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सिरोही की मन मोहू राजनीति…

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सिरोही की मन मोहू राजनीति…
angry supporters of abvp candidate prepare effigy of otaram dewasi
angry supporters of abvp candidate prepare effigy of otaram dewasi

सिरोही। इन दिनों राजनीति की छवि परम्पराओं से अलग थलग नजर आ रही है। चाहे पिण्डवाड़ा पालिका चुनाव हो चाहे सिरोही पीजी कॉलेज के छात्रसंघ चुनाव। कहीं पे निगाहे कहीं पे निशाना। समय के साथ बदलते सुरों ने अपनी पैठ तो जमा ली, लेकिन कुछ धड़े को अपने से अलग थलग करने की साजिश भी रच डाली।

पिण्डवाड़ा में जब पूर्व पालिका अध्यक्ष खुशबू पुरोहित के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पारित हुआ था तब खुद पुरोहित ने अपने तेवर दिखाते हुए स्थानीय भाजपा के शीर्ष नेताओं पर निशाने साधे थे। भाजपा ने भी अपनी तूती जारी रखते हुए यह कह डाला कि वे बागियों के खिलाफ कार्रवाई करेंगे।

अब तत्कालीन वक्त बागी रही महिला को इसके लिए उम्मीदवार बनाया और वे निर्विरोध निर्वाचित भी हो गईं। शह और संरक्षण की यह राजनीति चर्चाओं में तो रही लेकिन, दल के हाथियों के समक्ष श्वान स्वरूप हो गईं। दिलों में आग सुलगती रही, चर्चा की पैजनियां बजती रही, आलाओं की मुस्कुराहट में यह सब कुछ शून्य बन गईं। यह तो था पिण्डवाड़ा का दृश्य।

अब सिरोही पीजी कॉलेज छात्रसंघ चुनाव। चर्चारत था कि यहां राजनीति नहीं जातनीति ने लुटिया डुबो दी। बाकायदा आक्रोशित तेवर सरजावाव दरवाजे पर खुले तौर पर दिखाई दिए। एबीवीपी ने जिग्नाशा रावल को टिकट दिया, बागी के तौर पर सुरेश देवासी प्रत्याशी थे।

एबीवीपी समर्थकों का यह आरोप था कि विधायक व राज्यमंत्री ओटाराम देवासी ने जातिवाद को शह दी और उनके संरक्षण में छात्रसंघ चुनाव में खास व्यूह रचना रची गईं। उनका ये भी आरोप था कि एबीवीपी को हराने में देवासी का प्रमुख हाथ है। बाकायदा छात्रों ने देवासी का सरेराह पुतला फूंक कर अपने उबाल को ठंडा किया।

क्या करे, कुछ बिगाड़ तो सकते नहीं थे, अपने साथी की सुनियोजित हार का मलाल था और जेहन में एक ही बात थी अभी हमने यह सहा है अभी केवल तैश है, तेवर बाद में दिखाएंगे
-सुरसिरोही