Home Business अदालती निर्देश पर हुए प्रयोगशाला परीक्षण में खरी निकली मैगी

अदालती निर्देश पर हुए प्रयोगशाला परीक्षण में खरी निकली मैगी

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अदालती निर्देश पर हुए प्रयोगशाला परीक्षण में खरी निकली मैगी
Maggi iclears bombay HC mandated lab tests : nestle india
Maggi iclears bombay HC mandated lab tests : nestle india
Maggi iclears bombay HC mandated lab tests : nestle india

नई दिल्ली। नेस्ले इंडिया ने शुक्रवार को कहा कि बंबई उच्च न्यायालय के निर्देश पर जांच के लिए तीन विनिर्दिष्ट प्रयोगशालाओं में भेजे गए मैगी ब्रांड इंस्टैंट नूडल्स के सभी नमूने सही निकले।

इन परीक्षणों में खरा उतरने के बाद अब मैगी की एक बार फिर से बाजार में वापसी रास्ता खुल गया है। मैगी में सीसे की मात्रा कानून के तहत तय सीमा से अधिक पाए जाने के बाद देशभर में इस पर प्रतिबंध लगाया दिया गया था। बंबई उच्च न्यायालय ने मैगी के नमूनों का नए सिरे से परीक्षण का निर्देश दिया था।

कंपनी ने यह भी कहा कि अब वह नए उत्पादों का विनिर्माण और बिक्री तभी शुरू करेगी, जब उनको अधिकृत प्रयोगशालाओं की हरी झंडी मिल जाएगी। नेस्ले इंडिया ने बयान में कहा कि हमें बंबई उच्च न्यायालय के निर्देश के बाद तीनों बताई गई प्रयोगशालाओं में किए गए परीक्षण के नतीजे मिल गए हैं।

तीनों प्रयोगशालाओं ने छह प्रकार के उत्पादों के सभी 90 नमूनों को उपयुक्त करार दिया है। इन सभी नमूनों में सीसे की मात्रा अनुमति योग्य सीमा के अंदर पायी गई है। कंपनी ने पूर्व में कहा था कि उसकी योजना मैगी को इस साल के अंत तक बाजार में लाने की है। अब उसने कहा है कि वह मैगी नूडल्स को जल्द से जल्द बाजार में पेश करना चाहती है।

नेस्ले इंडिया ने जोर देकर कहा कि मैगी नूडल्स सुरक्षित हैं। कंपनी ने कहा कि उसने राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मान्यता प्राप्त प्रयोगशालाओं में 20 करोड़ पैक के बीच से लिए गए 3,500 से अधिक नमूनों के परीक्षण देश विदेश की प्रयोग शालाओं में करा हैं और उन सभी की रिपोर्टोंं में उल्हें सही बताया गया है। इसके अलावा कई अन्य देशों मसलन अमरीका, ब्रिटेन, सिंगापुर, आस्ट्रेलिया और अन्य में भारत में बनी मैगी नूडल्स को मानव उपभोग के लिए उचित पाया गया है।

कंपनी ने कहा कि नेस्ले भारतीय खाद्य सुरक्षा एवं मानक प्राधिकरण एफएसएसएआई और अन्य अंशधारकों के साथ इस मुद्दे पर सहयोग करती रहेगी। इस साल जून में एफएसएसएआई ने मैगी नूडल्स पर प्रतिबंध लगाते हुए इसे उपभोग के लिए ‘असुरक्षित और खतरनाकÓ बताया था। उस समय इसमें सीसे की मात्रा अनुमतियोग्य सीमा से अधिक पाई गई थी। कंपनी ने इस नूडल्स ब्रांड को उसके बाद बाजार से हटा लिया था।

नेस्ले इंडिया एफएसएसएआई के प्रतिबंध को बंबई उच्च न्यायालय में चुनौती दी थी। अदालत ने अगस्त में अपने निर्णय में मैगी नूडल्स से राष्ट्रव्यापी प्रतिबंध हटा लिया था, लेकिन देश की तीन स्वतंत्र प्रयोगशालाओं में इसके नमूनों का नए सिरे से परीक्षण का निर्देश दिया था।

न्यायाधीश वी एम कनाडे और न्यायाधीश बी पी कोलाबावाला की खंडपीठ ने केंद्र सरकार के भारतीय खाद्य सुरक्षा एवं मानक प्राधिकरण के 5 जून के प्रतिबंध के आदेश को भी खारिज कर दिया था। साथ ही उसने महाराष्ट्र के खाद्य एवं दवा प्रशासन एफडीए के भी इस उत्पाद पर प्रतिबंध के आदेश को रद्द कर दिया था।

अदालत ने कंपनी को निर्देश दिया था कि वह प्रत्येक प्रकार के मौगी उत्पादों के पांच-पांच नमूने मोहाली पंजाब, हैदराबाद और जयपुर में तीन मान्यता प्राप्त प्रयोशालाओं को छह सप्ताह में भेजे। ये नमूने कंपनी के पास मौजूद 750 के्रट में से लिए जाने थे। नेस्ले इंडिया को जून से इसकी वजह से 450 करोड़ रुपए की चोट लगी है। उसने उसके बाद से 30,000 टन इंस्टैंट नूडल्स को नष्ट किया है।

कंपनी ने कहा है कि वह मैगी के मौजूदा फार्मूला पर कायम रहेगी और उसके तत्वों में बदलाव नहीं करेगी। उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय ने नेस्ले इंडिया पर अनुचित व्यापार व्यवहार, गलत लेबलिंग और गुमराह करने वाले विज्ञापन के लिए 640 करोड़ रुपए के हर्जाने का दावा किया है।

यह पहला मौका है जबकि मंत्रालय ने तीन दशक पुराने उपभोक्ता संरक्षण कानून के प्रावधानों का इस्तेमाल करते हुए किसी कंपनी को राष्ट्रीय उपभोक्ता विवाद निपटान आयोग एनसीडीआरसी में घसीटा है।