Home Breaking एनसीपीईडीपी-एमयूडीए पुरस्कार पाने वाली पैरा-एथलीट ट्रेन के फर्श पर सोई

एनसीपीईडीपी-एमयूडीए पुरस्कार पाने वाली पैरा-एथलीट ट्रेन के फर्श पर सोई

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एनसीपीईडीपी-एमयूडीए पुरस्कार पाने वाली पैरा-एथलीट ट्रेन के फर्श पर सोई
Para-athlete Suvarna Raj who slept on train floor to get top NCPEDP-MUDA award
Para-athlete Suvarna Raj who slept on train floor to get top NCPEDP-MUDA award
Para-athlete Suvarna Raj who slept on train floor to get top NCPEDP-MUDA award

मुंबई। भारत की जानी-मानी टेबल टेनिस पैरा-एथलीट सुवर्णा राज उस वक्त सुर्खियों में आईं, जब उन्हें लंबी दूरी की ट्रेन में फर्श पर सोना पड़ा। सुवर्णा को एनसीपीईडीपी-एमफासिस यूनिवर्सल डिजाइन पुरस्कार-2017 के लिए चुना गया है। एक अधिकारी ने बुधवार को यह जानकारी दी।

नागपुर की रहने वाली सुवर्णा (34) शादी के बाद दिल्ली में बस गई हैं। वह भारत की अंतरराष्ट्रीय स्तर की टेबल टेनिस खिलाड़ी हैं। दो साल की उम्र में उन्हें पोलियो हो गया था।

सुवर्णा जून में नागपुर से निजामुद्दीन जाने वाली गरीब रथ ट्रेन में सफर कर रही थीं। उन्हें जब ट्रेन में सफर कर रहे साथी यात्रियों और रेलवे ने उन्हें मिले अपर बर्थ के बजाय लोवर बर्थ देने से मना कर दिया, तो उन्हें मजबूरन जमीन पर सोना पड़ा।

इस घटना के बाद राष्ट्रीय स्तर पर यह मुद्दा उठाया गया। इस कारण रेलवे की काफी आलोचना हुई। बाद में रेलमंत्री सुरेश प्रभाकर प्रभु ने 11 जून को इस मामले में जांच का आदेश दिया।

सबसे बड़ी बात यह है कि प्रभु ही सुवर्णा को एनसीपीईडीपी-एमयूडीए पुरस्कार से सम्मानित करेंगे। नई दिल्ली में 14 अगस्त को होने वाले एक समारोह में सुवर्णा सहित अन्य विजेताओं को सम्मानित किया जाएगा।

दुनिया में विख्यात विकलांग अधिकार कार्यकर्ता और विकलांग पीपुल्स इंटरनेशनल के अंतरराष्ट्रीय अध्यक्ष जावेद आबिदी विकलांग जन रोजगार संवर्धन राष्ट्रीय केंद्र (एनसीपीईडीपी) के प्रमुख हैं।

आबिदी ने अपने एक बयान में कहा कि सुवर्णा विकलांग व्यक्तियों के लिए बेहतर पहुंच की आशा रखने वाली भावुक समर्थक हैं और उन्होंने विकलागों के लिए सार्वजनिक स्थानों और इमारतों को सुलभ बनाने के लिए काफी प्रयास किए हैं।

ऐसे मामलों में केंद्रीय और राज्य विकलांगता आयुक्तों के खिलाफ आरटीआई और मामले दर्ज करने के अलावा सुलभ भारत अभियान के लिए अभिगम लेखा परीक्षक सुवर्णा ने देशभर में 139 इमारतों की सुलभता का अंकेक्षण किया है और उनकी रिपोर्ट पर कार्यान्वयन लंबित है।