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बिहार : नीतीश को विश्वासमत हासिल, विरोध में 108 वोट पड़े

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बिहार : नीतीश को विश्वासमत हासिल, विरोध में 108 वोट पड़े
Nitish kumar wins bihar trust vote 131- 108
Nitish kumar wins bihar trust vote 131- 108
Nitish kumar wins bihar trust vote 131- 108

पटना। बिहार में महज 14 घंटे के अंतराल के बाद चार साल पुराने साथियों को साथ लेकर फिर मुख्यमंत्री बने नीतीश कुमार ने शुक्रवार को विधानसभा में विश्वासमत हासिल कर लिया। विश्वासमत प्रस्ताव के पक्ष में 131 और विरोध में 108 वोट पड़े।

मतदान से पहले नीतीश ने भ्रष्टाचार को लेकर राष्ट्रीय जनता दल पर जमकर निशाना साधा। जदयू-भाजपा की नई सरकार के मुखिया ने विश्वासमत के पक्ष में कहा कि सत्ता लोगों की सेवा के लिए होती है न कि ‘मेवा’ के लिए।

मुख्यमंत्री ने कहा कि हमने कई समस्याओं का सामना किया, बावजूद इसके गठबंधन धर्म का पालन करने का हरसंभव प्रयास किया। परंतु जब स्थिति खराब हो गई और जनता परेशान होने लगी तो इसके अलावे और कोई रास्ता नहीं था।

नीतीश ने तेजस्वी की ओर मुखातिब होते हुए कहा कि उन्हें जनता ने एक परिवार की सेवा के लिए बहुमत नहीं दिया था।

सुशासन बाबू ने आक्रोशित अंदाज में अपने पूर्व सहयोगियों पर निशाना साधते हुए कहा कि जनता का वोट काम करने के लिए मिला है। हमारी प्रतिबद्धता है जनता की सेवा करने, बिहार के विकास के प्रति है, किसी एक परिवार की सेवा करने के लिए नहीं है।

मुख्यमंत्री ने लोगों से वादा करते हुए कहा कि अब बिहार में सरकार चलेगी, जनता की सेवा करेगी और भ्रष्टाचार और अन्याय को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।

नवगठित सरकार को बहुमत साबित करने का मौका देने के लिए आहूत बिहार विधानसभा के एकदिवसीय विशेष सत्र की कार्यवाही शुरू होने से पहले सीढ़ियों पर नारे लिखे तख्तियां लिए खड़े राजद और कांग्रेस के विधायकों ने नीतीश के खिलाफ नारे लगाए। तख्तियों पर लिखा था- मैं गद्दार कुमार हूं, कुर्सी कुमार हूं, धोखेबाज हूं वगैरह।

विपक्षी सदस्यों ने सदन के भीतर भी जमकर हंगामा किया। कार्यवाही के दौरान भी टोकाटोकी का दौर चलता रहा।

इसके बाद मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने मंत्रिपरिषद के पक्ष में विधानसभा में विश्वासमत का प्रस्ताव पेश किया। प्रस्ताव पर चर्चा में भाग लेते हुए राजद नेता और पूर्व उपमुख्यमंत्री तेजस्वी प्रसाद यादव ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर निशाना साधते हुए उन्हें ‘रणछोड़’ कहा।

उन्होंने कहा कि ‘संघ मुक्त भारत’ बनाने की बात कहने वाले नेता ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के सामने घुटने टेक दिए। तेजस्वी ने कहा कि नीतीश कुमार में अगर हिम्मत थी तो मुझे बर्खास्त क्यों नहीं किया? साजिश के तहत मुझे और मेरे परिवार को फंसाया गया।

उन्होंने नीतीश को स्वार्थी बताते हुए कहा कि नीतीश को जब हमारी जरूरत थी, तब हमारे साथ आ गए और आज जब भाजपा की जरूरत पड़ी तब सुशील कुमार मोदी को साथ ले लिए।

तेजस्वी ने सवालिया लहजे में कहा कि कौन सी विचारधारा, कौन सी नैतिकता, दुनिया जानना चाहती है। छवि की बात है तो पूरा देश जानता है कि नीतीश जी का कितना जनाधार है।

तेजस्वी ने साफ कहा कि मुझे नीतीश ने कभी भी इस्तीफा देने के लिए नहीं कहा। वे पहले से ही भाजपा के साथ सेटिंग कर रहे थे और बहाना मेरा बनाया।

विश्वासमत के पक्ष और विपक्ष में चर्चा के बाद मतदान शुरू हुआ। विधानसभा अध्यक्ष विजय कुमार चौधरी ने शुरू में ध्वनिमत से मतदान कराने की कोशिश की, लेकिन दोनों ओर से तेज आवाज में बोले जाने के कारण कुछ स्पष्ट नहीं हो सका।

इसके बाद लॉबी डिवीजन तरकीब से मतदान कराया गया, जिसमें विश्वासमत के प्रस्ताव के पक्ष में 131 मत और विरोध में 108 मत पड़े। राजद ने गुप्त मतदान का आग्रह किया था, जिसे ठुकरा दिया गया।

विधानसभा से बाहर निकलने के बाद भाजपा नेता प्रेम कुमार ने कहा कि यह पहले से ही तय था कि बिहार की जनता राजग के साथ है। आज पूरा परिवार खुश है। उन्होंने विश्वास मत प्राप्त करने के लिए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को बधाई दी।

विधानसभा के विशेष सत्र को लेकर सुरक्षा के पुख्ता प्रबंध किए गए थे। विधानसभा की कार्यवाही का सीधा प्रसारण भी रोका गया।

नीतीश कुमार ने बुधवार को अचानक मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था और राजभवन चले गए थे। इसे महागठबंधन का टूटना समझा गया। 14 घंटे के भीतर गुरुवार को सुबह 10 बजे उन्होंने मुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी।

उन्होंने भाजपा नीत राजग के अन्य दलों के सहयोग से सरकार बनाई, जिसमें पूर्व मुख्यमंत्री और हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा (सेक्युलर) के अध्यक्ष और पार्टी के इकलौता विधायक जीतनराम मांझी भी शामिल हैं। पद से हटाए जाने के बाद नीतीश को पानी पी-पीकर कोसने वाले मांझी अब मंत्री बनेंगे।

बिहार की 243 सदस्यों वाली विधानसभा में बहुमत के लिए 122 विधायकों की जरूरत थी। राजग ने राज्यपाल को 131 विधायकों के समर्थन की सूची सौंपी थी। क्रॉस वोटिंग का अंदेशा था, मगर वैसा नहीं हुआ।