Home Headlines कोर्ट परिसर में याराना बस के मालिक उपेन्द्र सिंह की गोली मारकर हत्या

कोर्ट परिसर में याराना बस के मालिक उपेन्द्र सिंह की गोली मारकर हत्या

0
कोर्ट परिसर में याराना बस के मालिक उपेन्द्र सिंह की गोली मारकर हत्या
JMM leader Upendra Singh shot dead in court premises in jamshedpur
JMM leader Upendra Singh shot dead in court premises in jamshedpur
JMM leader Upendra Singh shot dead in court premises in jamshedpur

रांची/जमशेदपुर। साकची कोर्ट परिसर में बुधवार को उस वक्त अफरा-तफरी मच गई, जब कोर्ट परिसर मैं ताबड़तोड़ फायरिंग होने लगी।

गोलीबारी में झारखंड मुक्ति मोर्चा के नेता एवं बस मालिक उपेन्द्र सिह के घायल होने के बाद आनन-फानन में उन्हें इलाज के लिए टाटा मुख्य अस्पताल लाया गया जहां इलाज के दौरान उनकी मौत हो गई।

पुलिस ने मामले में दो अपराधियो विनोद कुमार और सोनू सिंह को गिरफ्तार किया है। दोनों के पास से दो पिस्टल, एक सिक्सर बरामद किया गया है।

बताया जाता है कि याराना बस के मालिक उपेंद्र सिह पर पिछले साल रामशकल यादव की हत्या का आरोप लगा था। उसी मामले में बुधवार को सुनवाई कोर्ट में होनी थी। उसी सिलसिले में उपेंद्र सिंह आपने वकील सुभाष राय से मिलने कोर्ट गए थे।

वकील से बात करने के दौरान दो अपराधकर्मी आये सामने से ताबड़ तोड़ उन पर गोली चला दी। गोली चलते ही कोर्ट में भगदड़ मच गई।

गोली लगते ही उपेंद्र सिंह गिर पड़े। इस दौरान उपेन्द्र सिह के ब़ॉडी गार्ड के द्वारा भी गोली चलाई गई। जब अपराधकर्मियों की गोली ख़त्म हो गई। तो सभी टेबल के पीछे छिप गए।

घटना के बाद एक आरोपी को वहां मौजूद वकीलों ने पकड़ लिया और जमकर पिटाई की। बहरहाल दो आरोपी पुलिस की गिरफ्त में है।

वहीं वकील की पिटाई से अपराधी गंभीर रूप से घायल हो गए, जिनमे से एक टाटा मुख्य अस्पताल भेजा गया। वहीं दूसरे को एम जी एम अस्पताल भेजा गया। जैसे ही शहर मे हल्ला हुआ कि उपेन्द्र सिंह की गोली मार कर हत्या कर दी गई है।

वैसे उपेन्द्र सिंह के समर्थक टाटा मुख्य अस्पताल में जुटने लगे। देखते-देखते टीएमएच में भीड़ हो गई। वहीं टाटा मुख्य अस्पताल में भीड़ को देखते हुए पुलिस के द्वारा अतिरिक्त पुलिस बल बुला लिया गया।

ठीक उसी वक्त जिसने उपेन्द्र सिंह को गोली मारी थी, उसे घायल अवस्था में टाटा मुख्य अस्पताल लाया गया। जैसे ही उपेन्द्र सिंह के समर्थकों को पता लगा कि उसने गोली चलवाई है। कुछ समर्थक टीएमएच के अंदर गए और उसको जमकर पीटा।

जैसे ही पुलिस को पता चला कि घायल अपराधी को पीटा जा रहा है तो काफी संख्या में पुलिस बल आ गए और सभी को वहां से निकाला गया।

उसके बाद सभी लोगों ने शव के साथ अस्पताल के सामने सड़क जाम कर दिया। बाद में सिटी एसपी के हस्तक्षेप के बाद जाम हटाया गया।

गैंगवार की गोलियों से गूंजता रहा कोर्ट परिसर

जमशेदपुर के कोर्ट में गैंगवार को लेकर हुई फायरिंग अकेली घटना नहीं है। इससे पहले भी गैंगवार की गोलियों से राज्य के कई जिलों के कोर्ट गूंजता रहा है। बुधवार को जमशेदपुर के कोर्ट में दोपहर को हुई फायरिंग में उपेन्द्र सिंह को गोली लगी थी। इलाज के दौरान टीएमसीएच में उसकी मौत हो गई।

मामले में दो अपराधियों को पकड़ा गया है, जो पिस्टल लेकर कोर्ट में घुसे थे और फायरिंग की थी। दोनों का नाम विनोद कुमार और सोनू सिंह है। पुलिस मुख्यालय की ओर से जमशेदपुर एसएसपी को रिपोर्ट तलब की गई है।

घटना के बाद से पूरे राज्य के कोर्ट में अलर्ट जारी किया गया है। सूत्रों के अनुसार उपेन्द्र और अखिलेश के बीच पुरानी अदावत है। दोनों के बीच वर्चस्व की लड़ाई पहले से ही चल रही है। इससे पहले भी 24 मई 2014 को जमशेदपुर में अखिलेश सिंह पर कोर्ट में पेशी के दौरान दो अपराधियो ने फायरिंग की थी।

अपराधियों की गोली रिवाल्वर में फंस जाने के कारण अखिलेश सिंह को गोली नहीं लगी। लेकिन अखिलेश सिंह के समर्थकों ने दोनों अपराधियों को पकड़ लिया था और जमकर घुनाई की थी।

पुलिस ने इस मामले में एक महिला सहित तीन लोगों को हिरासत मे लिया था। वहीं इससे पहले 2 जून 2015 को हजारीबाग जिले में कोर्ट परिसर के अंदर एके 47 से फायरिंग हुई थी। इसमें तीन लोगों की मौत हो गई थी। यह फायरिंग भी गैंगवार में ही हुई थी। इसमें सुशील श्रीवास्तव, रियाज खान और कलाम को गोली लगी थी।

इस घटना में गैंगस्टर सुशील श्रीवास्तव के मारे जाने के पीछे कोर्ट की सुरक्षा में चूक की बात सामने आई थी। सीआइडी जांच में इसका खुलासा हुआ था।

गौरतलब है कि गैंगवार की वजह से कोर्ट में ज्यादा घटनाएं होती हैं। जानकारों का कहना है कि इसे रोकने के लिए सभी कोर्ट की सुरक्षा बढ़ानी पड़ेगी। सभी गेट पर जांच के बाद ही किसी को अंदर प्रवेश की अनुमति होनी चाहिए। लेकिन ऐसा नहीं है।

कोर्ट में लगाए गए सुरक्षाकर्मी ना किसी को चेक करते हैं, ना ही जांच ऐसे में कोर्ट परिसर में अंदर प्रवेश के पहले जांच के बिना जाने देने के वजह से भी घटनाएं घटती हैं।