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भारत का लिटिल ‘फ्रांस’ हैं पुडुचेरी

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भारत का लिटिल ‘फ्रांस’ हैं पुडुचेरी

पांडिचेरी जिसके नाम बदलकर अब पुडुचेरी कर दिया गया है जिसका तमिल भाषा में अर्थ है नया गांव। इसकी सबसे ज्यादा चर्चा लंबे समय तक फ्रांसीसी कॉलोनी के रूप में रहने और महर्षि अरविंद के स्थापित आश्रम के कारण है। स्थापत्य कला व संस्कृति की दृष्टि से यह एक धनी नगरी है।

 आप रास्ते में ‘चोलामंडलम्‘ में ग्रामीण हस्तकला का नमूना देख सकते हैं तो ‘दक्षिणाचित्र‘ में दक्षिण भारत की कला संस्कृति, जीवनशैली और स्थापत्य कला के विविध रूपों को देख सकते हैं। रास्ते में मगरमच्छों का बैंक है जहां सैकड़ों मगरमच्छ एक-दूसरे से लिपटे देखे जा सकते हैं। चूंकि यहां मगरमच्छों का कृत्रिम प्रजनन केंद्र है, इसलिए आप न केवल इन्हें नजदीक से देख सकते हैं बल्कि नवजातों को गोद में भी उठा सकते हैं।

देश में ही विदेश का अनुभव

पुडुचेरी देश के अन्य नगरों से अलग सुनियोजित, सुव्यवस्थित और साफ सुथरा नगर है। यहां दिन गरम होते हैं लेकिन शाम व रात खुशनुमा होती हैं। पुडुचेरी पर पुर्तगाल, नीदरलैंड और रोमन शासन भी रहा। वर्ष 1670 में फ्रांसीसी यहां आ गए थे और 1816 में पुडुचेरी पर फ्रांस का पूर्ण नियंत्रण स्थापित हुआ। सड़कें और गलियां समानांतर हैं और सारी गलियां 90 डिग्री के कोण पर मिलती हैं। ऊंची-ऊंची दीवारों वाले भवन फ्रांसीसी इमारतों की विशेषता है। जैसे सेंट लुई स्ट्रीट, फैंकोस मार्टिन स्ट्रीट, रोमा रोलाँ स्ट्रीट, विक्टर सिमोनेल स्ट्रीट आदि। पूरा शहर एक नहर द्वारा दो भागों में विभाजित है- फ्रांसीसी या सफेद नगर और भारतीय या काला नगर। भारतीय भवनों में बरामदे सहित चौड़े दरवाजे हैं। दोनों संस्कृतियों की वास्तुकला के संरक्षण का दायित्व ‘इंटैक’ नामक संस्था ने ले रखा है जिसकी स्वीकृति के बिना यहां कोई भवन गिराने या निर्माण करने का कार्य नहीं हो सकता है।

खूबसूरत चर्चो की बहार

पुडुचेरी में सबसे पहले बीच रोड प्रमुख दर्शनीय स्थल है। बीच रोड समुद्र के किनारे है जहां रोज शाम के समय भीड़ देखने लायक होती है। यहां समुद्र का पानी गहरा नीला है जिसकी ऊंची लहरों को तट से टकराते हुए और शोर मचाते हुए देखना खासा सुहावना लगता है। बीच रोड के अंतिम छोर पर गांधी मंडपम् है जहां राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की प्रतिमा है जो नक्काशी वाली छतरी और स्तंभों से घिरी है। गांधी प्रतिमा से कुछ दूर पर एक लाइट हाउस है और फ्रांस के अनजाने सैनिकों की याद में एक स्मारक भी। लाइट हाउस के पीछे ‘आयी मंडपम्’ नाम से एक फ्रांसीसी स्मारक है जो भारती पार्क के केंद्र में है। ‘आयी’ नामक एक उदार हृदय वेश्या ने यहां के लोगों के लिए एक तालाब खुदवाया था जिससे प्रभावित होकर नेपोलियन तृतीय ने इस स्मारक को बनवाया था। स्मारक के पास ही पुडुचेरी विधानसभा भवन है और दूसरी ओर राजभवन जिसमें पुडुचेरी के उप राज्यपाल रहते हैं और जो पहले फ्रेन्च गवर्नर का निवास था। राज निवास के सामने म्यूजियम की इमारत है जिसमें रोमनकाल से लेकर फ्रांसीसी काल तक के शिल्प वस्तुओं का संग्रह है। पुडुचेरी के खूबसूरत चर्च यहां के पर्यटकों के आकर्षण के केंद्र हैं। बीच रोड के बाई तरफ ‘इग्लाइज डी’ चर्च की सुंदर इमारत है। दूसरी प्रसिद्ध चर्च है ‘कोर डी जीसस’ चर्च। यहां ईसा मसीह के जीवन पर आधारित खूबसूरत ग्लास पेंटिंग्स हैं। पुडुचेरी के पुराने शहर के मध्य में 1826 में स्थापित पुराना बॉटानिकल गार्डेन है। इसका मुख्य गेट नक्काशीदार फ्रांसीसी शैली में है। यह दक्षिणी भारत के सबसे सुंदर उद्यानों में से एक है। इसमें लगभग 1500 पौधों की प्रजातियां हैं। गार्डेन में संगीतमय फव्वारा शाम को दर्शकों का मनोरंजन करता है।

