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राजस्थान के जालोर में बन सकता है कृत्रिम बंदरगाह

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राजस्थान के जालोर में बन सकता है कृत्रिम बंदरगाह

सबगुरु न्यूज़ उदयपुर। राजस्थान के विकास के लिए पूर्व प्रधानमंत्री अटलबिहारी वाजपेयी के समय बनाई गई सागरमाला परियोजना के तहत जालौर में एक कृत्रिम बंदरगाह के विकास के लिए भी योजना बनाई गई थी।इसके बाद कांग्रेस की सरकार में इस योजना को ठण्डे बस्ते में डाल दिया गया था।

मंगलवार को उदयपुर में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के साथ आए देश के सड़क एवं पोत परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने कहा कि सांचैर जो कि जालौर में है यह मेरा ड्रीम प्रोजक्ट है। मैं आज इसका जिक्र ज्यादा नहीं करूंगा। मैं यह चाहता हूं कि राजस्थान का डीजल, पैट्रोल, पत्थर और राजस्थान का कपड़ा पानी के रास्ते विश्व और देश के बाजार में जाए। इसके लिए हम तैयारी कर रहे हैं।

इशारों में कही गई बात में मंत्री बड़ा संकेत दे गए। दरअसल, उनका यह सपना तभी सम्भव है जब सांचैर में एक कृत्रिम बंदरगाह विकसित किया जाए। विषम जलवायु वाले राजस्थान को सीधे समुद्र से जोड़ने का यह प्रोजेक्ट पूर्व में अटल बिहारी के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार ने तैयार किया था।

इसके बाद मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे की सरकार ने उद्योगपति गौतम अडाणी से भी इस सम्बंध में वार्ता की थी। इसके लिए सांचैर के नेहड़ क्षेत्र के भवतड़ा में बंदरगाह विकसित किया जाएगा। इसके लिए गुजरात में स्थित कच्छ के रण से एक नहर बनाई जानी है। इससे समुद्र का पानी भवतड़ा तक पहुंच जाएगा।

इस पानी से यहां पर एक गोदी विकसित की जाएगा। इस गोदी को बाद में इंदिरा गांधी नहर परियोजना से भी जोड़ने की योजना है, ताकि राज्य के पांच जिले जालौर, बाड़मेर, जैसलमेर बीकानेर, गंगानगर और हनुमागढ़ से भी नौपरिवहन किया जा सकेगा।

इसके लिए सरकार को करीब पचास हजार करोड़ रुपए का निवेश करना है। इसके लिए गडकरी ने 2015 में ही सैद्धांतिक मंजूरी दे दी थी। गुजरात के मुंद्रा पोर्ट से करीब 150 किलोमीटर लम्बी नहर बनाई जानी है। इस नहर से समुद्र का पानी सांचैर के भवतड़ा तक लाया जाएगा। नहर की चैड़ाई इतनी होगी की जहाजों का परिवहन भी किया जा सकेगा।

इससे काण्डला पोर्ट पर आ रहे दबाव को भी कम किया जा सकेगा। साथ ही राजस्थान में एक बड़ा निवेश आएगा और रोजगार की उपलब्धता भी बढ़ेगी। सांचैर का भवतड़ा गांव निहड़ इलाके में आता है। यह कच्छ के रण का हिस्सा है और समुद्री तल से कुछ नीचा है। इसलिए यहां तक पानी लाने के लिए किसी प्रकार की श्रम और शक्ति की जरूरत नहीं है।

यहां की सारी जमीन भी क्षारीय है, किसी प्रकार से कृषि या उद्योगों के लिए उपयुक्त नहीं है। ऐसे में यहां पर पोर्ट विकसित किए जाने से जालौर जैसे पिछड़े जिले के विकास के नए मार्ग खुल जाएंगें और राजस्थान के व्यवसायियों को भी एक निकटस्थ पोर्ट उपलब्ध हो जाएगा। इससे राज्य में पर्यटन को भी बढ़ावा मिलेगा।