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भगवान नारद तीनों लोकों के पहले पत्रकार

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भगवान नारद तीनों लोकों के पहले पत्रकार
Narada Jayanti and Journalists honors ceremony in Jaipur
Narada Jayanti and Journalists honors ceremony in Jaipur
Narada Jayanti and Journalists honors ceremony in Jaipur

जयपुर। नारद को तीनों लोकों का पहला पत्रकार माना जाता है। वैदिक पुराणों और पौराणिक कथाओं के अनुसार देवर्षि नारद एक सार्वभौमिक दिव्य दूत हैं। माना जाता है कि वे पृथ्वी पर पहले पत्रकार हैं। आम धारणा यही है कि देवर्षि नारद ऐसी विभूति हैं जो इधर की उधर करते रहते हैं। प्रायः नारद को चुगलखोर के रूप में जानते हैं।

देवर्षि नारद दुनिया के प्रथम पत्रकार हैं। उन्होंने इस लोक से उस लोक में परिक्रमा करते हुए संवादों के आदान-प्रदान द्वारा पत्रकारिता को प्रारंभ किया। इस प्रकार देवर्षि को प्रथम पत्रकार की मान्यता हासिल हुई।

अनेक ऐतिहासिक ग्रंथों से मिली जानकारी के अनुसार नारद का तोड़ने में नहीं अपितु जोड़ने में ढृढ़ विश्वास था। उन्होंने सृष्टि के विकास के बहुआयामी प्रयास किए और अपने संवादों के माध्यम से पत्रकारिता की नीवं रखी।

नारद को मानव से लेकर दैत्य और देवताओं का समान रूप से विश्वास हासिल था और यही कारण था कि अपनी विश्वसनीयता के बूते उन्होंने सभी के मनों पर विजय प्राप्त की और पत्रकारिता धर्म को निभाया।

नारद अपनी बात ढृढ़ता से रखते थे। नारदजी का प्रत्येक कार्य समाजहित मे रहता था। उनका कार्य रामायण, महाभारत काल मे एकदम सकारात्मक है। नारदजी ने अत्याधिक जटिल समस्या का समाधान बहुत ही बुद्धिमतापूर्ण किया। नारदजी सर्वव्यापी, सर्वस्वीकृत पत्रकार थे। हम उनसे बहुत कुछ ग्रहण कर सकते है।

किसी भी प्रकार की शंका होने पर वे भगवान विष्णु से अवश्य परामर्श लेते थे। वे किसी पर अपना निर्णय नहीं थोपते थे। उनका विश्वास संसार के कल्याण में था नारद वाद विवाद भी करते थे। इसके निचोड़ में जो निकलता वही सर्वश्रेष्ठ के रूप में होता। इस बार नारद जयंती ज्येष्ठ कृष्ण द्वितीया, दिनांक 12 मई 2017 को है।

शास्त्रों के अनुसार नारद मुनि, ब्रह्मा के सात मानस पुत्रों में से एक हैं। उन्होंने कठिन तपस्या से देवर्षि पद प्राप्त किया है। वे भगवान विष्णु के अनन्य भक्तों में से एक माने जाते हैं। देवर्षि नारद धर्म के प्रचार तथा लोक कल्याण के लिए हमेशा प्रयत्नशील रहते हैं।

शास्त्रों में देवर्षि नारद को भगवान का मन भी कहा गया है। नारद एक उच्चकोटि के महान संगीतकार थे। वे सभी 6 अंगों के बारे में जानते थे, जिसमें व्याकरण, चोटी, ज्योतिष, धार्मिक संस्कार, उच्चारण और खगोल विज्ञान का विवरण है।

ऐसा माना जाता है कि नारद ने वीणा का आविष्कार किया था। भक्ति के प्रतीक और ब्रह्मा के मानस पुत्र माने जाने वाले देवर्षि नारद का मुख्य उद्देश्य पीड़ित भक्त की पुकार भगवान तक पहुंचाना है। बताया जाता है कि दीन दुखियों को न्याय दिलाने के लिए वे भगवान तक से भीड़ जाते थे और जब तक न्याय नहीं मिलता वे अपंनी बात पर अडिग रहते।

देवर्षि नारद भक्ति के साथ-साथ ज्योतिष के भी प्रधान आचार्य हैं। नारदजी के व्यक्तित्व को वर्तमान में जिस प्रकार से प्रस्तुत किया जा रहा है, उससे आम आदमी में उनकी छवि लड़ाई झगडे वाले व्यक्ति अथवा विदूषक की बन गई है। यह उनके विराट व्यक्तित्व के प्रति सरासर अन्याय है।

भगवान की अधिकांश लीलाओं में नारदजी उनके अनन्य सहयोगी बने हैं। वे भगवान के दूत होने के साथ देवताओं के प्रवक्ता भी हैं। नारदजी वस्तुत सही मायनों में देवर्षि हैं। उनके बारे में कही जा रही बाते सत्य से कोसों दूर है।

उन्होंने समाज के निर्माण के लिए अपनी शक्ति और भक्ति का उपयोग किया है उनकी सर्व कल्याण की भावना की सर्वत्र सराहना हुई है।

देवर्षि नारदजी ब्रह्माण्ड के प्रथम पत्रकार थे इसलिए उनका जन्मदिन पत्रकार दिवस के रूप में मनाते है। पत्रकारिता का अर्थ है संवाद, इसलिए आज पत्रकारिता जगत को नारद जी से प्रेरणा लेने की जरूरत है। नारद जी को एक सफल संवाददाता कहा जाना चाहिए।

उन्होंने अपने संवादों के माध्यम से निष्पक्ष तर्क संगत संवाद कर अपनी बात मनवाई। संसार में यदि संवाद की व्यवस्था को सर्वाधिक कल्याणकारी रूप में प्रस्तुत किया तो वह थे देवर्षि नारद।

तीनो लोकों में निर्बाध रूप से भ्रमण करने वाले देवर्षि नारद हर समाचार या संवाद को इधर से लेकर उधर पहुचाने में अव्वल थे, क्या देवता क्या दानव, क्या गंधर्व क्या मानव हर जगह यदि किसी की पहुंच थी तो वे देवर्षि नारद ही थे।

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने सर्वप्रथम यह तय किया था कि सम्पूर्ण देश में नारद जयंती पत्रकार दिवस के रूप में आयोजित कर नारद के कृतित्व और व्यक्तित्व को वृहद रूप से रेखांकित कर जन जन तक पहुंचाया जाए।

संघ के इस निर्णय की पालना में उसके अनुषांगिक संगठन विश्व संवाद केंद्र की और से हर साल नारद जयंती का आयोजन कर पत्रकारों को सम्मानित किया जाता है।

देश की जनता को राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ और विश्व संवाद केंद्र का आभारी होना चाहिए जिन्होनें नारद जी और पत्रकारिता के बीच संबंध स्थापित कर यह विषय समाज तक पहुचाया। विश्व संवाद केंद्र समाज मे भारतीय मूल्यों को पहुंचाने का प्रयास कर रहा है वह निश्चय ही अभिनंदनीय है।

बाल मुकुन्द ओझा
वरिष्ठ लेखक एवं पत्रकार