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फैब्रिकलोर के वेडिंग कलेक्शन पहन दिखेंगे शादियों में खास

Fabbelolor's Wedding Collection Wear Special in Weddings
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भारत में शादियां अपनी भव्यता और परंपराओं के निर्वाह के लिए जानी जाती है। साथ ही आनंद लेने के साथ-साथ शादियों में लोगों के पास अपनी प्रिय पोशाक में सजने संवरने का मौका होता है। शादी समारोह का आमंत्रण मिलने के बाद पहला ख्याल हमारे दिमाग में शादी में जाने के लिए किस तरीके से कपड़े पहने जाए, आता है।

बुंदेलखंड में राहुल ने पहली बार देखे थे मजदूरों के हाथ में छाले

बुंदेलखंड में राहुल ने पहली बार देखे थे मजदूरों के हाथ में छाले
बुंदेलखंड में राहुल ने पहली बार देखे थे मजदूरों के हाथ में छाले

अब कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष बन गए राहुल गांधी की राजनीति की प्राथमिक पाठशाला बुंदेलखंड रही है, यहीं से उन्होंने गरीबी को करीब से देखा। इतना ही नहीं एक मजदूर से हाथ मिलाते समय उसके हाथ पर उभरे छालों पर सवाल भी पूछा, तब उसने बताया था कि साहब पत्थर तोड़ने, कुल्हाड़ी चलाने से भट्ट (छाले) पड़ जाती है, जो कई बार तो जिंदगी भर यूं ही रहती है। यह वाकया है अब से लगभग छह साल पहले का।

राहुल गांधी ने बुंदेलखंड का पहला दौरा 2008 में किया था। इस दौरान वे कई गांव में गए, लोगों की फटे हाल जिंदगी देखी। यहां के हालत को देखने के बाद ही उनकी पहल पर तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने उत्तर प्रदेश और मध्यप्रदेश के 13 जिलों में फैले इस इलाके के लिए 7,266 करोड़ रुपये का विशेष पैकेज 2009 में घोषित किया। यह बात अलग है कि यह पैकेज यहां के हालात नहीं बदल पाया।

वर्ष 2008 के बाद राहुल गांधी के इस इलाके में कई दौरे हुए। वे उत्तर प्रदेश और मध्यप्रदेश के बुंदेलखंड के अधिकांश जिलों तक सड़क मार्ग से पहुंचे। इसके चलते उन्होंने ग्रामीण भारत को समझा होगा, ऐसा अनुमान लगाया जा सकता है। वे दलित के घर सोए और वहां खाना भी खाया।

पूर्व केंद्रीय मंत्री प्रदीप जैन आदित्य ने आईएएनसएस से कहा कि राहुल जी ने बुंदेलखंड का कई बार दौरा कर यहां की समस्याओं को जाना, गरीबों के दर्द को समझा। इस इलाके के लोगों की दशा और दिशा क्या है, उसे करीब से जाना। उन्हें गरीबी और अभाव ग्रस्त लोगों की जिंदगी को नजदीक से महसूस कराने में यहां की मिट्टी का बड़ा योगदान रहा है। यही कारण रहा कि राहुल गांधी ने बुंदेलखंड के लिए वो किया, जो कोई और नहीं कर पाया।

राहुल ने टीकमगढ़ जिले के एक गांव में दलित के घर रात बिताई। वे जिस खाट पर सोए थे, वह खाट कई वर्षो तक खड़ी ही रखी गई, उसे बिछाया नहीं और न ही कोई उस पर दलित के परिवार का सदस्य लेटा या सोया। दलित परिवार ने उसे राहुल की खटिया नाम ही दे दिया था।

राहुल गांधी का जनवरी, 2012 में बुंदेलखंड का चार दिवसीय दौरा हुआ। इस दौरान एक पत्रकारों का दल उनकी अनेक रैलियां और सभाओं तक पहुंचा। इस दल में शामिल होने के चलते देखा कि राहुल गांधी हर व्यक्ति से मिलने में दिलचस्पी लेते थे।

बुंदेलखंड के वरिष्ठ छायाकार विपिन साहू ने राहुल गांधी के कई प्रवास के दौरान उनकी तस्वीरों को अपने कैमरे में कैद किया है। उन्होंने आईएएनएस को बताया, “राहुल के कई कार्यक्रमों में देखा कि वे कई लोगों से एक साथ मिलने की चाहत रखते हैं। ऐसा ही कुछ झांसी में हुआ, वे एक मजदूर का हाथ पकड़ कर रह गए और कुछ देर के लिए ठिठक गए। उसके हाथ का पंजा सीधा करते हुए बोले, ये क्या है, मजदूर बोला भट्ट (छाले)। फिर सवाल, यह कैसे हो गया, मजदूर का जवाब, साहब काम करते हैं, हथौड़ा, कुदाली, सब्बल चलाते हैं, जिससे यह बन जाते हैं। मजदूर के जवाब ने राहुल को गरीबी और मजदूरी दोनों से एक साथ परिचित करा दिया था। मजदूर का हाथ देखते राहुल वाली तस्वीर काफी चर्चाओं में रही थी।”

बुंदेलखंड के राहुल गांधी के जनवरी, 2012 के प्रवास में पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव जनार्दन द्विवेदी अहम भूमिका में थे। उसकी वजह यह रही कि द्विवेदी उत्तर प्रदेश के बुंदेलखंड के बांदा जिले के अतर्रा से आते हैं और यहां कॉलेज में पढ़ाते भी रहे हैं।