जीवन है समरसतापूर्ण

पुडुचेरी की यात्रा अधूरी ही रह जाएगी यदि भारत के महान स्वतंत्रता सेनानी और आध्यात्मिक साधक महर्षि अरविंद के आश्रम का हम दर्शन न करें। शहर के पूर्वी दिशा में यह आश्रम है। आश्रम आसपास के अनेक भवनों को लेकर स्थापित है। 1926 में इसकी स्थापना योगी अरविंद ने की थी और इसका विस्तार फ्रांसीसी महिला मीरा अल्फासा ने किया जो बाद में मदर कहलाई गई। यह आधुनिक शहरी क्षेत्र में समरसतापूर्ण जीवन का एक जीवंत केंद्र है, दुनिया के विभिन्न देशों से आए हुए लोगों का घर है जो यहां आकर शांति प्राप्त करते हैं। आश्रम के मुख्य भवन में महर्षि अरविंद और मदर की श्वेत संगमरमर की सुगंधित पुष्पों से सुसज्जित समाधि है। दोनों ने इसी भवन में अपने जीवन का महत्वपूर्ण समय बिताया।

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वर्ष 1968 में अरविंद के मानव एकता के आदर्श को मूर्त रूप देने के लिए मदर ने ऑरोविल नाम से एक अंतरराष्ट्रीय नगर की स्थापना की। यह पांडिचेरी से 10 किलोमीटर की दूरी पर है। यहां देश-विदेश से लोग आते हैं और विविध गतिविधियों में भाग लेकर अपना मानसिक-आध्यात्मिक विकास करते हैं। यहां सेंटर ऑफ एजुकेशन में लगभग 400 विद्यार्थी अध्ययनरत हैं।

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यहां लगभग 15,000 लोगों को रोजगार मिला हुआ है जो शिक्षा, चिकित्सा, कला, विज्ञान, हस्तशिल्प, ग्रामीण विकास, लघु उद्योग, अध्यात्म आदि विविध क्षेत्रों में काम करते हैं।

मौज और मस्ती

यहां ऑरो बीच शांत, सुंदर और शहरी कोलाहल से दूर है। सागर का अनंत स्वरूप मानव को रोमांचित करता है और सूर्योदय विशेष रूप से दर्शनीय है। पांडिचेरी से केवल 8 किलोमीटर की दूरी पर चुन्नांबर में बैक वाटर है। यहां पर जल बिल्कुल स्वच्छ है, इसलिए नहाने के लिए यह सबसे अच्छी जगह है। बे वाटर में बोटिंग की भी व्यवस्था है। यह पिकनिक मनाने के लिए भी बहुत अच्छी जगह है। पुडुचेरी शहर को आधुनिकता का स्पर्श मिल चुका है।

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चमकते-दमकते मॉल, दुकानें, साइबर कैफे और साथ ही सैकड़ों होटल और रेस्तरां बनते जा रहे हैं। आम लोगों के लिए सस्ते भी हैं और खास लोगों के लिए महंगे होटल भी। खान-पान के मामले में भी तमाम तरह की विविधता यहां मिल जाएगी। समुद्र किनारे स्थानीय भोजन करें या शहर के किसी रेस्तरां में खालिस फ्रांसीसी, आनंद दोनों में ही पूरा मिलेगा।

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ऐसे पहुंचे

यहां पहुंचने का सबसे आसान रास्ता तो ट्रेन या हवाई जहाज से चेन्नई पहुंचकर वहां से बस या टैक्सी से पुडुचेरी पहुंचने का है। विल्लुपुरम और पुडुचेरी के बीच नियमित बस सेवा है। विल्लुपुरम बड़ी रेल लाइन से सभी बड़े स्टेशनों से जुड़ा है। वैसे सड़क मार्ग से पांडिचेरी अच्छी तरह से सभी पड़ोसी राज्यों से जुड़ा है। आप बंगलुरू या मदुरै होते हुए भी पुडुचेरी आ सकते हैं।

 

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