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कम मतदान, अरुचि या संतुष्टि!

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कम मतदान, अरुचि या संतुष्टि!

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सिरोही। पंचायतराज चुनाव के दूसरे चरण में बुधवार को रेवदर पंचायत समिति क्षेत्र में अनुमानित 52 प्रतिशत मतदान हुआ है। इससे पहले प्रथम चरण में शिवगंज और आबूरोड पंचायत समिति क्षेत्रों में मतदान हुआ था। इसमें भी क्रमश 50 और 58 प्रतिशत मतदान ही हुआ था। यह वही क्षेत्र हैं, जहां पर विधानसभा और लोकसभा चुनावों में 70 प्रतिशत से ज्यादा मतदान हुआ था।
जिले में मतदान में आई यह कमी राजनीतिक पार्टियों के लिए चिंताजनक और सोचनीय है। अगर पुराने राजनीतिक ट्रेंड पर नजर डालें तो मतदाताओं की मतदान के प्रति यह अरुचि की स्थिति तभी उत्पन्न होती है जब वह सत्ताधारी पक्ष से संतुष्ट हों या वह यह सोचकर बैठ गए हों कि उन्होंने बदलाव कर दिया है और अब बदलाव की जरूरत नहीं है। आमतौर पर मतदान का यह ट्रेंड देखने को मिला है कि साठ प्रतिशत से कम मतदान की स्थिति भाजपा के लिए खतरे की घंटी होता है।

वैसे पिछले साल जिला परिषद के वार्ड संख्या-20 के उपचुनावों में यह देखने को मिल गया जब करीब 48 प्रतिशत मतदान होने के कारण भाजपा को अपनी इस सीट से हाथ धोना पडा था। यदि परिणामों में कम मतदान के बावजूद जिला परिषद और पंचायत समितियों में भाजपा को बहुमत मिल जाता है तो कांग्रेस को यह समझ लेना चाहिए कि ग्रामीण क्षेत्रों से भी उसकी जमीन खिसक चुकी है और उसे नए सिरे से काम करने की जरूरत है।

शिवगंज और आबूरोड पंचायत समितियों में जिला परिषद और पंचायत समितियों के सदस्यों के चुनावों के लिए वोट डालने में भले ही मतदाताओं ने अरुचि दिखाई हो, लेकिन सरपंचों के चुनावों में बडे ही आशातित मतदान प्रतिशत हुआ है, जो इस बात का प्रमाण है कि जिला परिषद और पंचायत समिति सदस्यों के चुनावों में राजनीतिक पार्टियों ने मतदाताओं को मतदान केन्द्र लाने के लिए कोई खास रुचि नहीं दिखाई। वैसे इस बार का कम मतदान भाजपा के पक्ष में जाता है तो यह ग्रामीण राजनीति में नई राजनीति व्यवस्था की शुरूआत मानी जाएगी।

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