Home World Asia News सिरिसेना : पूर्व विद्रोही के हाथ श्रीलंका की बागडोर

सिरिसेना : पूर्व विद्रोही के हाथ श्रीलंका की बागडोर

0
opposition's sirisena sworn as sri lanka's new president
opposition’s sirisena sworn as sri lanka’s new president

कोलंबो। श्रीलंका के नए राष्ट्रपति के रूप में शुक्रवार को शपथ लेने वाले मैत्रिपाला सिरिसेना के बारे में कम लोगों को पता होगा कि वे जेल भी जा चुके हैं। वामपंथी सिंहली विद्रोहियों से कथित तौर पर संबंध रखने के आरोप में वह 15 महीने जेल की सजा भुगत चुके हैं। विद्रोहियों ने साल 1971 में सरकार को लगभग बेदखल ही कर दिया था।

अगर किस्मत उनका साथ नहीं देती, तो वह साल 2008 में तमिल टाइगर्स के हमले में मारे जाते। उनके काफिले पर हमले में एक व्यक्ति की मौत हो गई थी। बहुसंख्यक सिंहली समुदाय से ताल्लुक रखने वाले 63 वर्षीय सिरिसेना लंबे वक्त तक पूर्व राष्ट्रपति महिंदा राजपक्षे के वफादारों में से रहे हैं। नवंबर में नाटकीय रूप से उन्होंने उनका साथ छोड़कर विपक्ष का दामन थाम लिया था।

जब वे विपक्ष के राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार बने, उन्हें काफी आलोचना झेलनी पड़ी। यहां तक कि उनपर यह भी आरोप लगा कि उन्होंने श्रीलंकाई राजनीति में सालों तक पारिवारवाद को बढ़ावा दिया।

जब राजपक्षे की सरकार मई 2009 में सेना के माध्यम से लिबरेशन टाइगर ऑफ तमिल ईलम (एलटीटीई) का दमन कर रही थी, उस वक्त सिरिसेना देश के रक्षा मंत्री थे। लेकिन लिट्टे को खत्म करने का श्रेय राजपक्षे को मिला।

जब राजपक्षे ने उन्हें प्रधानमंत्री नहीं बनाया, सिरिसेना ने उनकी शिकायत करनी शुरू कर दी, जो नवंबर में उनके दलबदल के लिए प्रेरित करने का कारण बनी। राजपक्षे की श्रीलंका फ्रीडम पार्टी (एसएलएफपी) के अन्य नेताओं की तरह ही सिरिसेना भी अपने घर में बुद्ध, मार्क्स, लेनिन तथा महात्मा गांधी की तस्वीर रखते हैं।

वे अभी तक किसी विशेष विचारधारा का समर्थन नहीं करते। पूरी तरह पारिवारिक सिरिसेना धूम्रपान व शराब के सख्त खिलाफ हैं। उन्हें हालांकि संसद में मुख्य तमिल पार्टी तमिल नेशनल अलायंस (टीएनए) का समर्थन मिला है, लेकिन फिर भी उन्होंने पूर्वोत्तर में स्थापित सैन्य शिविरों को हटाने से इंकार कर दिया है।

लेकिन उन्होंने कहा है कि तमिलों के साथ काम करके उन्हें खुशी होगी, चाहे उनका अतीत जैसा भी हो। शुक्रवार को जीत की दहलीज पर पहुंचने के बाद उनका पहला संदेश था बौद्ध धर्म को बढ़ावा देना। उन्होंने राजनीतिक प्रतिद्वंद्वियों से बदला नहीं लेने का वादा भी किया।

राजपक्षे के शासन में कट्टर बौद्धों द्वारा मुसलमानों पर हमले के मद्देनजर उन्हें गुरूवार को हुए चुनाव में मुसलमानों का समर्थन भी मिला। सिरिसेना द्वारा राजपक्षे को केवल पसंद न किए जाने के कारण ही माना जाता है कि अधिकांश तमिलों ने उनका समर्थन किया।

जब नवंबर में उन्होंने राष्ट्रपति पद के लिए अपनी उम्मीदवारी की घोषणा की थी। उन्होंने कहा था कि देश तानाशाही की तरफ जा रहा है। उन्होंने राजपक्षे पर हमला करते हुए कहा था कि पूरी अर्थव्यवस्था तथा समाज के हर पहलू का नियंत्रण एक परिवार द्वारा किया जा रहा है।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here