Home Delhi अगले ट्वीट में किसका नाम होगा, कोई नहीं जानता

अगले ट्वीट में किसका नाम होगा, कोई नहीं जानता

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अगले ट्वीट में किसका नाम होगा, कोई नहीं जानता
lalit get : former IPL chairman lalit modi declares war, who is next target
lalit get : former IPL chairman lalit modi declares war, who is next target
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ललित मोदी के ट्वीट पर राजनीति करने की शुरूआत जो कांग्रेस ने की उसमें उसका दामन भी आ गया है। बहुत संभव है कि कांग्रेस में ही कुछ नेता जानबूझकर ललित मोदी की ट्वीट पर भाजपा के खिलाफ हमला बोल रहे हों इन्हें पता न रहा होगा कि आगे चलकर कांग्रेस के शीर्ष नेताओं का भी नाम आएगा।

आईपीएल का जन्म और जवानी के रूप में उसका विस्तार कांग्रेस के शासन में ही हुआ था। तब यह कैसे संभव था कि कांग्रेस के कतिपय बड़े नेताओं के उनसे संबंध ना रहे हैं। ललित मोदी के स्तर वाले व्यवसायी किसी एक पार्टी से बंधकर नहीं रहते। इनके सहयोगी, मित्र सभी दलों में होते हैं। इसी का लाभ उठाकर ये दिन दूनी राहत चैगनी उन्नति करते हैं।


गौरतलब है कि ललित मोदी प्रकरण पर कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी व उपाध्यक्ष राहुल गांधी कभी मुखर नहीं हुए थे। ये कार्य जयराम रमेश, आनन्द शर्मा, गुलाम नवी आजाद और सदाबहार दिग्विजय जैसे लोग कर रहे थे।

इन्होंने एक तो ललित को मानवीय आधार पर दी गयी सहायता को मुद्दा बनाया, दूसरा उन विषयों को मुद्दा बनाया जब कांग्रेस खुद सत्ता में थी और तीन वर्ष से अधिक का समय मिलने के बाद भी उसने संबंधित आरोपों की जांच नहीं की। यहां तक कि ललित के खिलाफ एफआईआर तक दर्ज नहीं हुई।


कांग्रेस हाईकमान इसे मुद्दे को अपने ही नेताओं द्वारा तूल दिए जाने के बाद असहज स्थिति में आ गया है। शायद उन्हें अनुमान रहा होगा कि एक दिन ललित के ट्वीट में उनका नाम भी आ सकता है। आशंका सही साबित हुई। खुद सोनिया गांधी का नाम भी ललित के ट्वीट में आ गया।


अब यह कैसे संभव है कि ललित भाजपा नेताओं पर जो ट्वीट करें, वह सब सही। उसे लेकर भाजपा नेताओं पर हमला बोल दो। जो ट्वीट कांग्रेस नेताओं पर हो, वह सब गलत और झूठ। ललित ने लंदन में सुषमा स्वराज से मुलाकात की बात कही। बात सही थी। सैकड़ों भारतीय व्यापारी विदेश मंत्री की लंदन यात्रा में उनसे मिले थे। यह प्रवासी भारतीयों का ही सम्मेलन था। ललित इन सैकड़ों में एक थे लेकिन कांग्रेस ने इस पर सुषमा को घेर लिया।


फिर ललित को अगला ट्वीट आया। इसमें कहा गया कि प्रियंका गांधी और राबर्ड वाड्रा से उनकी लंदन में मुलाकात हुई थी। इस पर कांग्रेस ने कहा कि होटल में बहुत लोग थे उसमें ललित भी थे, वहीं प्रियंका, राबर्ड से मुलाकात हुई थी। प्रवासी भारतीय सम्मेलन में मोदी से मुलाकात गलत और होटल में उनसे मुलाकात सही कैसे हो सकती है।


कांग्रेस के इन्हीं नेताओं ने ललित का अगला ई-मेल पकड़ा। इसमें कहा गया था कि सुषमा स्वराज के पति स्वराज कौशल को ललित मोदी ने अपनी कंपनी का निदेशक पद आॅफर किया था। कांग्रेस नेताओं को यह मुद्दा अच्छा लगा, हमला बोल दिया। बात सही थी। स्वराज कौशल ने भी इसे माना लेकिन अगली बात
अधिक महत्वपूर्ण थी। इससे मामले की दिशा बदल दी।

