Home Breaking cm राजे जैसा कथित काला कानून पहले ही ला चुके हैं pm मोदी तो अब हंगामा क्यो?

cm राजे जैसा कथित काला कानून पहले ही ला चुके हैं pm मोदी तो अब हंगामा क्यो?

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cm राजे जैसा कथित काला कानून पहले ही ला चुके  हैं pm मोदी तो अब हंगामा क्यो?
vasundhara raje and narendra modi
vasundhara raje and narendra modi

सबगुरु न्यूज-जयपुर। राजस्थान में दण्ड प्रक्रिया संहिता के तहत जिन धाराओं में संशोधन के कानून का कांग्रेस विरोध कर रही है और उसे कथित काला कानून बता रही है वह कानून प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी पहले ही ला चुके हैं। इस कानून के तहत देश और राज्य के न्यायाधिकारियों, अफसरों या किसी भी सरकारी कार्मिक के खिलाफ सीबीआई, एसीबी, पुलिस समेत अन्य जांच एजेंसियां सीधे भ्रष्टाचार का मामला दर्ज नहीं कर सकेगी। इसके लिए सरकार की अनुमति लेनी होगी।

ऐसे में कांग्रेस द्वारा अब हंगामे का औचित्य क्या। दरअसल, इस निर्णय के पीछे 2013 के सुप्रीम कोर्ट के निर्णय की दुहाई दी जा रही है, लेकिन कांग्रेस और भाजपा में से कोई सुप्रीम कोर्ट के इस निर्णय के संबंध में फिर से अपील पर गया। लेकिन प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के इस निर्णय का विरोध विपक्ष इस संबंध में जरूर कर सकता है कि जिस सुप्रीम कोर्ट ने यह निर्णय दिया उसी ने भ्रष्टाचार को बलात्कार जैसा घिनौना अपराध भी कहा है।

ऐसे में दोनों सरकारों ने भ्रष्टाचार के मामलों की जांच और चार्जशीट पेश करने को 90 दिन के फ्रेमवर्क तय करने जैसा कानून पास क्यों नहीं किया। इसके अलावा भ्रष्टाचार में ट्रेप हुए अधिकारियों और कर्मचारियों की न्यायालय से निर्दोष साबित होने तक नौकरी पर बहाली पर रोक लगाने का कानून क्यों नहीं लाई? खुद कोंग्रेस को भी यदि भाजपा को भ्रष्ताचार के मुद्दे पर दोहरे मापदंड के लिये एक्सपोज करना है तो तय समय सीमा मे भ्रष्टाचार के मामलो के निस्तारण का मुद्द उठाना चाहिये।

-नोटबंदी की आड में किया था मोदी सरकार ने यह निर्णय
नोटबंदी वाली रात को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने टीवी पर भ्रष्टाचार और काली कमाई रोकने के लिए एक हजार और पांच सौ रुपये के नोटों को बंद करने का निर्णय सुनाया था। पूरा देश में हडकंप था और इसी बीच दूसरे दिन यानि 9 नवम्बर, 2016 को केन्द्रीय मंत्री जितेन्द्रसिंह ने सवेरे ही इस निर्णय की घोषणा पीआईबी के माध्यम से अपनी प्रेस काॅन्फ्रेंस में कर दी थी। नोटबंदी के हाहाकार के बीच ये खबर सुर्खिया नही बटोर पाई।

वैसे मोदी और वसुंधरा राजे सरकारों का दावा है कि उन्होंने यह ईमानदार आॅफिसरों को बचाने के लिए किया है, लेकिन जनता यह जानती है कि अब तक भ्रष्टाचार के कितने मामलों में केन्द्र और राज्य सरकारों ने अधिकारियों व कार्मिकों के खिलाफ मामले दर्ज करने की अनुमतियां तक नहीं दी है। अधिकारियों ने पहले ही इस कानून का अपने पक्ष में उपयोग करने में कोई कमी नहीं छोडी है। ऐसे मंे भाजपा के इस संशोधन में घिरने की पूरी संभावना है।
-यह संशोधन था मोदी सरकार का
केन्द्र की नरेन्द्र मोदी सरकार ने 9 नवम्बर, 2016 को शुरू हुए संसद के शीतकालीन सत्र में प्रिवेंशन आॅफ करप्शन एक्ट, 1988 में संशोधन करके इसे पास कर दिया था। अगस्त में ही इस निर्णय पर संसदीय समिति ने मोहर लगा थी। लोकसभा में भाजपा को बहुमत होने के कारण इस बिल को पास करने में कोई समस्या नहीं आई। इसके अनुसार कोई भी केन्द्रीय जांच एजेंसी किसी भी केन्द्रीय अधिकारी व कर्मचारी के खिलाफ सीधे भ्रष्टाचार का मामला दर्ज नहीं कर सकेगी। इसके लिए केन्द्र सरकार ने अनुमति लेनी होगी।
-यह किया वसुंधरा राजे सरकार ने
राजस्थान की वसुंधरा राजे सरकार ने भी सीआरपीसी की धारा 156-3 और 191-1 में संशोधन किया है। इसके लिए तहत किसी भी न्यायिक अधिकारी, आईएएस, आईपीएस, आईएफएस, आरएएस समेत किसी भी सरकारी कार्मिके के खिलाफ सीआरपीसी की धारा 156(3) और 191(1) के तहत पुलिस मे मुकदमा दर्ज नहीं हो सकेगा। इसे लेकर अध्यादेश जारी किया जा चुका है और केन्द्र सरकार के लगभग एक साल बाद वसुंधरा राजे सरकार भी इस तरह के कानून को पारित करने का निर्णय किया है।
-परीक्षित मिश्रा