राहुल ने अपनी यात्रा पूरी होने के बाद कुछ चुनिंदा पत्रकारों से अनौपचारिक बातचीत की, शर्त थी कि इसे न तो कोई चैनल दिखाएगा और न ही छापेगा। बैठक ठीक उस कक्षा की तरह थी, राहुल और पत्रकार आमने-सामने थे। बीच में कोई टेबल अथवा कांग्रेस का नेता भी बाधक नहीं था। वहीं सामने बैठे आठ से दस पत्रकार।

पत्रकारों से अनौपचारिक चर्चा के दौरान राहुल ने जहां बुंदेलखंड की समस्याओं पर खुलकर चर्चा की, वहीं पत्रकारों से सुझाव भी मांगे। इस दौरान दो वाकये हुए जो राहुल के अंदर के एक नेक इंसान को जाहिर करते हैं। एक महिला पत्रकार के पेन का ढक्कन गिरा तो उसे राहुल ने खुद अपनी कुर्सी से उठाकर सौंपा। इसके बाद जमीन में रखे चाय के थर्मोकोल में किसी का पैर न लगे, इसका भी ध्यान दिलाया।

राजनीति के जानकारों का मानना है कि राहुल बीते लगभग 10 साल में काफी परिपक्व हो गए हैं। उनकी राजनीतिक समझ भी बढ़ी है, समस्याओं को भी करीब से देखा है। उनकी यह समझ बढ़ाने में बुंदेलखंड का बड़ा योगदान है। अब वे पार्टी के अध्यक्ष बन गए हैं, जिम्मेदारी बड़ी है, अब उनकी क्षमता व योग्यता की असली परीक्षा होगी।

ईरान का मिसाइल कार्यक्रम आक्रामक

Iran's missile program aggressive
Iran’s missile program aggressive

संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) के एक वरिष्ठ अधिकारी ने शनिवार को Tweet कर ईरान क्षेत्र में मिसाइल का अंधाधुंध निर्यात करने वाला देश है। संयुक्त अरब अमीरात के विदेशी मामलों के मंत्री अनवर गार्गश ने कहा कि ईरान के मिसाइल कार्यक्रम का झूठ की वजह से पर्दाफाश हो गया है।

ज्यादातर अरबी भाषा में ट्वीट करने वाले गार्गश ने अंग्रेजी में ट्वीट करते हुए कहा, “सबूतों को लेकर ईरान का घबराया रुख उसके द्वारा सऊदी अरब पर मिसाइल हमले की संभावना के अपराध को दर्शाता है।”

उन्होंने कहा, “ईरान का मिसाइल कार्यक्रम आक्रामक और निर्यात योग्य है।”

संयुक्त अरब अमीरात और सऊदी अरब ने ईरान पर शिया हौती विद्रोहियों को बैलिस्टिक मिसाइल उपलब्ध कराने का आरोप लगाया है।

वरुण, आलिया को आने वाली फिल्म ‘शिद्दत’ की जानकारी नहीं

वरुण, आलिया को आने वाली फिल्म 'शिद्दत' की जानकारी नहीं
वरुण, आलिया को आने वाली फिल्म ‘शिद्दत’ की जानकारी नहीं

अभिनेता वरुण धवन और आलिया भट्ट का कहना है कि उन्हें करण जौहर की आगामी फिल्म ‘शिद्दत’ के बारे में कोई जानकारी नहीं है। ‘ऐ दिल है मुश्किल’ के बाद करण अपनी दूसरी फिल्म ‘शिद्दत’ बनाने की योजना बना रहे हैं।

फिल्म में वरुण धवन, आलिया भट्ट, आदित्य रॉय कपूर, संजय दत्त और श्रीदेवी प्रमुख भूमिका में हैं।

हालांकि, अलिया और वरुण दोनों ने इस बात का खंडन करते हुए कहा कि उन्हें इस तरह की फिल्म के बारे में कुछ पता नहीं है।

वरुण ने शुक्रवार को मुंबई में निकलोडियन किड्स च्वॉइस अवॉर्डस 2017 के दौरान फिल्म के बारे में कहा, “कौन-सी फिल्म? आपको किसने कहा? हमें नहीं पता कि ऐसी कोई फिल्म है।”

वरुण के साथ ‘स्टूडेंट ऑफ द ईयर’, ‘हम्टी शर्मा की दुल्हनिया’ में काम कर चुकीं आलिया भट्ट ने कहा, “आपको किसने कहा? मुझे ऐसी किसी फिल्म के बारे में पता नहीं।”

आलिया ‘राजी’, ‘गुल्ली बॉय’ और ‘ब्रह्मास्त्र’ जैसी फिल्में कर रही हैं।

कैलिफोर्निया वनक्षेत्र में लगी आग कई लोगों को सुरक्षित स्थानों पर ले जाया गया

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A fire in California forest area, many people were taken to safer places
A fire in California forest area, many people were taken to safer places

अमेरिका के कैलिफोर्निया में वनक्षेत्र में लगभग दो सप्ताह से लगी आग से अभी भी खतरा बना हुआ है। इस खतरे की वजह से लॉस एंजेलिस के सांता बारबरा काउंटी से लोगों को सुरक्षित स्थानों पर ले जाया गया है।

यह आग ‘थॉमस’ को कैलिफोर्निया के इतिहास की तीसरी सबसे भयावह आग बताया जा रहा है।

सांता बारबरा दमकल विभाग के कैप्टन टोनी पिघेटी ने कहा कि बुधवार से शुक्रवार के बीच हवा की गति कम होने का लाभ उठाते हुए दमकलकर्मियों को बचाव कार्यो में कुछ आसानी रही।

सांता बारबरा काउंटी शेरिफ की प्रवक्ता केली हूवर ने कहा कि प्रशासन ने बड़ी संख्या में बचावकर्मियों को मोन्टेसिटो में भेजा और लोगों को सुरक्षित स्थानों पर ले जाया गया।