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अंधेरे में चमकती लहरें : बायोल्युमिनीसिएंट बे

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अंधेरे में चमकती लहरें : बायोल्युमिनीसिएंट बे

डेड सी (मृत सागर) का पानी नमकीन है तो अफ्रीका की रेबता झील में पानी की लवणता इतनी अधिक है कि उसका रंग ही बदलकर गुलाबी हो चुका है। विश्व में प्रकृति के ऐसे तमामा चमतकारों में से ही एक है ‘बायोल्युमिनीसिएंट बे’ जो अंधेरे में भी रोशनी दिखाती है। असल में इस खा​ड़ी में कुछ ऐसे जीव भी पाए जाते हैं, जो अंधेरे में पानी में जरा सी हलचल होने पर पानी को नीली रोशन चादर ओढ़ा देते हैं।

बायोल्युमिनीसिएंट बे का अर्थ यहां ऐसी पानी की खाड़ी से लगाया जाता है, जिसके पानी में डिनोफ्लेगेलिटिज नामक जीव पाए जाते हैं। इन जीवों की विशेषता यही है कि यह अंधेरे में जुगनू की माफिक चमकते हैं। एक और बात जो इन पानी की खाड़ियों को अलग बनाती है, वह यह है कि ये खाड़ियां लाल मैंग्रोव नामक जलीय पौधे की झाड़ियों से घिरी हुई हैं। इन विशेषताओं के चलते ये खाड़ियां बड़ी संख्या में दुनियाभर के पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करती हैं। यहां आने वाले पर्यटकों को इन खाड़ियों में बोटिंग के साथ जलक्रीडा करने का मौका मिलता है। पर्यटन स्थल के तौर पर उभरती इन खाड़ियों को बढ़ते शहरीकरण और आधुनिकीकरण के दौर में बचाने की हर मुमकिन कोशिश की जा रही है।

विश्वभर में है ऐसे तीन ‘खाड़िया’

दुनिया में इस तरह की तीन प्रमुख खाड़ियां हैं। पहली है अमेरिका के प्यूरेटो रिको के दक्षिणी-पश्चिमी इलाके की ‘ला पैराग्यूरा बे’। दूसरी है विगेस नामक द्वीप की ‘मॉस्क्यूटो बे’ और तीसरी है फैजारडो इलाके की ‘ला लगुना ग्रांड’। इन तीनों खाड़ियों में से सबसे तेज चमकती है मॉस्क्यूटो बे, जबकि सबसे कम चमकने वाली खाड़ी है ला पैराग्यूरा। वैसे ये तीनों ही खाड़ियां पर्यटकों की पसंदीदा जगहों में शुमार हैं।

खास है पर्यटको के लिए

अंधेरे में खाड़ी की गिरती-उठती तेज लहरें जब रोशन होती हैं तो ऐसा लगता है मानो पानी में हजारों की संख्या में नीली रोशनी की लड़ियों का जाल बिछा हो। इन खाड़ियों का यही नजारा हर साल हजारों की संख्या में पर्यटकों का मन मोहता है। यहां आने वाले पर्यटकों के अनुभव को यादगार बनाने के लिए इस इलाके के टूर आॅपरेटर्स यात्रियों के लिए बोटिंग की व्यवस्था भी करते हैं। बोटिंग करने के लिए यहां डोंगी और इलेक्ट्रॉनिक बोट्स का इस्तेमाल होता है। अमूमन एक रात में दो बार बोटिंग करने का मौका मिलता है। बोटिंग का एक ट्रिप ढाई घंटे का होता है। इसी के साथ यहां आने वाले पर्यटकों को खास अंदाज में फोटो खिंचवाने का मौका भी दिया जाता है। इसके तहत पर्यटक यहां विभिन्न तरह की जलक्रीडा करते हैं और उनके इर्द-गिर्द नीले रंग की चमकती आभा उभरने लगती है।

कवायद बचाने की

इस प्राकृतिक अजूबे को लंबे समय तक सुरक्षित रखने की हर मुमकिन कोशिश की जा रही है। मसलन, इस इलाके के आस-पास शहरीकरण रोका जा रहा है और जहां तक हो सके, इसे प्रदूषण से दूर रखने की कोशिश की जा रही है। वहीं, इन खाड़ियों के किनारे पनपने वाले लाल मैंग्रोव्स की कटाई पर रोक लगा दी गई है। साथ ही इनकी मात्रा बढ़ाने की कोशिश की जा रही है, क्योंकि इनकी खराब या नष्ट हो चुकी पत्तियां और जड़ें हीं इन खाड़ियों में पनपने वाले सूक्ष्म जीवों डिनोफ्लेगेलिटिज का मुख्य आहार है। इसके साथ इन खाड़ियों में गैस से चलने वाली नावों पर प्रतिबंध है, क्योंकि इन नावों से हानिकारक गैस निकलती है, जो इन खाड़ी के पानी को प्रदूषित करती है और इनमें रहने जीवों को हानि पहुंचाती है। वहीं, इन खाड़ियों में एक सीमा तक ही पर्यटकों को तैरने  की अनुमति है।

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