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शिवराज सरकार के ‘संकट मोचक’ मंत्री नरोत्तम मिश्रा संकट में!

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शिवराज सरकार के ‘संकट मोचक’ मंत्री नरोत्तम मिश्रा संकट में!
madhya pradesh minister Narottam Mishra
madhya pradesh minister Narottam Mishra
madhya pradesh minister Narottam Mishra

भोपाल। मध्य प्रदेश की शिवराज सिंह चौहान सरकार के संकट मोचक मंत्री के तौर पर पहचाने जाने वाले जनसंपर्क और विधि विधायी मंत्री डॉ. नरोत्तम मिश्रा ही चुनाव आयोग के फैसले से संकट में पड़ गए हैं।

चुनाव आयोग ने गलत ब्यौरा और पेड न्यूज के मामले में मिश्रा को तीन साल तक चुनाव लड़ने के अयोग्य घोषित कर दिया, साथ ही दतिया विधानसभा से उनके निर्वाचन को भी शून्य घोषित कर दिया है।

राज्य सरकार के ताकतवर मंत्रियों में से एक मिश्रा ने 2008 का विधानसभा चुनाव दतिया से लड़ा था और अपने निकटतम प्रतिद्वंद्वी राजेंद्र भारती (बसपा) को पराजित किया था। भारती ने 2009 में चुनाव आयोग से शिकायत की थी, जिसमें कहा गया था कि मिश्रा ने चुनाव के दौरान गलत तरीके अपनाए और पेड न्यूज भी छपवाया और उसका ब्यौरा नहीं दिया।

भारती के अधिवक्ता प्रतीत बिसौरिया ने बताया कि भारती ने 2009 में चुनाव आयोग से शिकायत की, उसके बाद उच्च न्यायालय की खंडपीठ में याचिका दायर की गई। उसके बाद मिश्रा को कारण बताओ नोटिस जारी हुआ, तो उन्होंने 2013 में स्थगन ले लिया। आगे चलकर वह स्थगन खारिज हुआ, इसके बाद मिश्रा ने उच्च न्यायालय की युगलपीठ में अपील की, तो वहां से भी राहत नहीं मिली।

बिसौरिया के मुताबिक उच्च न्यायालय से राहत नहीं मिलने पर मिश्रा ने सर्वोच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया, मगर वहां से भी वह खाली हाथ लौटे। इसके बाद मिश्रा की ओर से चुनाव आयोग की धारा 10ए (चुनाव खर्च संबंधी) पर ही सवाल उठाते हुए उच्च न्यायालय ग्वालियर की खंडपीठ में 12 याचिकाएं दायर की गई, जिन्हें न्यायालय ने खारिज कर दिया। साथ ही न्यायालय ने चुनाव आयोग जाने का निर्देश दिया।

बिसौरिया के अनुसार कई चरणों में चुनाव आयोग में सुनवाई चली, इस दौरान कई अखबारों की कतरने जो पेड न्यूज थीं और समाचार चैनलों पर चली चुनाव प्रचार की सीडी भी प्रस्तुत की गई। मिश्रा ने गवाह के तौर दो पत्रकारों को भी पेश किया, मगर उनकी गवाही भी काम नहीं आई। मार्च 2017 में सुनवाई पूरी हो गई थी और फैसला शनिवार को आया। यह देश का पहला ऐसा मामला है, जिसमें आयोग ने पेड न्यूज पर व्यक्ति को चुनाव लड़ने के अयोग्य ठहराया है।

चुनाव आयोग के फैसले पर मिश्रा ने संवाददाताओं से कहा कि वकील ने बताया है कि चुनाव आयोग ने पेड न्यूज को लेकर उनके तीन साल तक चुनाव लड़ने पर रोक लगाई है, जबकि फरियादी ने पेड न्यूज का कोई सबूत नहीं दिया है। चुनाव आयोग का फैसला सिर माथे और हमारी ओर से उच्च न्यायालय में अपील की जाएगी।

पूर्व विधायक और कांग्रेस नेता राजेंद्र भारती ने संवाददाताओं से कहा कि मेरे पास पेड न्यूज के पूरे प्रमाण थे और उसे चुनाव आयोग के सामने पेश किया था, एक नहीं कई अखबारों में एक जैसी दर्जनों खबरें छपी थी, जो पेड न्यूज की श्रेणी में आती हैं। मिश्रा को विधायक और मंत्री पद से इस्तीफा दे देना चाहिए।

गौरतलब है कि मिश्रा राज्य सरकार के उन मंत्रियों में हैं, जो विपक्ष के हर हमले को कमजोर करने में अहम भूमिका निभाते रहे हैं। कांग्रेस के विधानसभा में अविश्वास प्रस्ताव के समय उन्होंने कांग्रेस विधायक चौधरी राकेश सिंह को ही भाजपा में शामिल करा लिया था।

इतना ही नहीं भिंड लोकसभा के कांग्रेस उम्मीदवार भागीरथ प्रसाद को भाजपा का उम्मीदवार बनवा दिया था। मिश्रा के पास जनसंपर्क विभाग है, जिसके जरिए वह मीडिया में सरकार का पक्ष मजबूत करने में लगे रहते हैं। अब ऐसा मौका आया है, जब मिश्रा खुद मुसीबत में फंस गए हैं।