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भारत में 2016 में कोई फांसी नहीं दी गई : एमनेस्टी

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भारत में 2016 में कोई फांसी नहीं दी गई : एमनेस्टी
india carried out no executions in 2016: Amnesty
india carried out no executions in 2016: Amnesty
india carried out no executions in 2016: Amnesty

लंदन। अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार समूह एमनेस्टी इंटरनेशनल की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत में पिछले साल किसी भी व्यक्ति को फांसी नहीं दी गई, हालांकि 136 लोगों को मौत की सजा सुनाई गई जो इसके पहले के वर्षों के मुकाबले काफी ज्यादा है।

एमनेस्टी ने ‘डेथ सैंटेसेज एंड एक्सीक्यूशंस’ नामक वार्षिक रिपोर्ट में कहा है कि भारत में 2016 में 136 लोगों को मौत की सजा सुनाई गई जो इसके पहले के वर्षों के मुकाबले काफी ज्यादा है। दूसरी तरफ पाकिस्तान में मौत की सजा की तामील के मामले में 73 फीसदी की गिरावट आई।

इस रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत ने पिछले साल कोई फांसी नहीं दी, लेकिन वह उन कुछ चुनिंदा देशों में शामिल रहा है जहां ड्रग संबंधी अपराधों को लेकर मौत की सजा सुनाई गई और उसने अपहरण के ऐसे मामलों में मौत की सजा के प्रावधान के लिए अपने कानूनों में संशोधन किया जिनमें पीडि़त की मौत नहीं हुई हो।

एमनेस्टी की रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत में पिछले साल के अंत में ऐसे लोगों की संख्या 400 से अधिक थी जिनको मौत की सजा सुनाई गई हो। मई महीने में राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय-दिल्ली ने एक विस्तृत अध्ययन प्रकाशित किया था कि मौत की सजा पाए अधिकतर कैदी आर्थिक रूप से कमजोर और सामाजिक रूप से वंचित समूहों से हैं।

इस मानवाधिकार समूह के अनुसार बीते वर्ष दुनिया भर में 1,032 लोगों को मौत की सजा दी गई, जो पहले के मुकाबले 37 फीसदी कम है। चीन ने सबसे अधिक लोगों को मौत की सजा दी गई।

अमरीका में पिछले वर्ष 1999 से लेकर अब तक सबसे कम लोगों को मौत की सजा दी गई। भारत में पिछले वर्ष किसी भी व्यक्ति को फांसी नहीं दी गई हालांकि वहां की जेलों में लगभग 400 ऐसे कैदी मौजूद हैं जिन्हें इस वर्ष के आखिर तक मौत की सजा दी जानी थी।

भारत में 2015 में जहां 75 लोगों को मौत की सजा सुनाई गई थी वहीं पिछले वर्ष 136 लोगों को मृत्युदंड सुनाया गया।

पाकिस्तान में जहां 2015 में 320 लोगों को फांसी दी गई वहीं 2016 में यह आंकड़ा गिरकर 87 रह गया। पश्चिम एशिया और उत्तरी अफ्रीका में भी मृत्युदंड के मामलों में 28 फीसदी की गिरावट आई है।

मृत्युदंड दिए जाने के मामलों में आई 37 फीसदी की गिरावट

दुनिया भर में अपराधियों को मृत्युदंड दिए जाने के मामलों में वर्ष 2016 में 2015 की तुलना में 37 फीसदी की गिरावट आई है।

मानवाधिकार संगठन’एमनेस्टी इंटरनेशनलÓकी हालिया रिपोर्ट के मुताबिक़ 2016 में दुनिया भर में 1032 लोगों को मृत्युदंड दिया गया जबकि 2015 में 1634 लोगों को मौत की सजा दी गई। दुनिया भर में 1989 के बाद 2015 में सबसे अधिक मौत की सजा दी गई। इन आंकड़ों में चीन के मृत्युदंड के आंकड़े शामिल नहीं हैं।

एमनेस्टी इंटरनेशनल ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि चीन मौत की सजा देने के मामले में दुनिया में अव्वल नंबर पर है जबकि ईरान, सऊदी अरब, पाकिस्तान और इराक इसके बाद आते हैं।

हालांकि चीन की ओर से मृत्युदंड के आंकड़े उपलब्ध नहीं कराए जाने के कारण इस बारे में स्पष्ट तौर पर कुछ नहीं कहा जा सकता। संगठन का दावा है कि चीन में प्रतिवर्ष हजारों लोगों को मृत्युदंड दिया जाता है।

रिपोर्ट के मुताबिक मौत की सजा दिए जाने के मामले ईरान सबसे ऊपर हैं और वहां 2016 में 567 लोगों को मृत्युदंड दिया गया जबकि 2015 में यह आंकड़ा 977 था। यह सजा पाने वालों में ज्यादातर मादक पदार्थों की तस्करी से जुड़े हुए थे।

संगठन का कहना है कि इनमें से दो लोग तो अपराध करने के समय 18 वर्ष से कम उम्र के थे जिन्हें मृत्युदंड दिया जाना अंतरराष्ट्रीय कानूनों का उल्न्लंघन है।