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क्लासिक को मॉडिफाइड कर इजाद किए गए न्यू योगा ट्रेंड्स

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क्लासिक को मॉडिफाइड कर इजाद किए गए न्यू योगा ट्रेंड्स

अब तक पारंपरिक, पवित्र और संजीदा रूपों देखे जाने वाला योगा, में आज के दौर के मुताबिक मजेदार सफल प्रयोग किए जा रहे हैं। ताकि लोग इसके बारे में और ज्यादा से ज्यादा जान सके और खुद को फिट बना सके।

कुछ लोग ऐसे होते हैं, जो योग के जीवन के प्रति एकाग्र करने वाले नजरिए को मानते हैं तो कुछ ऐसे भी होते हैं, जो डम्बल्स और ट्रेडमिल्स के बगैर नहीं रह सकते। इसलिए यदि पारंपरिक योग में कुछ बदलाव लाए गए है, ताकि आपको इसे करने में बोरियत न हो और मजा है।

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जैसे एक्वा योगा, स्वीमिंग पसंद करने वालों के लिए यह योगा सबसे अच्छी एक्सरसाइज है। तो वहीं डांस के दिवानों के लिए बैले योगा भी इजात किया गया है। लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि हम क्लासिक योगा को भूल जाए, क्योंकि इन सभी नए ट्रेंड्स में माहिर बनने के​ लिए पहले क्लासिक का पूरा ज्ञान होना जरुरी है।

एक्वा योग : बढ़ता है फेफड़ों की क्षमता

पानी से प्यार करने वालों को स्विमिंग पूल में किया जाने वाला यह योग बेहद पसंद आएगा। पानी जोड़ों पर पड़ने वाले दबाव को कम करता है और आपको अधिक लचीला बनाता है। आर्थ्राइटिस, सख्त जोड़ों और पीठ की समस्याओं से पीड़ित लोगों के लिए यह बेहतरीन साबित हो सकता है। पानी में स्ट्रेचिंग करना आपके फेफड़ों की क्षमता को बढ़ाता है और शरीर पर शांतिदायक प्रभाव डालता है।

एंटी-ग्रैविटी योग : बनाए लचीला

एंटी-ग्रैविटी या एरियल योग में पिलाटे, डांस योग और जिमनैस्टिक्स सभी का समन्वय है। झूले पर किए जाने वाले इस योग से पूरे शरीर का वर्कआउट होता है। आपका पूरे सेशन के दौरान गुरुत्वाकर्षण से मुक़ाबला है, जो संतुलन और लचीलेपन को बढ़ाने में सहायता करता है। एंटी-ग्रैविटी योग पीठ को लचीला और मज़बूत बनाने में सहायक होता है और सिर से लेकर पांव तक शरीर को एक सीध में बनाए रखता है। यह सुनिश्चित करता है कि सभी हिस्सों में पर्याप्त खिंचाव आए। एरियल योग पारंपरिक योग अभ्यास में नयापन, आनंद और मुश्क़िलों का नया स्तर और तीव्रता लाता है।

स्टैंड अप पैडल (एसयूपी) : होती है मांसपेशिया मजबूत

हालांकि यह योग भारत में लोकप्रिय नहीं हो पाया है, जिसका कारण यहां का मौसम और स्वच्छ बीचेस की कमी है, लेकिन विदेशों में यह बहुत चर्चित योगा फॉर्म है। स्टैंड अप पैडल योग सर्फ़िंग और योग का मेल है। इस योग में एक सर्फबॉर्ड पर खड़े होकर क्रमबद्ध आसन करने होते हैं। एक अस्थिर सतह पर व्यायाम करके आप अपने कोर व मांसपेशियों को मजबूत बनाते हैं, जैसा कि सामान्य योग क्लास में नहीं हो पाता। यह संतुलन, एकाग्रता, मजबूती और लचीलेपन को बेहतर बनाता है।

बैले योग : बनता है सुडौल

जब आप बैले के बारे में सोचती हैं तो पहली चीज जो दिमाग में आती है वह है लालित्य, लचीलापन और पॉश्चर। बैले डांसर्स अपने सुडौल, छरहरे शरीर के लिए जाने जाते हैं। योग का यह रूप बैले और योग इन दोनों विधाओं का समन्वय है, जो आपकी मांसपेशियों में लचीलापन लाता है। बैले और योग के मिलन से शरीर को मज़बूती और सुडौल बनने में सहायता मिलती है।

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एक्रो योग : भावनात्मक रूप से मजबूत

पार्टनर आधारित इस वर्कआउट में योग के साथ ऐक्रोबैटिक्स और थाई मसाज के कुछ तत्व शामिल होते हैं। एक्रो योग संतुलन, लचीलापन और ताक़त बढ़ाने के लिए गुरुत्वाकर्षण और शरीर के भार का इस्तेमाल करता है। और अगर यह योगा कपल्स करते है तो दोनों यह भावनात्मक रूप से उन्हें और करीब लाता है।

हिप हॉप योग : होता है ऊर्जा निर्माण

योग के इस मजेदार तरीके को अपनाकर आप अपने रूटीन में एक अच्छी आदत शामिल करें। ये उन लोगों के लिए है, जो अपनी क्लास में कुछ मजेदार शामिल करना चाहते हैं। इसके सेशन्स में संगीत का बोलबाला होता है और यह ऊर्जा से भरपूर होता है। कोरियोग्राफी काफी गतिशील और प्रेरक होती है। ये युवाओं के बीच काफ़ी लोकप्रिय है और यह वास्तव में शरीर में खिंचाव लाता है।हिप हॉप योग समुदाय की भावना को प्रबल करता है, क्योंकि यह एक के पीछे एक क्रमबद्ध तरीक़े से या समूह में किया जाता है, जो खूबसूरत सामूहिक ऊर्जा का निर्माण करता है। हिप हॉप योग में योग और हिप हॉप दोनों ही विधाओं की खासियतें शामिल हैं, जैसे-संपूर्ण शरीर का वर्कआउट और दिमागी शांति व उत्साह में बढ़ोतरी।

क्लासिक इज बेस्ट आॅलवेज

अब जब आप जान चुकी हैं कि योग की दुनिया के नए ट्रेंड्स कौन-से हैं, इससे पहले कि आप इनमें से किसी को अपनी रूटीन में शामिल करें, कुछ बातों को ध्यान में रखना जरूरी है। विभिन्न प्रकार के योग को अपनाने के लिए पारंपरिक योग में मज़बूत आधार का होना बहुत ज़रूरी है। हमें योग के पारंपरिक स्वरूप का अभ्यास करना बंद नहीं करना चाहिए और नए लोगों को हठ, अष्टांग, अय्यंगर या शिवानंदा स्टाइल से शुरुआत करनी चाहिए।

पारंपरिक तकनीकों, आसनों और अलाइन्मेंट्स पर अपनी पकड़ मज़बूत बनाने के बाद ही आप प्रयोगात्मक फ़ॉर्म्स की शुरुआत कर सकते हैं। ज्यादातर नए फॉर्म्स में ज्यादा ताकत, स्टैमिना और फुर्ती की जरूरत होती है, इसलिए कोई भी मुश्किल प्रकार आज़माने से पहले बुनियादी योग के पॉश्चर जान लेना चाहिए। यदि पूरी सतर्कता और बुद्धिमत्ता के साथ इन्हें नहीं किया गया तो इसके परिणाम गंभीर भी हो सकते हैं।