Home Goa गोवा में मनाया जाएगा डॉ. जयंत आठवलेजी का अमृत महोत्सव

गोवा में मनाया जाएगा डॉ. जयंत आठवलेजी का अमृत महोत्सव

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गोवा में मनाया जाएगा डॉ. जयंत आठवलेजी का अमृत महोत्सव
Paratpar Guru Dr. Jayant Athavale Amrit Mahotsav on May 15 in goa
Paratpar Guru Dr. Jayant Athavale Amrit Mahotsav on May 15 in goa
Paratpar Guru Dr. Jayant Athavale Amrit Mahotsav on May 15 in goa

पणजी। सनातन संस्था के संस्थापक परात्पर गुरु डॉ. जयंत आठवलेजी का अमृत महोत्सव 15 मई को गोवा में मनाया जाएगा।

डॉ. आठवलेजी ने वर्ष 1971 से वर्ष 1978 के मध्य ब्रिटेन में रहकर सम्मोहन-उपचार के क्षेत्र में अभिनव शोध किया। सम्मोहन एवं विज्ञान मानवी जीवन के दुःख नहीं कम कर सकते इसलिए वे अध्यात्म की ओर प्रवृत्त हुए। गुरु आठवलेजी को इंदौर के भक्तराज महाराज गुरुरूप में प्राप्त हुए। इसके बाद डॉ. आठवलेजी ने 23 मार्च 1999 को सनातन संस्था की स्थापना की। उनके मार्गदर्शन में अध्यात्म प्रसार करनेवाले सहस्रों साधक तैयार हुए।

जिज्ञासुओं को ईश्‍वरप्राप्ति शीघ्र हो, इसके लिए डॉ. आठवलेजी ने कर्म, भक्ति और ज्ञान, इन तीनों से युक्त गुरुकृपायोग बताया है। उन्होंने देवोपासना, बालसंस्कार, राष्ट्ररक्षा, ईश्‍वरप्राप्ति हेतु कला, आपातकालीन उपचार आदि विविध विषयों पर ग्रंथ संकलित किए हैं। 21 साल में 12 भारतीय और 3 विदेशी भाषाओं में कुल 300 ग्रंथों की 68,51,000 प्रतियां प्रकाशित हुई हैं।

प्राचीन तक्षशिला और नालंदा समान बनेगा महर्षि अध्यात्म विश्‍वविद्यालय

संसार में भौतिक शिक्षा देने वाले अनेक विश्‍वविद्यालय हैं, परंतु परिपूर्ण अध्यात्मशास्त्र तथा ईश्‍वरप्राप्ति की शिक्षा देने वाला एक भी विश्‍वविद्यालय नहीं है। परात्पर गुरु डॉ. जयंत आठवलेजी ने कहा कि महर्षि अध्यात्म विश्‍वविद्यालय से पदवी प्राप्त कर बाहर निकलने वाले संत ही होंगे। उन्हें कागज के प्रमाण-पत्र की आवश्यकता नहीं होगी। इस विश्‍वविद्यालय में ज्ञान, कर्म, भक्ति, ध्यान, गुरुकृपायोग आदि योगमार्गों की सैद्धांतिक और प्रायोगिक शिक्षा तथा वेदशास्त्र, व्याकरण आदि 14 विद्याओं और 64 कलाओं की साधना की दृष्टि से शिक्षा दी जाएगी।

हिन्दू धर्म की महानता बताने के लिए वैज्ञानिक शोधकार्य

परात्पर गुरु डॉक्टरजी आध्यात्मिक शोध करते समय यूनिवर्सल थर्मो स्कैनर, पॉलीकॉन्ट्रास्ट इंटरफेरन्स फोटोग्राफी आदि आधुनिक वैज्ञानिक उपकरणों और प्रणालियों का उपयोग कर प्रयोग करवा रहे हैं। हिन्दू धर्म के आचार जैसे धोती-कुर्ता या साडी पहनना, दोनों हाथ जोडकर नमस्कार करना आदि के कारण व्यक्ति पर आध्यात्मिक स्तर पर होनेवाले अच्छे परिणाम, यज्ञ से होने वाली चैतन्य की प्राप्ति आदि के संबंध में विविध वैज्ञानिक उपकरणों से शोध किया जा रहा है। परात्पर गुरु डॉ. आठवलेजी के मार्गदर्शन में मार्च 2017 तक ऐसे 1 सहस्र से अधिक शोधपत्रक प्रयोग किए गए हैं।

रामराज्य की प्रेरणा से स्थापित हुर्इ हिन्दू जनजागृति समिति

वर्ष 2011 में परात्पर गुरु डॉ. आठवलेजी के विचारों से प्रेरणा लेकर हिन्दू जनजागृति समिति की स्थापना हुई। इस समिति द्वारा 6 राष्ट्रीय और 75 प्रांतीय हिन्दू अधिवेशनों के माध्यम से देश के 250 से अधिक संगठनों को रामराज्य के लिए संघटित प्रयास करने की प्रेरणा दी जा रही है। उसके साथ ही 13 राज्यों में 1,250 से भी अधिक धर्मजागृति सभाओं के माध्यम से 16 लाख से अधिक लोगों में भारतीय संस्कृति के विषय में जागृति की गई है। भारत विश्वगुरू बनने हेतु समाज को दिशा देनेवाले परात्पर गुरू डॉ. आठवलेजी के श्रीचरणों में कृतज्ञता।