Home Sirohi Aburoad नवजात की चोरी के मामले में जांच को पहुंचे संयुक्त निदेशक, तरीके पर उठी अंगुलियां

नवजात की चोरी के मामले में जांच को पहुंचे संयुक्त निदेशक, तरीके पर उठी अंगुलियां

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नवजात की चोरी के मामले में जांच को पहुंचे संयुक्त निदेशक, तरीके पर उठी अंगुलियां
cmho sirohi recieved complent letter in 2014
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सबगुरु न्यूज-आबूरोड । करीब दो साल पहले सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र नवजात के चोरी होने के मामले की शिकायत की जांच के लिए शनिवार को संयुक्त निदेशक डॉ संजीव जैन राजकीय सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र पहुंचे।

इस प्रकरण में उन्होंने संबंधित पक्षों से जानकारी जुटाई और पत्रावली का अवलोकन किया। इस मामले की शिकायत होने के बाद अगस्त, 14 में सीएमएचओ सिरोही को जांच के आदेश मिले थे। इस प्रकरण का सबसे पहले खुलासा सबगुरु न्यूज ने किया था और लगातार इस मामले में समाचार प्रकाशित की, जिससे इसकी जांच अधिकारियों की नींद खुली है।
-यह था मामला
यह प्रकरण 6 मार्च, 2014 का है। जब राजकीय चिकित्सालय से नवजात चोरी हुआ था। इस संबंध में एक गुमनाम पत्र सीएमएचओ सिरोही समेत चिकित्सा व प्रशासनिक अधिकारियों को मिला था। इसके बाद जैसे हडकम्प मच गया था। इसके लिए जांच दल गठित हुआ, लेकिन उसने भी इस मामले को ठंडे बस्ते में डाल दिया।

सबगुरु न्यूज ने सितम्बर, 14 में ‘तो चोरी हुआ था राजकीय चिकित्सालय से नवजातÓ शीर्षक से समाचार प्रकाशित करके इस प्रकरण को पहली बार सार्वजनिक किया था। इसके बाद राज्य के चिकित्सा मंत्री राजेंद्रसिंह राठौड़ 4 मई 2015 को आबूरोड पहुंचे तो उन्हें पत्रकार वार्त के दौरान इस मामले से अवगत करवाया। इसकी गंभीरता को देखते हुए राठौड़ ने संयुक्त निदेशक को जांच शुरु करने के आदेश दिए। जांच रिपोर्ट मंत्रालय को भेजने के आदेश दिए थे, घटना के दो वर्ष व्यतीत हो जाने के बाद भी चिकित्सा प्रशासन अभी तक किसी भी नतीजे पर नहीं पहुंचा।
-संदिग्ध है जांच की धीमी गति
जिस मंद गति से यह जांच की जा रही है उससे यही प्रतीत हो रहा है कि राज्य सरकार इस गंभीर मसले पर संजीदा नहीं है। चिकित्सा मंत्री के आदेश के 11 महीने बाद भी जिस मामले की प्राथमिक जांच में सिर्फ बयान लिए गए हैं, उसमें जांच कब तक पूरी की जाएगी, यह सहज ही अंदाजा लगाया जा सकता है।
इस तरह बेचा गया था बच्चा
जो शिकायत चिकित्सा विभाग को मिली थी, उसके अनुसार मार्च 2014 को एक महिला ने एक बच्चे को जन्म दिया था। इसे गुपचुप तरीके से मानपुर मे रहने वाले एक दम्पत्ती को बेच दिया गया था। नवजात की तबियत बिगडऩे पर उसे तरतोली रोड स्थित एक शिशु रोग विशेषज्ञ के यहां भर्ती करवाया गया था, जहां उपचार के दौरान उसकी मौत हो गईथी। घटना की जानकारी पहली बार एक गुमनाम पत्र के जरिए सामने आई।

जिला मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी को भेजे गए गुमनाम पत्र में बच्चे को लेकर सभी बाते लिखी गई। जिला मुख्य एवं स्वास्थ्य अधिकारी ने 29 अगस्त 2014 को मिले इस गुमनाम पत्र के आधार पर तीन चिकित्सकों की टीम बनाई गई। इसमें से एक पिण्डवाडा व दो आबूरोड चिकित्सको को शामिल किया गया, लेकिन निष्पक्ष जांच नही हो पाई। अगस्त 2014 से लेकर अब तक चिकित्सा प्रशासन कोई ठोस नतीजे पर नही पहुंच पाया। यह प्रकरण जब चिकित्सा मंत्री डॉ राजेन्द्र राठौड को पता चली तो उहोंने इस प्रकरण में जांच में ढिलाई पर चिकित्सा विभाग के संबंंधित अधिकारियों को फटकार भी लगाई थी।

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