![मोहनलाल गैंगरेप मर्डर केस में आरोपी रामसेवक को आजीवन कारावास मोहनलाल गैंगरेप मर्डर केस में आरोपी रामसेवक को आजीवन कारावास](https://www.sabguru.com/wp-content/uploads/2017/01/mohanganj.jpg.jpg)
![Mohanlalganj rape case : court orders life imprisonment for guard Ramsevak](https://www.sabguru.com/wp-content/uploads/2017/01/mohanganj.jpg.jpg)
लखनऊ। उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ स्थित गैंगरेप मर्डर केस का फैसला ढाई साल बाद हुआ हैं। शनिवार को कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए आरोपी राम सेवक को आजीवन कारवास की सजा सुनाई है।
बताते चलें कि 17 जुलाई 2014 को मोहनलाल के बलसिंह खेड़ा प्राथमिक विद्यालय में युवती से गैंगरेप के बाद हत्या कर दी गई थी। परिजनों की तहरीर पर पुलिस ने मामले की जांच गहनता से शुरु कर दी।
तहकीकात में साक्ष्यों के आधार पर तत्कालीन थानाप्रभारी संतोष कुमार सिंह ने रामसेवक पर संगीन धाराओं में मुकदमा दर्ज कर जेल भेज दिया। 16 अक्टूबर, 2014 को उसके खिलाफ आईपीसी की धारा 302, 201 व 376ए के तहत कोर्ट में आरोप पत्र दाखिल हुआ।
शनिवार को फास्ट ट्रैक कोर्ट के एडीजे अनिल कुमार शुक्ला ने दोषी ठहराते हुए आरोपी रामसेवक को आजीवन कारावास की सजा सुनाई हैं। फैसला आते ही पीड़ित की पिता का कहना है कि कोर्ट ने उसे और उसकी मृतक बेटी को न्याय दिलाया है, जिसका वह जीवन भर नहीं भूलेगा।
देश विदेश में हुई थी चर्चा
युवती के साथ गैंगरेप के बाद हत्या कर शव को नग्न अवस्था में फेंककर बदमाश भाग गए थे तो वहीं घटना में पुलिस कर्मीयों ने शव को ढंकने की बजाये तफ्तीश की बात कहकर मोबाइल से फोटो खींचते रहे। लोगों द्वारा खीचीं गई फोटों जब सोशल मीडिया में हुआ तो इस घटना की चर्चा देश विदेश में हुई।
थानेदार एसआई हुए थे संस्पेंड
घटना की मॉनिटरिंग कर रहीं महिला सेल प्रभारी एडीजीपी सुतापा सान्याल ने पुलिस की यह लापरवाही की शिकायत तत्कालीन एसएसपी प्रवीण कुमार से की। मामले को गंभीरता से लेकर एसएसपी ने फौरन मोहनलालगंज थानाप्रभारी इंस्पेक्टर कमरुद्दीन खान और एसआई मुन्नी लाल को सस्पेंड कर दिया गया था।
जांच एजेंसी ने नहीं लिया केस
पुलिस के जांच में पीड़ित परिवार द्वारा उठाए गए सवालों के बाद हो रही फजीहत पर प्रदेश सरकार ने केस की जांच सीबीआई से कराए जाने की हरी झंडी दी साथ ही जांच एजेंसी को भी लगाया। टीम ने जब अपने स्तर से जांच की तो पुलिस पर कई सवाल उठे दिखे। जिस पर जांच टीम ने भी अपना किनारा कर लिया।
छोड़ दूंगा इंवेस्टिगेशन
जांच एजेंसी व सीबीआई के द्वारा किनारा लेने के बाद लखनऊ रेंज के तत्कालीन डीआईजी रह चुके नवनीत सिकेरा ने गहनता से जांच की। पीड़ित परिवार द्वारा उठाए गए सवालों पर उन्होंने कहा कि अगर खुलासा गलत साबित होता है तो वह भविष्य में कभी इन्वेस्टिगेशन नहीं करेंगे।