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7 घंटे मैराथन बहस के बाद राज्यसभा में जीएसटी विधेयक पास

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7 घंटे मैराथन बहस के बाद राज्यसभा में जीएसटी विधेयक पास
GST Bill passed in Rajya Sabha after 7 hour heated debate
GST Bill passed in Rajya Sabha
GST Bill passed in Rajya Sabha after 7 hour heated debate

नई दिल्ली। राज्यसभा में बुधवार को वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) संविधान संशोधन विधेयक 6 संशोधनों के साथ पारित हो गया।

प्रस्तावित जीएसटी विधेयक के समर्थन में 197 वोट पड़े और विरोध में एक भी वोट नहीं पड़ा। जीएसटी पर वोटिंग से पहले ही एआईएडीएमके के सदस्यों ने राज्यसभा से वॉकआउट कर दिया।

वित्त मंत्री अरूण जेटली ने बुधवार को राज्यसभा में वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) का 122वां संविधान संशोधन विधेयक पेश किया।

वित्त मंत्री ने सदन को बताया कि जीएसटी विधेयक सबसे पहले 2005 और उसके बाद 2011 में चर्चा के लिए लाया गया था। विधेयक पेश होने के बाद सदन में चर्चा शुरू हुई जो करीब सात घंटे तक चली और उसके बाद वोटिंग हुई।

बहस के दौरान विपक्ष द्वारा उठाए गए सवालों का जवाब देते हुए वित्त मंत्री अरूण जेटली ने कहा कि जीएसटी से टैक्स चोरी पकड़ी जा सकेगी।

जीएसटी काउंसिल केंद्र और राज्य दोनों को टैक्स, सेस, सरचार्ज पर सुझाव देगी। करीब हर राजनैतिक पार्टी का इसमें प्रतिनिधित्व होगा। उन्होंने जीएसटी को देश के आर्थिक विकास के महत्वपूर्ण बताते हुए कहा है कि इससे बड़ा बदलाव आएगा।

यह अब तक सबसे कड़ा आर्थिक सुधार है, क्योंकि इससे पूरे देश में एक समान कर लगेगा। जीएसटी पर ज्यादातर दलों में आम सहमति के बाद ही इसे राज्यसभा में पेश किया है। हमने विवाद निपटारे के लिए राज्यों को ज्यादा अधिकार दिए हैं।

उन्होंने कहा कि राज्य अपने अधिकार देने के लिए तैयार नहीं हैं। अगर कांग्रेस सरकार ने जीएसटी को रखा होता तो एक भी राज्य की सरकार इसे लागू करने पर सहमत नहीं होती। जेटली ने कहा कि जीएसटी लागू होने के बाद कर बचाना बहुत कठिन हो जाएगा।

सीईए की 2013-14 की रिपोर्ट यह नहीं कहती कि जीएसटी की दर 18 फीसदी होनी चाहिए, हमें 17 से 19 के बीच की दर रखने की बात कही गई थी, अच्छा होगा अगर हम 18 फीसदी की दर तय कर सकें।

चिदंबरम के सवाल का जवाब देते हुए अरुण जेटली ने कहा कि राज्य 18 फीसदी कर की दर पर तैयार नहीं है, वे चाहते हैं कि दर बढ़ाई जाए। यह आधा सच है कि केंद्र के पास वीटो है, राज्यों के पास भी वीटो है।

उन्होंने कहा कि हम नया प्रयोग कर रहे हैं ताकि केंद्र और राज्य दोनों का कर ढांचा एक हो। उन्होंने कहा कि टैक्स व्यवस्था में केंद्र और राज्य दोनों को प्रभावी अधिकार होने चाहिए और राज्यों को बिल्कुल मजबूत होना चाहिए, लेकिन केंद्र के हाथों में अधिकार के बिना संघीय व्यवस्था का अस्तित्व ही नहीं हो सकता। टैक्स नीति से केंद्र को अलग नहीं रख सकते।

वहीं पूर्व केंद्रीय मंत्री पी चिदंबरम ने राज्यसभा में वित्त मंत्री अरुण जेटली के जीएसटी पर दिए गए भाषण का स्वागत किया है। उन्होंने कहा है कि मैं साफ करना चाहता हूं कि कांग्रेस कभी भी जीएसटी के विरोध में नहीं थी। साथ ही उन्होंने जीएसटी की ऊपरी सीमा 18 फीसदी फिक्स करने की भी बात कही है।

जीएसटी को देश की अर्थव्यवस्था के लिए एक बेहतर कदम बताए जाने के बावजूद कांग्रेस ने आज स्पष्ट किया कि वह इससे संबंधित कानून में कर की मानक दर 18 प्रतिशत से अधिक न रखे जाने की अपनी मांग पर कायम रहेगी।

साथ ही पार्टी ने कहा कि जीएसटी संबंधित कानून में विवाद निस्तारण तंत्र का स्पष्ट रूप से उल्लेख किया जाना चाहिए।

उन्होंने कहा कि मौजूदा एनडीए सरकार ने भी 18 महीने तक बिना मुख्य विपक्षी दल के सहयोग के इस विधेयक को पारित कराने की कोशिश की किन्तु वह भी विफल रही।

अब सरकार ने पिछले पांच छह महीने से सबको साथ लेने का प्रयास किया है और उसके अच्छे परिणाम भी सामने आए हैं। पूर्व वित्त मंत्री चिदंबरम ने आरोप लगाया कि मौजूदा विधेयक का मसौदा का प्रारूप जटिल है।

उन्होंने कहा कि हर कर का यही मकसद होता है कि इससे प्राप्त होने वाला राजस्व केंद्र अथवा राज्यों की संचित निधि में जाए। उन्होंने कहा कि इस वर्तमान विधेयक में इसे लेकर अस्पष्टता है।

उन्होंने कुछ राज्यों को एक प्रतिशत का अतिरिक्त कर लगाने का अधिकार देने संबंधी प्रावधान को हटा लेने के सरकार के फैसले का स्वागत किया।

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता एवं पूर्व वित्त मंत्री पी. चिदंबरम ने वित्त मंत्री से सीजीएसटी और आईजीएसटी विधेयकों को वित्त विधेयक के रूप में पेश करने का आग्रह है। इस पर जेटली ने कहा कि इस पर कोई भी फैसला सभी पार्टियों से बात करने के बाद ही किया जाएगा।

आम सहमति बनाने के लिए जीएसटी बिल में 5 बड़े बदलाव किए गए हैं, जिसके तहत 1 फीसदी इंटरस्टेट ट्रांजेक्शन टैक्स हटाया गया है।

बदलाव के बाद अब राज्यों को 5 साल तक 100 फीसदी नुकसान की भरपाई की जाएगी पहले 3 साल तक 100 फीसदी, चौथे साल में 75 फीसदी और पांचवे साल में 50 फीसदी भरपाई का प्रावधान था।

इसके अलावा केंद्र-राज्य के बीच विवादों के निपटारे की व्यवस्था में भी बदलाव किया गया है। बिल की भाषा में कांग्रेस की मांग के मुताबिक बदलाव किया गया और राज्यों की एम्पावर्ड कमेटी में लिए गए फैसले के हिसाब से बदलाव किया गया है।