चिंतन के युगानुकूल प्रतिपादन-एकात्म मानव दर्शन का 51वां वर्ष है। इस वर्ष को इस विचार की क्रियान्विति का समीचीन अवसर मानकर अखिल भारतीय कार्यकारी मण्डल स्वयंसेवकों सहित समस्त नागरिकों, केंद्र व विभिन्न राज्य सरकारों तथा विश्व के प्रबुद्ध विचारकों का आवाहन करता है कि समग्र प्रकृति सहित वैश्विक संरचना के सभी घटकों के बीच सामंजस्य हेतु सभी प्रकार के संभव प्रयास करें।

इस हेतु उपयुक्त प्रतिरूप (मॉडल) के विकास के साथ ही इस विचार के क्रियान्वयन के लिए समुचित प्रयोग भी करने होंगे। इससे सम्पूर्ण विश्व में प्राणी-मात्र के सुखमय जीवन और लोक-मंगल के लक्ष्य की प्राप्ति होगी।