स्वराज कौशल ने कहा कि यह सही है कि ललित ने निदेशक पद की पेशकश की थी लेकिन उन्होंने इसे अस्वीकार कर दिया। यह अस्वीकार कराना ही महत्वपूर्ण था। इसके बाद तो मुद्दा ही समाप्त हो गया। लेकिन कांग्रेस के नेता उस पर भी तीर चला चुके थे। ललित के पिता का इस संबंध में अलग है। वह ललित के ई-मेल के अनुरूप नहीं है।


ललित मोदी के प्रत्येक मेल व ट्वीट को कांग्रेस के चुनिंदा नेता हथियार रूप में प्रयुक्त कर रहे थे। प्रियंका, राबर्ड पर ट्वीट को जैसे-तैसे गलत बताया लेकिन यह सफाई किसी को हजम नहीं हुई। इसके बाद ललित की सोनिया गांधी से संबंधित ट्वीट इंतजार कर रही थी। इसमें भाजपा सांसद वरूण गांधी का भी नाम था।

दोनों को एक ही मामले में दिखाया गया लेकिन सोनिया और मेनका-वरूण जिस प्रकार अलग हैं उसे देखते हुए इस ट्वीट में वरूण का नाम चैकाने वाला है। लेकिन कांग्रेस ने ललित को लेकर जो राजनीति शुरू की है उसके यह सब परिणाम तो होने ही थे। ललित के अगले ट्वीट में किसका नाम होगा, कोई नहीं जानता।

ललित ने ट्वीट से बाहर निकलने के लिए सोनिया गांधी की बहन से मिलने को कहा था। यह कई वर्ष पहले का मामला बताया गया। जाहिर है तब सोनिया गांधी संप्रग सरकार की चेयरपर्सन थीं। लेकिन उनकी इटली निवासी बहन का दखल गंभीर मसला है। ललित की मानें तो वह सोनिया गांधी की बहन से मिले थे। लेकिन उन्होंने सहायता के बदले तीन सौ पचहत्तर करोड़ रूपये की मांग की थी।


सोनिया गांधी पर ललित के ट्वीट पर कांग्रेस प्रवक्ता अभिषेक मनु सिंधवी की सफाई दोहरे मापदण्ड की मिसाल है। वह भाजपा नेताओं पर किए गए ललित के ट्वीट को सही मानते हैं। अपनी नेता की बात आयी तो बोले-ये बे सिर-पैर की बात है। ललित मोदी के इन दावों में कोई सच्चाई नहीं है। वह ट्वीट के द्वारा भ्रम फैलाने की कोशिश कर रहे हैं। कांग्रेस प्रवक्ता से पूछना चाहिए कि राजनीति का यह खेल शुरू किसने किया।

जब तक ट्वीट पर भाजपा नेताओं के नाम आ रहे थे उसे बहुत आनन्द मिल रहा था। ऐसा लग रहा था कि इस माध्यम से वह प्रधानमंत्री तक को घेर लेगी। लेकिन जब उसके शीर्ष नेताओं के नाम आने लगे तब वही बातें वे सिर पैर की नजर आने लगीं। इसके पहले भी संप्रग सरकार के कई मंत्रियों का ललित मोदी से संबंध उजागर हो चुके हैं।


जाहिर है कि राजनीतिक दलों को आत्मचिंतन करना चाहिए, क्या ललित मोदी जैसे व्यापारियों के ट्वीट देश की राजनीतिक दिशा तय होनी चाहिए। इसको इतना महत्व देना कितना उचित था। मामला विदेश मंत्री सुषमा स्वराज द्वारा मानवीय आधार पर ललित मोदी को दी गयी सहायता से शुरू हुई थी।

इसमें घोटाले की कोई बात नहीं थी। फिर इसे इतना तूल देने की आवश्यकता ही नहीं थी। जिन्होंने इसे मुद्दा बनाया वह सभी संप्रग सरकार के मंत्री थे। ये सभी लोग कांग्रेस के अनेक बड़े नेताओं के ललित मोदी से संबंधों को जानते थे। ललित को लंदन भगाने का आरोप भी कांग्रेस नेताओं पर लगे। ऐसे में कहीं इस मुद्दे को उठाने की पीछे कहीं उसकी आंतरिक राजनीति तो नहीं थी।

-डाॅ. दिलीप अग्निहोत्री